भ्रष्टाचार के जुगाड़ : बिटकाइन से नकली मुद्रा तक - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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भ्रष्टाचार के जुगाड़ : बिटकाइन से नकली मुद्रा तक

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भ्रष्टाचार समाज और देश के लिए एक ऐसा दीमक है जो सम्पूर्ण व्यवस्था को खोखला कर देता है। सरकार ने कालेधन और जाली नोटों की समानांतर अर्थव्यवस्था पर लगाम लगाने के लिए नोटबंदी जैसे अहम फैसले लिए। लोगों ने नोटबंदी के फैसले को स्वीकार करते हुए पीड़ा झेलकर भी सरकार को सहयोग दिया लेकिन भ्रष्टाचारी कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं। तू डाल-डाल मैं पात-पात। मोदी सरकार ने कालेधन को रोकने के लिए डिजिटल भुगतान पर जोर दिया ताकि नकद लेन-देन की वजह से हो रही राजस्व हानि कम की जा सके परन्तु साइबर अपराध के महारथियों ने नया जुगाड़ ढूंढ लिया जो न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया भर में मनी लांड्रिंग का सबसे सुरक्षित तरीका है और किसी भी टैक्स हैवन देश में जाकर उन्हें डालर में बदल सकते हैं।

यह जुगाड़ है बिटकाइन मुद्रा। अमेरिका के लॉस वेगास के कसीनों में आपको बिटकाइन एटीएम लगे मिल जाएंगे। यदि किसी नौकरशाह को रिश्वत देने के लिए उसको कोई कम्पनी बिटकाइन वालेट में पैसा दे तो क्या हमारा सिस्टम पकड़ पाएगा? बिटकाइन ऐसी मुद्रा है जिसमें कालाधन खपाया जा सकता है। मौजूदा समय में दुनियाभर में रैनसमवेयर वायरस के हमले हो रहे हैं। साइबर अटैक करने वाले फिरौती भी बिटकाइन में मांगते हैं। अब प्रश्न उठता है कि बिटकाइन की ऐसी कौन-सी विशेषता है कि फिरौती इसी में मांगी जा रही है। वस्तुत: बिटकाइन एक नई इनोवेटिव टैक्नालोजी है जिसका उपयोग ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा रहा है। यह अनोखी और आभासी मुद्रा है। कम्प्यूटर नेटवर्क के द्वारा इस मुद्रा से बिना किसी मध्यस्थता के ट्रांजेक्शन किया जा सकता है। शुरूआत में कम्प्यूटर पर बेहद जटिल कार्यों के बदले क्रिप्टो करेंसी कमाई जाती थी। चूंकि यह करेंसी सिर्फ कोड में होती है इसलिए इसे जब्त भी नहीं किया जा सकता।

कम्प्यूटर आधारित इस भुगतान प्रक्रिया की सबसे बड़ी खासियत यह है कि शेयर बाजार की तरह इसके मूल्य में भी परिवर्तन होता रहता है। आज से 7 वर्ष पहले एक हजार बिटकाइन के बदले एक पिज्जा खरीदा जा सकता था। अब एक बिटकाइन की कीमत 1 लाख 7 हजार रुपए है। इस डिजिटल करेंसी को डिजिटल वालेट में ही रखा जाता है। बिटकाइन को क्रिप्टो करेंसी भी कहा जाता है क्योंकि इस चेन को डार्क वेब पर ब्राउज किया जाता है। उसे ट्रैक करना काफी मुश्किल होता है। क्रेडिट कार्ड या बैंक ट्रांजेक्शन के विपरीत इससे होने वाले ट्रांजेक्शन इनरीवर्सीबल होते हैं अर्थात इन्हें वापस नहीं लिया जा सकता। दरअसल यह वन-वे ट्रैफिक है। उल्लेखनीय है कि विप्रो को रासायनिक हमले की धमकी देने वालों ने 500 करोड़ की फिरौती भी बिटकाइन में मांगी थी। कालाधन, हवाला, ड्रग्स की खरीदारी, बिक्री और आतंकी गतिविधियों में बिटकाइन का इस्तेमाल हो रहा है जिसने दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों और वित्तीय नियामकों की नींद उड़ा दी है। इतना ही नहीं, काफी न्यूनतम मूल्य पर दुनिया के किसी भी हिस्से में इसका हस्तांतरण संभव है।

यह किसी देश की मुद्रा नहीं इसलिए इस पर कोई कर भी नहीं लगता। यह तो रही नवीनतम प्रौद्योगिकी की बात। भारत को ही ले लीजिए। कई महीनों से पुलिस के साथ आंख-मिचौली खेल रहे स्वीकार लूथरा को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उस पर देश के कई राज्यों में नकली सिक्के और उसकी सप्लाई का आरोप है। पुलिस को अब जाकर पता चला है कि वह 1997 से नकली सिक्के बना रहा है। उसका नेटवर्क नेपाल तक फैला हुआ है। उसके पास से 6 लाख रुपए के 5 के और 10 के नकली सिक्के बरामद हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक वह करोड़ों के सिक्के सप्लाई कर चुका है। पिछले वर्ष से बाजार में नकली सिक्कों की बात फैली थी। व्यापारी, दुकानदार और आम लोग सिक्कों को लेकर संदेह खड़ा कर रहे थे लेकिन रिजर्व बैंक ने नकली सिक्कों को अफवाह बताते हुए लोगों को सभी प्रकार के सौदों में बिना किसी झिझक के स्वीकार करने को कहा था। लोगों ने सिक्कों को स्वीकार करना भी शुरू कर दिया था।

नकली सिक्के इतने बढिय़ा थे कि पहचान करना मुश्किल हो गया। अब जाकर भांडा फूटा कि नकली नोटों के गोरख-धंधे की तरह नकली सिक्कों का गोरख-धंधा भी चल रहा है। दरअसल भ्रष्टाचार और रातोंरात धनवान बनने की चाह लोगों को गलत रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती है। हैरानी तो इस बात की है कि पुलिस पहले भी उसे गिरफ्तार कर चुकी है लेकिन उसके गोरख-धंधे की 17 साल तक किसी को भनक नहीं मिली। भारत में 4 टकसाल हैं जिनके पास सिक्के बनाने का अधिकार है। यह टकसाल मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा में हैं लेकिन लोगों को क्या पता कि दिल्ली के ही एक इलाके में उसने टकसाल बना रखी है। लोगों ने भ्रष्टाचार के लिए नए रास्ते खोज ही निकाले हैं।

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