कर्नाटक विजय से उत्साहित कांग्रेस अब इस वर्ष के अन्त तक होने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना राज्यों में भी उस ‘मैसूरू फार्मूले’ को लागू करने की तैयारी में लगती है जिसने इसका परचम बेंगलुरू में फहराया। इन चारों राज्यों में केवल तेलंगाना को छोड़कर शेष तीन राज्यों में कांग्रेस पार्टी का मुकाबला सीधे केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा से होगा। कर्नाटक में कांग्रेस ने गरीब मतदाताओं को एक गारंटी पत्र दिया था जिसमें मुफ्त बिजली से लेकर मुफ्त चावल तक देने का आश्वासन था। हालांकि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत का केवल यही एक कारण नहीं है बल्कि असली वजह विचारात्मक विमर्श माना जा रहा है मगर मतदाताओं का ध्यान अपनी तरफ खींचने में गारंटी कार्ड की उत्प्रेरक भूमिका जरूर रही है। संभवतः इसी से उत्प्रेरित होकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमन्त्री श्री कमलनाथ ने घोषणा की है कि यदि आगामी नवम्बर महीने में होने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो प्रत्येक गरीब व्यक्ति को 100 यूनिट बिजली मुफ्त दी जायेगी और 200 यूनिट तक खर्च करने वाले का बिल आधा होगा। जब 2018 में हुए चुनावों के बाद श्री कमलनाथ मुख्यमन्त्री बने थे तो उन्होंने एक सीमा तक बिजली खर्च करने वाले परिवारों का बिल आधा किया था और छोटे किसानों का कर्जा भी माफ किया था।
हालांकि उनकी सरकार को केवल सवा साल बाद ही ‘इस्तीफा संस्कृति’ के चलते गिरा दिया गया था और राज्य में पुनः भाजपा सरकार गठित हो गई थी मगर उनकी सरकार के इस अल्पकाल के दौरान किये गये कार्यों को मध्य प्रदेश के लोग आज भी याद करते हैं। इसके साथ हमें ध्यान रखना होगा कि मध्य प्रदेश और कर्नाटक की संस्कृति व सामाजिक संरचना में मूलभूत अन्तर है। इस राज्य में आजादी के बाद से ही राम राज्य परिषद से लेकर हिन्दू महासभा व जनसंघ का प्रभाव रहा है बेशक यह प्रभाव सीमित क्षेत्रों में ही रहा हो मगर हिन्दूवादी राष्ट्रवादी विचारधारा इस राज्य में रही है। मध्य प्रदेश में देशी रियासतों का राजस्थान की भांति ही बहुतायत होने की वजह से सामन्ती मानसिकता भी समाज के लोगों में थी जिसे कांग्रेस के अपने जमाने के चाणक्य कहे जाने वाले महारथी नेता स्व. पं. द्वारका प्रसाद मिश्र ने सुप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस राज्य को आधुनिक बनाने के लिए श्रम किया। साथ ही डा. राममनोहर लोहिया के प्रभाव से इस राज्य के कुछ क्षेत्रों में समाजवादी आन्दोलन भी पनपा। यही वजह थी कि राज्य की होशंगाबाद लोकसभा सीट से प्रसिद्ध समाजवादी चिन्तक व नेता डा. एच.वी. कामथ जैसे नेता चुनाव जीता करते थे। यहां यह भी कम उल्लेखनीय नहीं है कि इमरजेंसी के बाद 1977 के लोकसभा चुनावों में रीवा रियासत के पूर्व महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव को संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कोटे से जनता पार्टी के एक नेत्रहीन प्रत्याशी स्व. के.के. शास्त्री ने लाखों मतों से चुनाव में हरा दिया था। अतः यह कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश की संस्कृति में नये विचारों को स्वाकीर करने की भी अभिलाषा रही है परन्तु वर्तमान दौर में उत्तर भारत में जो राजनैतिक विमर्श चल रहा है उसमें हिन्दुत्व की भूमिका कहीं न कहीं भीतरखाने जरूर रहती है। यही वजह थी कि श्री कमलनाथ ने अपने संक्षिप्त शासन के दौरान राज्य की हर पंचायत में गौशालाएं खुलवाने का आदेश दिया था और ‘श्री राम वन गमन’ मार्ग के आधुनिकीकरण का आदेश भी दिया था।
यह सब लिखने का उद्देश्य यही है कि कांग्रेस पार्टी को इस राज्य में यहां की संस्कृति के अनुरूप ही अपना चुनावी विमर्श देना होगा और भाजपा का मुकाबला इस हकीकत को ध्यान में रखते हुए करना होगा कि इस राज्य की संस्कृति में जातिवाद की उपस्थिति नाम मात्र की रही है और साम्प्रदायिकता का उग्र रूप भी इसे कभी स्वीकार नहीं रहा है, हां इतना जरूर कहा जा सकता है कि विशुद्ध भारत मूलक राष्ट्रवाद इसके लोगों को लुभाता रहा है क्योंकि बौद्ध काल से लेकर मध्य युगीन इतिहास का गौरव इस राज्य की मिट्टी में केवल घुला हुआ है बल्कि लोगों से बातें करता नजर आता है। इस हकीकत को कमलनाथ भी जानते हैं और भाजपा के मुख्यमन्त्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी जानते हैं। यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि दोनों नेता किन चुनावी विमर्शों के साथ नवम्बर महीने में चुनावों के दौरान जनता की अदालत में खड़े होंगे। चूंकि कमलनाथ केन्द्र में वाणिज्य मन्त्री भी रहे हैं और परिवहन मन्त्री भी रहे हैं अतः वह आर्थिक विमर्श की बारीकियों को केन्द्र में न लाना चाहें ऐसा नहीं हो सकता। ऐसा करते हुए वह कर्नाटक में अपनी पार्टी के विमर्श की बारीकियों को श्री राहुल गांधी के इस आख्यान का अध्ययन जरूर करेंगे कि कर्नाटक में कांग्रेस का साथ गरीब जनता ने जमकर दिया क्योंकि लड़ाई गरीब और अमीरों के बीच में थी। दूसरी तरफ इसी मोर्चे पर श्री शिवराज सिंह चौहान के पास प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की शख्सियत है जिनकी केन्द्र सरकार ने कई गरीब कल्याण योजनाएं चला रखी हैं। अतः मध्य प्रदेश में श्री कमलनाथ ने इसी मोर्चे पर चुनावी शतरंज बिछानी शुरू कर दी है।
आदित्य नारायण चोपड़ा