लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

अमेरिका में खिला ‘कमल’

भारतीय मूल की कमला हैरिस ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति पद के चुनावों के लिए टिकट हासिल कर इतिहास रच दिया है। अमेरिकी चुनावी में डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन ने कैलि​फोर्निया की सीनेटर कमला हैरिस को अपनी पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है।

भारतीय मूल की कमला हैरिस ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति पद के चुनावों के लिए टिकट हासिल कर इतिहास रच दिया है। अमेरिकी चुनावी में डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन ने कैलि​फोर्निया की सीनेटर कमला हैरिस को अपनी पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। वह अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में खड़ी होने वाली पहली एशियाई अमेरिकी है। अमेरिका में रह रहे अप्रवासी भारतीयों और स्वयं भारत के लोगों की दिलचस्पी इस चुनाव में बढ़ गई है क्योंकि कमला हैरिस का संबंध भारत से है। उनके ​रिश्तेदार बेंगलुरु और चेन्नई में रहते हैं। कमला हैरिस कई बार चेन्नई आकर परिवार के लोगों से मिलती रही हैं। कैलिफोर्निया की डेमोक्रेट नेता कमला हैरिस ऑकलैंड में पैदा हुईं। उनकी मां भारतीय मूल की हैं और पिता जमैका मूल के। तलाक के बाद हैरिस को उनकी हिन्दू मां ने अकेले पाला। उनकी मां कैंसर रिसर्चर और सिविल राईट्स एक्टिविस्ट रहीं। कमला हैरिस भारतीय विरासत में पली-बढ़ी। भारतीय जहां भी जाते हैं, वहां की संस्कृति और संविधान को आत्मसात कर लेते हैं। अप्रवासी भारतीय जहां-जहां भी रहते हैं, वहां के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहता है। विपरीत परिस्थितियों को खुद के अनुकूल बना लेना भारतीयों की विशेषता है। कमला हैरिस की मां ने भी अमरीकी-अफ्रीकी संस्कृति अपना ली थी और दोनों बेटियों कमला और माया को भी इसी में रखा। उनकी मां जानती थी कि वह दो अश्वेत बेटियों को पाल रही हैैं।
कमला हैरिस का सपना तो अमेरिकी राष्ट्रपति बनने का था, वह सपना तो टूट गया लेकिन अब हैरिस के पास कमाल दिखाने का एक और मौका आ गया है। इससे पहले दो बार किसी महिला को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया था।  1984 में डेमोक्रेटिक पार्टी ने गिरालडिन फेरारो को अपना उम्मीदवार बनाया था और 2008 में रिपब्लिकन पार्टी ने सारा पैलिन को अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन दोनों चुनाव हार गई थीं।
उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी तक पहुंचना आसान नहीं होता, इसके लिए योग्यता, समझ-बूझ, प्रतिभा और जुझारूपन चाहिए। कमला ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की, बाद में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली और फिर वकालत शुरू की। उसके बाद वह अमेरिका के सबसे बड़े राज्य कैलिफोर्निया की अटार्नी जनरल बनीं। इस पद पर पहुंचने वाली वह पहली अफ्रीकी-अमेरिकी थीं। कमला हैरिस दो बार अटार्नी जनरल रहीं और 2017 में वह सांसद बनीं। वह पुलिस सुधारों की प्रबल समर्थक हैं। उन्हें एक बेहतरीन योद्धा और बेहतरीन नौकरशाहों में से एक माना जाता है। उन्होंने बड़े-बड़े बैंकों को चुनौती दी, कामगारों की मदद की और महिलाओं तथा बच्चों को शोषण से बचाया। गे मैरिज और मृत्युदंड जैसे मसलों पर वामपंथी झुकाव होने के बावजूद वह बार-बार प्रगतिशील सोच वाले लोगों के निशाने पर रहीं। कमला हैरिस ने अपनी विरासत के ज्यादा वामपंथी झुकाव वाले हिस्सों पर जोर देने की कोशिश की। जैसे कैलिफोर्निया के डिपार्टमैंट ऑफ जस्टिस के कुछ खास एजैंट्स को बॉडी कैमरे का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया, इस फैसले पर अमल करने वाली यह पहली स्टेट एजैंसी बनीं और उन्होंने डेटाबेस लांच किया। जिससे आम लोग भी अपराध के आंकड़े देख सकते हैं। इस समय अमेरिका में नस्लवादी घटनाओं और पुलिस की बर्बरता पर जोरदार बहस छिड़ी हुई है। ऐसे में हैरिस को अपने अनुभव का फायदा मिल सकता है। हैरिस ने सिस्टमैटिक नस्लवाद को खत्म करने पर हमेशा अपनी आवाज बुलंद की है। हैरिस हमेशा अपनी पहचान को लेकर सहज रही हैं और खुद को अमेरिकी कहती हैं। उनका कहना है कि ‘‘राजनीतिज्ञों को उनकी पृष्ठभूमि आैर रंग की वजह से किसी खांचे में फिट नहीं करना चाहिए, मैं वो हूं जो मैं हूं।’’
एक वर्ष पहले कमला हैरिस ने अपनी अलग छाप छोड़ी थी। उन्होंने बेहतरीन भाषण भी ​​दिए जो काफी चर्चा में रहे। राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल होने के लिए उन्होंने जो बाइडन की आलोचना भी की थी। अब उसी जो बाइडन ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुन लिया। भारतीय अमेरिकी समुदाय के लिए यह गर्व की बात है क्योंकि इस देश में भारतीय-अमेरिकी वास्तव में मुख्य धारा में शामिल हो चुके हैं। एक भारतीय-अमेरिकी समूह ने कहा है कि वह कमला हैरिस के अभियान के लिए दस लाख डालर जुटाएगा। भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए कमला हैरिस एक बदलाव का प्रतीक हैं। उनकी दावेदारी न सिर्फ अश्वेत अमेरिकियों ​बल्कि लाखों एशियाई अमेरिकी वोटरों को प्रेरणा देगी। उनके समर्थकों ने देशभर में अमेरिका में खिला कमल अभियान चलाने की घोषणा की है। भारतीय-अमेरिकी तीन नवम्बर को होने वाले चुनाव के लिए ग्राफिक्स आैर सोशल मीडिया पोस्ट रिलीज करने की तैयारियां कर रहे हैं। अमेरिकी लोग अब मार्टिन लूथर किंग जूनियर को याद कर रहे हैं, जिन्होंने महात्मा गांधी से प्रेरणा पाई थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी आलोचक रहीं कमला हैरिस 2016 में हिलेरी क्लिंटन के प्रचार अभियान का हिस्सा रहीं।
डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी टीम ने यह कहकर उनकी उम्मीदवारी की आलोचना की कि कमला हैरिस का चुना जाना बताता है कि जो बाइडन खाली कवच है जो कि अतिवादी वामपंथी एजैंडा से भरा जा रहा है। दूसरी तरफ पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का कहना है कि जिन लोगों ने अपना पूरा करियर हमारे संविधान को बचाने के लिए लगाया है और उन लोगों की लड़ाई लड़ी है जिन्हें जायज हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। चुनावों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। देखना होगा कि अमेरिका के लोग क्या जनादेश देते हैं। फ़िलहाल कमला हैरिस की उम्मीदवारी से अमेरिका में कमल खिल चुका है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

8 + 10 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।