2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मंच तैयार हो चुका है और विपक्षी दलों के इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबको चौंकाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन को पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गठबंधन की बैठक में उनके इस आइडिया का पूरा समर्थन किया। लेकिन लालू यादव और नीतीश कुमार ने अपनी सहमति नहीं दी है।
नेता गठबंधन की बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए और उसके बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल नहीं हुए। जबकि खड़गे ने कहा कि अभी चुनाव सामने हैं और इसके लिए अभी जीतने के लिए काम करना है, पीएम उम्मीदवार बाद में देख लेंगे। खड़गे ने कहा कि पहले हम संख्या बढ़ाएंगे, फिर तय करेंगे कि पीएम कौन होगा। हालांकि, खड़गे एससी समुदाय से हैं और इंडिया ब्लॉक को उम्मीद है कि उसे यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में एससी, एसटी तक पहुंचने में इसका फायदा मिल सकता है। यह निस्संदेह खड़गे को भाजपा के धर्म और अति-राष्ट्रवाद के चुनावी मुद्दों का मुकाबला करने के लिए जाति की पहचान बनाने में भी मदद करेगा।
सूत्रों के मुताबिक, इस बात पर व्यापक सहमति थी कि सीट-बंटवारे की बातचीत 31 दिसंबर से पहले पूरी हो जानी चाहिए और पार्टियों को 22 जनवरी को राम मंदिर समारोह से पहले संयुक्त रैलियां और अभियान आयोजित करना चाहिए। नेताओं ने इंडिया गठबंधन का संदेश फैलाने के लिए पूरे भारत में लगभग 8 से 10 बैठकें करने का भी फैसला किया। अशोक होटल में हुई बैठक में छह मुख्यमंत्रियों के अलावा 28 राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए।
मोदी को वाराणसी में चुनौती देने की ललक
विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लोकसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चुनौती देने के लिए राजनीतिक नेताओं की एक सूची तैयार करने का इच्छुक है। सूत्रों के मुताबिक, अब तक दो नाम, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, प्रस्तावित किए गए हैं। आगामी 2024 के आम चुनावों में पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार के रूप में प्रियंका गांधी का नाम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा प्रस्तावित किया गया है। यह विचारोत्तेजक प्रस्ताव इंडिया गठबंधन की दिल्ली में चौथी बैठक के दौरान रखा गया था। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में जेडीयू नेताओं की राय है कि सीएम नीतीश कुमार को कुर्मी बहुल फूलपुर या मिर्ज़ापुर सीटों से चुनाव लड़ना चाहिए। दोनों सीटें वाराणसी के करीब हैं, लिहाजा वाराणसी में भी कुर्मी वोटों में सेंध लगेगी।
यूपी के कांग्रेस नेताओं का डर
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के शीर्ष पार्टी पदाधिकारियों के साथ 2024 के चुनावों के लिए राज्य की योजनाओं को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक में विचार-मंथन किया। बैठक के दौरान यूपी के नेताओं ने उम्मीद के अनुरूप सीटें मिलने के बारे में अपनी आशंका व्यक्त की, जिसकी उन्हें राज्य में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर अपेक्षा है।
तीन हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस की हालिया हार की पृष्ठभूमि में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ कड़ी सौदेबाजी की उन्हें उम्मीद है। इस बीच सूत्रों के मुताबिक, एसपी 2024 के लोकसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस के लिए 12 से अधिक निर्वाचन क्षेत्र छोड़ने को तैयार नहीं थी, लेकिन दूसरी ओर, कांग्रेस सीट बंटवारे के लिए 2009 को आधार बनाना चाहती थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने दम पर राज्य में 21 सीटें जीती थीं। हालांकि एसपी नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी को राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी), भीम आर्मी नेता चंद्रशेखर और अपना दल (कृष्णा पटेल) के लिए भी कुछ सीटें छोड़नी चाहिए। दरअसल, खुद को एक क्षेत्रीय दिग्गज से राष्ट्रीय इकाई में बदलने की संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से एसपी का 2022 की अपनी स्थिति में सुधार करने पर स्पष्ट जोर है।
– राहिल नोरा चोपड़ा