लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

केरल ने दिखाई नई राह

सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं को लेकर अलग-अलग बातें सामने आ रही हैं। अभिभावक परीक्षाएं रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने परीक्षाएं रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाल रखी है

सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं को लेकर अलग-अलग बातें सामने आ रही हैं। अभिभावक परीक्षाएं रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने परीक्षाएं रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाल रखी है। इस मामले पर शीर्ष अदालत ने सीबीएसई बोर्ड से जवाब भी तलब किया है। ऐसी स्थिति में केरल ने दसवीं-बारहवीं के अभ्यार्थियों को सुरक्षित परीक्षा दिला ​नई राह दिखला दी है। इस पर आगे बढ़ते हुए कर्नाटक में पूर्व विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम के लिए परीक्षा हुई। केरल में 13 लाख से ज्यादा अभ्यार्थियों ने परीक्षा दी। केरल का परीक्षा मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय होना चाहिए। यह मॉडल उन संस्थाओं के लिए भी अनुकरणीय होना चाहिए जो कोरोना काल में परीक्षाओं से बच रहे हैं या टालमटोल का रवैया अपनाए हुए हैं। केरल ने परीक्षा के लिए कड़े मापदंड तय किए थे ताकि किसी भी सूरत में बच्चे सुरक्षित रहें। सभी छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं 20 दिन पहले खत्म हो गई थीं लेकिन केरल सरकार ने इस बात की जानकारी देने के लिए 14 दिन का इंतजार किया क्योंकि कोरोना में 14 दिन का क्वारंटाइन काल है। इस दौरान परीक्षा देने वाले किसी भी बच्चे में कोरोना संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आए। केरल ने कोरोना काल में परीक्षा की जंग पांच तरीकों से जीती। परीक्षा केन्द्रों पर पांच हजार इंफ्रारेड थर्मामीटर भेजे गए। 5 दिन के अन्दर सभी केन्द्रों पर 25 लाख मास्क भेजे गए। बच्चों की निगरानी को स्वास्थय कर्मी, अतिरिक्त शिक्षक तैनात किए गए। आला अफसरों की निगरानी में परीक्षा केन्द्र सुबह और शाम सैनेटाइज किये गए। छात्रों को तीन मीटर की दूरी पर बैठाया गया। कर्नाटक में पूर्व विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में 6 लाख छात्र शामिल हुए। राज्य में 25 जून से चार जुलाई तक दसवीं आैर बारहवीं की परीक्षाएं होंगी।
 कोरोना काल में छात्रों की भी कड़ी परीक्षा हुई है। पहले बच्चों ने परीक्षाओं के लिए कड़ी मेहनत की लेकिन महामारी ने पूरा दृश्य ही बदल डाला। कोरोना वायरस के तेजी से फैलने पर दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं रद्द करनी पड़ीं। पढ़ाई की निरंतरता टूटी और सबका ध्यान अपनी सुरक्षा पर लग गया। अब पुनः परीक्षाएं एक से 15 जुलाई तक होनी हैं। बच्चों को दाेबारा मेहनत करनी पड़ रही है। सैंट्रल बोर्ड ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन के लिए बोर्ड की परीक्षाएं कराना चुनौती है। दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं छात्रों के जीवन का टर्निंग प्वाइंट होती हैं। इन्हीं परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर ही उनका करियर टिका होता है। यहीं से छात्र तय करते हैं कि उन्हें भविष्य में आगे क्या करना है। इसलिए परीक्षाएं टालना तो सम्भव दिखाई नहीं देता। यद्यपि सीबीएसई ने विशेष जरूरत वाले छात्रों को इस बात की राहत दी है कि ऐसे छात्र जो परीक्षा के लिए लेखक का सहयोग लेते हैं और वे इस परीक्षा में भाग नहीं लेना चाहते तो भी वैकल्पिक मूल्यांकन योजना के तहत उनके रिजल्ट घोषित किए जाएंगे। बोर्ड ने सामान्य छात्रों को विकल्प भी उपलब्ध करवाया है कि वे चाहें तो परीक्षा दें और चाहें तो न दें। इंटरनल परीक्षाओं के आधार पर बाकी बचे विषयों की मार्किंग की जाएगी। 
अभिभावक इस समय अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं। उनकी मांग है कि सीबीएसई पूर्व में करवाई गई परीक्षाओं के आधार पर छात्रों का रिजल्ट घोषित करे। सीबीएसई को चाहिए कि वह केरल मॉडल का अनुसरण कर परीक्षा के लिए सुरक्षा उपाय करे ताकि अभिभावक बच्चों को परीक्षा केन्द्रों तक भेजने के लिए तैयार हो जाएं। अब सवाल यह है कि क्या अभिभावक अपने बच्चों को परीक्षा देने के लिए तैयार करेंगे। अगर छात्रोें के ​िलए परीक्षा देने या नहीं देने का विकल्प मौजूद है तो फिर वे परीक्षा देंगे ही क्यों? कई बच्चे इंटरनल परीक्षाओं के प्रति गम्भीर नहीं होते और वह फाइनल परीक्षाओं के लिए अच्छी तैयारी करते हैं। इस तरह की पद्धति से प्रतिभाओं का सही मूल्यांकन नहीं होता। जिन बच्चों ने जीवन में ऊंची उड़ान भरने की ठान रखी है, उनके सामने परीक्षा देकर अच्छे अंक लाने का ही विकल्प बचा है। 
बेहतर यही होगा कि अभिभावक परीक्षाओं के लिए सीबीएसई  को सहयोग करें ताकि परीक्षाएं नियमों का पालन करते हुए हों। यदि अभिभावक तैयार नहीं होते तो फिर बोर्ड के आगे एक ही विकल्प है कि इंटरनल असेसमेंट के आधार पर बच्चों को पास किया जाए ताकि बच्चों का साल बर्बाद न हो। वैसे केरल और कर्नाटक ने परीक्षाएं सफलतापूर्वक करा ली हैं तो फिर बोर्ड परीक्षाएं क्यों नहीं करवा सकता। कोरोना को पराजित करने के लिए संकल्प शक्ति होनी ही चाहिए। केरल ने दृढ़संकल्प से ही कोरोना वायरस को पराजित करने में काफी हद तक सफलता पाई है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

two + 5 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।