लव जेहाद और धर्मांतरण जैसे मुद्दे फिर उछल गए हैं। वैसे तो अंग्रेजी शब्द लव का अर्थ होता है प्यार और जेहाद का मतलब होता है संघर्ष यानी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कुछ भी करना। यह सही है कि लव कभी जेहाद नहीं हो सकता। प्यार तो जुनून होता है। ‘लव जेहाद’ एक गढ़ा हुआ शब्द है या वास्तविकता, देश कई वर्षों से इस मुद्दे पर उलझा रहा है। लव जेहाद शब्द का इस्तेमाल करने वालों को लोग साम्प्रदायिक, सायको, पागल और न जाने क्या-क्या कहते आ रहे हैं। बहुत से लोग लव जेहाद शब्द का इस्तेमाल करने वालों को इन्सानियत के लम्बे-चौड़े भाषण तक सुनाते रहे हैं। लव जेहाद के बारे में अब जो खुलासे हो रहे हैं, उससे तो ‘धर्मनिरपेक्ष’ लोगों की आंखें खुल गई होंगी। इन तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों ने ‘लव जेहाद’ को छिपाकर देश से बड़ा धोखा किया है। अब सब ‘धर्मनिरपेक्ष’ सकते में हैं। प्रेम, मुहब्बत कोई बुरी चीज नहीं। अंतरधार्मिक, अंतरजातीय शादियां भी होती रही हैं। फिल्म उद्योग की कई ऐसी शादियां चर्चित भी रही हैं, उनका दाम्पत्य जीवन भी काफी खुशगवार आैर सुखद रहा है और समाज ने उन्हें स्वीकार भी किया है और उन्हें सम्मान भी दिया है लेकिन अगर ऐसा एक पैटर्न के आधार पर हो रहा है तो यह बहुत खतरनाक है। देश के हिन्दुओं को यह पता होना ही चाहिए कि लव जेहाद एक सुनियोजित साजिश है, जिसका एकमात्र उद्देश्य है जनसांख्यिकी में परिवर्तन करना। इसे केवल दिल का मामला नहीं बनाया जा सकता है। लव जेहाद का एक पहलू यह भी है, इसके जरिये पहले जनसंख्या के संतुलन को नाजुक बनाया जाता है, फिर उसे पतनशील बनाया जाता है।
लव जेहाद का शिकार न केवल केरल की हिन्दू आैर ईसाई लड़कियां हो रही हैं बल्कि देश के कई अन्य राज्यों में भी ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जहां हिन्दू लड़कियां मुस्लिम युवकों के प्रेमपाश में फंसकर धर्म परिवर्तन करती हैं और फिर शादी कर लेती हैं। कई परिणाम सुखद भी रहते हैं, कई बार उनके साथ धोखा भी होता है। अब तो केरल की शिक्षित हिन्दू लड़कियों से शादी कर उनमें कट्टरता का जहर भरा जाता है और उन्हें दुनिया के सर्वाधिक खूंखार आतंकवादी संगठन आईएस में भर्ती होने को मजबूर किया जा रहा है। अक्तूबर 2009 में कर्नाटक सरकार ने लव जेहाद का प्रतिकार करने का फैसला किया था, जो एक गम्भीर मामला नजर आ रहा था। कर्नाटक सरकार ने अपराध शाखा सीआईडी को स्थिति की इस दृष्टिकोण से जांच करने का आदेश दिया था कि क्या इन लड़कियों को कन्वर्ट करने का कोई सुसंगठित प्रयास चल रहा है आैर यिद हां तो इसके लिए पैसों की व्यवस्था कौन कर रहा है। इसी प्रकार की जांच केरल सरकार ने भी करवाई थी। 2006 से 2009 के बीच महज 3 वर्ष में केरल में घटी लव जेहाद की घटनाओं का जिलेवार ब्यौरा चाैंकाने वाला था। केरल सरकार ने 2,876 लड़कियों में से 705 के मामले ही दर्ज किए थे। केरल सरकार लगातार इस पर लीपापोती करती रही। यह बात तो पहले से पता है कि भारत में सक्रिय मुस्लिम संगठनों को खाड़ी देशों से भारी मात्रा में धन भेजा जाता है। इस धन का इस्तेमाल हिन्दू लड़कियों को बहला-फुसलाकर इस्लाम में कन्वर्ट करने पर हो रहा है। यह बात काफी अर्से तक छिपी रही।
तुष्टीकरण की नीतियों के चलते पिछले 70 वर्षों में देश में इंडियन रिसर्च फाउंडेशन, सिमी, पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे कट्टरपंथी संगठन एवं जाकिर नाईक जैसे अतिवादियों को बिना किसी रोक-टोक देश में धर्म परिवर्तन को प्रोत्साहन देने तथा समाज को साम्प्रदायिक आधार पर बांटने तथा उनके बीच वैमनस्य के बीज बोने की खुली छूट दी जाती रही है। भंडाफोड़ हुआ तो जाकिर नाईक देश से फरार हो गया है। पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन है जो कि नेशनल डिवेल्पमेंट फोरम, मनीठा नीथी परसाई, कर्नाटक फोरम ऑफ डिग्निटी आदि संगठनों के एक मंच पर आने के बाद 2006 में बना था। 2012 में केरल सरकार ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर सूचित किया था कि पीएफआई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सीपीआईएम के 27 कार्यकर्ताओं की हत्या का दोषी है। इसी संगठन पर केरल और कर्नाटक में लव जेहाद चलाने का भी आरोप है। गैर-मुस्लिम लड़कियों की कच्ची उम्र, भावनात्मक तौर पर कच्ची समझ, आर्थिक प्रलोभन और खासतौर पर महंगे मोबाइल आैर कपड़े सरीखे उपहारों का अहसान उन्हें आंखें खोलकर हकीकत को समझने से बचा लेता है। लव जेहाद के विस्तार पाने का एक कारण यह है कि हिन्दू धार्मिक रूप से काफी उदार है, वह अपने बच्चों के फैसलों को स्वीकार भी कर लेता है।
अब एनआईए को लव जेहाद के बारे में पुख्ता जानकारियां मिल चुकी हैं कि किस तरह कुछ संगठन पैसे के बल पर लड़कियों को बहला-फुसला रहे हैं। केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि केरल में लव जेहाद के नाम पर आतंकी गतिविधियां चल रही हैं। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है। कुछ आतंकी इस्लामिक स्टेट को केरल में स्थापित करना चाहते हैं। केरल की अखिला हादिया कैसे बनी, वह अपने पति के साथ रहना चाहती है या नहीं, इसका निर्धारण तो अखिला के अदालत में बयान से होगा। यह भी जानकारी मिली है कि विभिन्न धर्मों की लड़कियों को कन्वर्ट करने पर अलग-अलग रेट भी तय कर रखे हैं। ऐसा क्यों हो रहा है, इसका स्पष्ट उत्तर है कि हिन्दू समाज ने वैदिक धर्म की श्रेष्ठता और अवैदिक मतों की निकृष्टता के अपनी सन्तानों को अवगत कराना छोड़ दिया है। राष्ट्रीय, सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर पिरवार के सदस्यों में वार्तालाप की कमी है और हिन्दू समाज में केवल पैसा जोड़ना धार्मिक होने से अधिक महत्वपूर्ण हो चुका है। देश के हिन्दुओं को अपनी आंखें खोलनी ही चाहिएं।