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लिज ट्रस : छिन गई कुर्सी

सियासत बड़ी निष्ठुर होती है। कौन कब फर्श से अर्श पर पहुंच जाए और कौन अर्श से फर्श पर आ जाए कुछ पता नहीं चलता। ब्रिटेन की सत्ता पर लगभग छह सप्ताह पहले लिज ट्रस ने नए प्रधानमंत्री का पद सम्भाला था लेकिन एक माह के भीतर ही उनका जादू खत्म हो गया। राजनीतिज्ञों को नीति विषयक मामलों में फूंक-फूंक कर कदम रखना होता है। एक भी दांव उल्टा पड़ा तो चारों खाने चित्त। हालत यह है कि लिज ट्रस को कुर्सी छोड़नी पड़ी है और भारतीय मूल के ऋषि सुनक एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की दौड़ में हैं। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में बने हुए हैं। वैसे तो पिछले 6 वर्ष में ब्रिटेन में चार प्रधानमंत्री हो चुके हैं। लिज ट्रस के फैसलों ने ब्रिटेन को बदहाली के रास्ते  पर ला खड़ा किया। ऐसा लगता है कि ब्रिटेन गम्भीर आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है। अक्सर राजनीतिज्ञ लोकप्रिय होने के लिए लोकलुभावन कदम उठाते हैं। लिज ट्रस ने भी लोकलुभावन पग उठाए जो उन्हें काफी महंगे पड़े। हाल ही में ब्रिटेन के नए वित्त मंत्री ने लघु बजट पेश किया था जिसमें लिज ट्रस के वादों के अनुसार बहुत से टैक्स घटा दिए गए थे और बढ़ते ऊर्जा खर्च से राहत देने के​ लिए परिवारों को वित्तीय सहायता देने का प्रावधान किया गया था। इससे वित्तीय बाजार में उथल-पुथल मच गई और गिरावट को थामने के लिए बॉन्ड बाजार में हस्तक्षेप करना पड़ा। 

लघु बजट पेश करने के बाद ​ब्रिटिश मुद्रा पाउंड में भारी गिरावट देखने को मिली। इसके साथ ही सरकारी ऋण ब्याज में बढ़ौतरी हुई। इसे अमीरों के पक्ष में बताया गया। जो सर्वे सामने आ रहे हैं उसमें पाया गया कि कंजरवेटिव पार्टी के लगभग आधे समर्थकों का मानना है कि पार्टी ने ​लिज ट्रस को प्रधानमंत्री चुनकर गलत फैसला किया है। आर्थिक स्थिति सम्भालने में पूरी तरह नाकाम लिज ट्रस ने अपने वित्त मंत्री क्वासी क्वाटेंग को पद से बर्खास्त कर दिया। दिए गए आर्थिक पैकेज को बीच में ही छोड़ दिया। क्वासी वित्त मंत्री पद पर केवल 6 सप्ताह ही रह पाए। लिज ट्रस का मानना था कि टैक्स कटौती से आर्थिक वृद्धि को मदद मिलेगी, लोगों को राहत मिलेगी और सरकार का राजस्व बढ़ेगा, लेकिन अर्थशास्त्री इन नीतियों को गलत मानते थे। कर कटौती के प्रस्तावों को देखते हुए वित्तमंत्री ने करीब 60 अरब पाउंड कर्ज लेने की घोषणा कर दी थी। निवेशकों ने टैक्स कटौती और उधार में वृद्धि को नकार दिया। हालात नियंत्रण से बाहर होते गए और वित्तीय तंत्र पूरी तरह बर्बादी के कगार पर आ गया। ब्रिटेन में महंगाई इस समय 10 प्रतिशत के स्तर पर है। लिज ट्रस द्वारा की गई घोषणाएं उतावलापन ही साबित हुुईं। अपने ही फैसलों को पलट देने के बाद जनता में गलत संदेश गया और लिज ट्रस की लोकप्रियता जमीन पर आ गई। 

यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण वातावरण काफी अनिश्चित है। तेल, ऊर्जा संकट और लगातार बढ़ती महंगाई के चलते पूंजीपति भी अभी निवेश को तैयार नहीं हैं। देश के हालत को देखते हुए कंजरवेटिव पार्टी पूरी तरह से डरी हुई है और उसे अपनी लोकप्रियता कम होती दिख रही है। ब्रिटिश मीडिया ने अब लिज ट्रस का मजाक भी उड़ाना शुरू कर दिया था। लिज ट्रस की नीतियां ही उनके ​गले की फांस बन गई थी। यद्यपि लिज ट्रस ने विवादित मिनी बजट को लेकर देश से माफी मांग ली है, लेकिन कंजरवेटिव पार्टी के अधिकांश सदस्य यह चाहते थे कि ट्रस को हटना चाहिए। ऋषि सुनक लगातार टैक्स कटौती की नीतियों को लेकर चुनौती देते रहे हैं। हालांकि सरकार के टैक्स कटौती के फैसलों के बाद ऋषि सुनक चुप्पी साधे रहे हैं। ब्रिटेन के अनुभवों से हर किसी को सबक लेना चाहिए कि लोकलुभावन नीतियों का परिणाम कई बार काफी घातक निकलता है। सुनक की टीम पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर गढ़ाए हुए है। सर्वेक्षणों में भी ऋषि सुनक बढ़त बनाए हुए हैं। ट्रस का इस्तीफा ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति को बयान करने के लिए काफी है।

ब्रिटेन में अब कई विकल्पों पर विचार होने लगे हैं और एक विकल्प ये भी है, कि 49 साल के मोर्डंट को पार्टी नेता और नया प्रधानमंत्री बनाया जाए और ऋषि सुनक को उनके शानदार अनुभव को देखते हुए देश का नया वित्त मंत्री बनाया जाए।  ऋषि सुनक की ब्रिटेन के अन्दर काफी तारीफ इस बात को लेकर हो रही है कि उन्होंने पहले ही उथल-पुथल को लेकर चेतावनी लिज ट्रस को दे दी थी, लेकिन ट्रस ने उनकी बातों को अनसुना कर ​दिया और परिणाम भुगता। वहीं एक वरिष्ठ टोरी सांसद ने ‘द टाइम्स’ में कहा था कि ‘‘एक नए राज्याभिषेक की व्यवस्था करना इतना कठिन नहीं होगा।’’ उनका कहना सही साबित हुआ। कंजरवेटिव पार्टी का मानना है कि ऋषि सुनक के साथ एक समझौता सम्भव है, जो पार्टी की सदस्यता में लिज ट्रस से हार गए थे और मोर्डंट जो सांसदों के बीच मतदान के शुरूआती चरण में तीसरे स्थान पर आए थे, उन्होंने रेस से बाहर होने के बाद लिज ट्रस को अपना समर्थन दे दिया था। हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के वफादारों ने असंतुष्ट ऋ​षि सुनक समर्थकों द्वारा इस तरह की लोकतंत्र विरोधी साजिश की निंदा की है। ​लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद ऋषि सुनक और बोरिस जाॅनसन के साथ जेरेमी हंट और पेनी मोर्डंट भी पीएम पद के दावेदार माने जा रहे हैं। देखना होगा कि इस्तीफे के बाद लिज ट्रस अपना उत्तराधिकारी चुनने का निर्णय लेंगी या फिर ​​​ब्रिटेन आम चुनावों की तरफ बढ़ेगा।

आदित्य नारायण चोपड़ा

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