आज लोहड़ी है और पूरे उत्तर भारत, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा, में इस त्याैहार की बहुत ज्यादा मान्यता है। यह त्याैहार मूल रूप से बेटियों की सुरक्षा से जुड़ा है। आज इसे बेटियों की लोहड़ी के रूप में भी मनाया जा रहा है। छोटे-छोटे बच्चे और लड़कियां पंजाब के शहरों में जिस मोहल्ले में रहते हैं वहां इकट्ठे होकर गाते हैं ‘सुन्दर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो, दुल्हा भट्टी वाला हो …।’ यह लोकगीत बड़ी मधुरता और जोश के साथ गाने पर अनेक लोग उन्हें पैसे और रेवड़ी, मूंगफली और गजक देते हैं। शाम को एक बड़ा अलाव जलाने पर यही सब प्रसाद वहां उपस्थित लोगों को वितरित किया जाता है। पहले लोग लड़के की यानी बेटे की पहली लोहड़ी या शादी के बाद पहली लोहड़ी बड़ी धूमधाम से मनाते थे, परन्तु अब समय के साथ-साथ जैसे-जैसे बेटियों की महत्ता समाज और देश में बढ़ने लगी और सभी बेटे-बेटी को एक समान मानने लगे तो अब बड़ी धूमधाम से बेटियों की लोहड़ी भी मनाई जाती है। विशेषकर हरियाणा और पंजाब में लोगाें ने बहुत धूमधाम से शुरूआत की है। अब दिल्ली में भी बड़े जोर-शोर से शुरू हो गया है।
मारवाड़ी लोग कन्या होने पर कुआं पूजन और लोहड़ी मनाने लगे हैं। पिछले दिनों मुझे प्रसिद्ध समाजसेवी रजनीश गोयनका का फोन आया कि भाभी जी मैं आप से मिलना चाहता हूं और जिस कारण से मिलना चाहता हूं आप बहुत खुश होंगी। मैंने अपनी व्यस्तता के चलते फोन पर बात रखने को कही तो उन्होंने कहा भाभी जी आपके अनुसार हम अपनी नातिन की लोहड़ी बड़ी धूमधाम से मनाने जा रहे हैं और आपको आना है और आपने पंजाबियों की लोहड़ियां तो बहुत देखी हैं अब मारवाडि़यों की भी देखो। वैसे गोयनका जी अमृतसर (पंजाब) से हैं। सच में मुझे बहुत खुशी हुई। हकीकत यही है कि देश से विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा से बेटियां पैदा होने पर परिवार जश्न मनाने लगे तो इन दो राज्यों के अलावा अब दिल्ली में भी बेटियां होते ही लोग जश्न मना रहे हैं। मेरे पास कई निमंत्रण आए हैं कि उनके यहां बेटी हुई है और लोहड़ी धूमधाम से मनाई जाएगी। इसीलिए मैंने लोहड़ी को बेटी दिवस का नाम दिया है। इससे जुड़ी मकर संक्रांति की भी चर्चा कर लें जो कल यानी सोमवार को है। क्या विचित्र संयोग है कि लोहड़ी से अगले दिन सूर्य उत्तरायण पर आ जाते हैं और मकर संक्रांति मनाई जाती है जिसका बहुत आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। मल मास की समाप्ति और सूर्य भगवान की कृपा प्रकृति से अगर जोड़ी जाए तो सर्दियों की विदाई और गर्मियों के आगमन का संकेत मिलता है। अपनी-अपनी नई फसल काटकर प्रभु से बरकत मिलने की कामना की जाती है।
खिचड़ी और रेवड़ी, मूंगफली तथा गन्ने के रस की खीर लोहड़ी और मकर संक्रांति पर प्रसाद के रूप में अहमियत रखती है। भारत में हर पर्व को श्रद्धा, आस्था, हर्षोल्लास एवं उमंग के साथ मनाया जाता है। पर्व एवं त्यौहार प्रत्येक राष्ट्र की संस्कृति तथा सभ्यता को उजागर करते हैं। इस दिन लोग पंतगबाजी भी करते हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि बेटियों की सुरक्षा और उनका सम्मान मेरी समाज के प्रति सेवा में प्रमुख रहे हैं। चाहे वाे चौपाल के माध्यम से हाे या बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मूवमेंट से हो या बेटियों के बारे में लिख कर या बोल कर हो। सभी को लोहड़ी और मकर संक्रांति की बहुत-बहुत बधाई हो।