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महाराजा कंगाल हो गया!

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द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1946 में टाटा एयरलाइन्स की कम्पनी को सार्वजनिक कम्पनी के रूप में एयर इंडिया लिमिटेड के नाम से परिवर्तित किया गया था। दो वर्ष बाद मुम्बई और काहिरा, जिनेवा तथा लन्दन के बीच अंतर्राष्ट्रीय सेवाएं प्रदान करने के लिए एयर इंडिया इंटरनेशनल लिमिटेड का नाम दिया गया। 1953 में इंडियन एयरलाइन्स का राष्ट्रीयकरण किया गया तथा दो निगम बनाए गए। एक घरेलू सेवाओं के लिए इंडियन एयरलाइन्स कार्पोरेशन के नाम से तथा दूसरी अंतर्राष्ट्रीय सेवाओं के लिए एयर इंडिया। 1994 में पुनः एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया। एयर इंडिया का लगातार विस्तार हुआ। 1990 में एयर इंडिया ने दुनियाभर में ख्याति अर्जित की थी। जब 59 दिन तक चले अभियान में 488 उड़ानों के द्वारा खाड़ी देशों में फंसे 1,11,711 यात्रियों को सम्मान से मुम्बई लाया गया था। यह किसी भी वायुसेना द्वारा नागरिकों को स्थानांतरित करने का उस समय तक का सबसे बड़ा साहसिक कार्य था। एयर इंडिया ने ऐसा कई बार किया। जिस कम्पनी का इतिहास इतना गौरवमयी हो वही आज आर्थिक संकट से जूझ रही है।

50 हजार करोड़ के कर्ज के बोझ से दबी एयर इंडिया को अपने 127 विमानों के बेड़े में मजबूरन 20 विमानों का परिचालन बन्द करना पड़ा है, क्योंकि उसके पास इन विमानों के इंजन बदलने को लेकर पैसे नहीं हैं। इनमें दो गलियारे वाले चौड़े विमान तथा एक गलियारे वाले विमान शामिल हैं। कर्ज में डूबी एयर इंडिया अब सरकार से मिल रही मदद से चल रही है। उसे इन विमानों के इंजन बदलवाने के लिए 1500 करोड़ की जरूरत है। पिछले वर्ष इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि कम्पनी के 19 विमान कलपुर्जों के अभाव में परिचालन से बाहर हैं। इससे एयरलाइन्स को नुक्सान हो रहा है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को आत्मघाती बम विस्फोट के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के कारण भारतीय उड़ानों के लिए पाकिस्तानी क्षेत्र को बन्द कर दिए जाने से भी एयर इंडिया को रोजाना 6 करोड़ का नुक्सान हो रहा है।

पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में रोक के कारण एयर इंडिया की उड़ान को नई दिल्ली से अमेरिका जाने में अब दो-तीन घंटे अधिक लगते हैं, वहीं यूरोप की उड़ानों को करीब दो घंटे अधिक लगते हैं जिससे वित्तीय नुक्सान हो रहा है। यहां तक कि अमेरिकी विमान सेवा कम्पनी यूनाइटेड ने दिल्ली-न्यूयार्क की उड़ान अस्थायी रूप से रद्द कर दी है और हालात पर उसकी नजर है। उड़ानों की दिशा में परिवर्तन को लेकर अब तक 350 करोड़ का नुक्सान एयर इंडिया को हो चुका है। एयर इंडिया की साख को लगातार धक्का लग रहा है। एयर इंडिया ने पिछले सप्ताह निलम्बित पायलट अरविन्द कठपालिया को एयरलाइन्स के क्षेत्रीय निदेशक (उत्तरी क्षेत्र) के पद पर पदोन्नत करने का आदेश जारी किया लेकिन इस आदेश पर कुछ घंटे बाद ही रोक लगा दी गई। कठपालिया की नियुक्ति के एक घंटे बाद ही नई अधिसूचना जारी की गई। कठपालिया का पायलट लाइसेंस नवम्बर 2018 में उड़ान से पहले हुए अल्कोहल टैस्ट में नाकाम रहने पर निलम्बित किया गया था। हैरानी होती है कि एयर इंडिया का प्रबन्धन कैसे काम कर रहा है। एयर इंडिया का सर्वर डाउन होने से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

अब सवाल यह है कि माल्या की किंगफिशर एयरलाइन्स और जेट एयरवेज के बन्द होने के बाद भारत की फ्लैगशिप कम्पनी एयर इंडिया का भविष्य क्या होगा? पिछले वर्ष नागर विमानन मंत्रालय ने एयर इंडिया की 76 फीसदी इक्विटी शेयर पूंजी की बिक्री का प्रस्ताव किया था। इसके अलावा एयर इंडिया के प्रबन्धन का नियंत्रण भी निजी कम्पनी को देने का प्रस्ताव रखा था। प्रस्ताव के अनुसार यह भी कहा गया था कि बोली जीतने वाली कम्पनी को कम से कम तीन साल तक एयरलाइन्स में अपने निवेश को कायम रखना होगा। एयरलाइन्स के कर्मचारी एयर इंडिया के विनिवेश का विरोध पहले ही कर रहे थे। एयरलाइन्स के रणनीतिक विनिवेश के लिए कोई बोली लगाने नहीं आया। रुचि पत्र देने की समय-सीमा खत्म हो गई। मजबूर होकर सरकार को इरादा त्यागना पड़ा और एयर इंडिया के व्यापक पुनर्गठन की बात की जाने लगी।

संसद की लोक लेखा समिति के कुछ सदस्यों ने भी एयर इंडिया के विनिवेश पर सवाल उठाए थे और जानना चाहा था कि केन्द्र सरकार द्वारा संचालित इस एयरलाइन्स को हुए भारी नुक्सान के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा था कि एयर इंडिया का प्रबन्धन और नियंत्रण किसी भारतीय कम्पनी के पास ही रहना चाहिए। उन्होंने सरकार को देश के नए क्षेत्र में स्वामित्व और नियंत्रण खोने के प्रति सावधान रहने की सलाह दी थी। संसद में पेश एक सर्वेक्षण के दौरान सरकारी कम्पनी बीएसएनएल, एयर इंडिया और एमटीएनएल घाटे वाली कम्पनियां हैं। क्या हर बीमार कम्पनियों का इलाज केवल विनिवेश है, यह सवाल उठाया जा रहा है। नई सरकार के लिए खस्ताहाल कम्पनियों की स्थिति में सुधार करना बड़ी चुनौती होगी। किंगफिशर और जेट एयरवेज का परिचालन ठप्प होने की वजह से एयर इंडिया उनकी खाली पड़ी जगह भर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कभी एयर इंडिया का लोगो महाराजा बहुत मशहूर था। लोग इस लोगो को घरों में सजाते थे लेकिन कुप्रबन्धन की वजह से महाराजा कंगाल हो गया। देखना होगा कि कम्पनी का हश्र क्या होता है।

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