लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

ममता का भवानीपुर

पश्चिम बंगाल में तीन विधानसभा सीटों भवानीपुर, समसेरगंज और जंगीपुर में उपचुनावों के लिए मतदान हो चुका है। सबसे ज्यादा चर्चा भवानीपुर सीट की है क्योंकि यहां से खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं।

पश्चिम बंगाल में तीन विधानसभा सीटों भवानीपुर, समसेरगंज  और जंगीपुर में उपचुनावों के लिए मतदान हो चुका है। सबसे ज्यादा चर्चा भवानीपुर सीट की है क्योंकि यहां से खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए यह चुनाव जीतना जरूरी है। विधानसभा चुनाव में ममता नंदीग्राम से चुनाव लड़ी थीं और वह भाजपा के शुभेन्दु अधिकारी से 1956 वोटों से हार गई थीं लेकिन ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था। ममता पश्चिम बंगाल की ऐसी तीसरी मुख्यमंत्री हैं, जो खुद चुनाव हारी हैं। इससे पहले वर्ष 1967 में प्रफुल्ल चन्द्र सेन और 2011 में वामपंथी बुद्धदेव भट्टाचार्य भी अपनी सीट नहीं बचा सके थे। भाजपा ने ममता के खिलाफ एडवोकेट प्रियंका टिबरेवाल को मैदान में उतारा था। चुनाव प्रचार में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी थी। भाजपा के 80 से ज्यादा नेताओं ने भवानीपुर के एक-एक वार्ड में पहुंच कर प्रचार​​ किया। अनेक केन्द्रीय मंत्री वहां घर-घर प्रचार करते दिखे। दूसरी ओर ममता ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ रैलियां कीं। ममता भवानीपुर से ऐतिहासिक जीत दर्ज करना चाहती हैं। ममता ने चुनाव प्रचार की शुरूआत के समय ही कह दिया था कि भवानीपुर सीट से फिर खेला शुरू हो रहा है और केन्द्र में भाजपा को हराने के साथ ही खत्म होगा। इसका अर्थ यही है कि इस उपचुनाव के माध्यम से उन्होंने खुद को विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा बनाने की कोशिश की है। अगर ममता का पूरा चुनाव प्रचार देखा जाए तो उसने स्थानीय मुद्दे उठाए हैं। उसने भाजपा नेतृत्व पर जमकर निशाने साधे। सीबीआई और ईडी पर सवाल उठाए। वहीं भाजपा ने विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा को ही सबसे बड़ा मुद्दा बनाया। बंगाल में संविधान खत्म होने की बातें भी उछाली गईं। 
ममता के मंत्री वार्ड-वार्ड घूमे, तृणमूल कार्यकर्ताओं ने दिन-रात एक कर दिया। ममता बनर्जी पिछले दो चुनाव अपने घर की सीट भवानीपुर से जीतती रही हैं। अब वह वापिस इस सीट से चुनाव लड़ रही हैं तो इस सीट का इतिहास जानना भी जरूरी है। 2021 में इस सीट पर तृणमूल के शोभन देव चट्टोपाध्याय लड़े। शोमन देव को 73,305 वोट मिले। यह कुल वोट का 57.71 फीसदी था। वहीं भाजपा की रूद्रानी घोष को 44.786 वोट मिले थे जो 35.16 फीसदी था। कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। उसके उम्मीदवार मोहम्मद शादाब को महज 5,211 वोट ही मिले थे। 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता ने लेफ्ट का 34 साल पुराना किला ध्वस्त किया था। तब इस सीट से तृणमूल कांग्रस के सब्रत बख्शी जीते थे। तब उसे 67.77 फीसदी वोट मिले थे। ममता ने इसी सीट से उपचुनाव लड़ा था। उन्हें 77.46 फीसदी वोट मिले थे। उन्होंने सीपीएम की नंदिनी मुखर्जी को करीब 95 हजार वोटों से पराजित किया था। यानी ममता ने 12.69 प्रतिशत ज्यादा मत हासिल किए थे। इसके 5 वर्ष बाद 2016 के विधानसभा चुनावों में ममता की जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2011 में जितना उनकी जीत का अंतर था। 
46 फीसदी बंगाली वोटर हैं, 34 फीसदी सिख और गैर बंगाली वोटर हैं, जबकि 20 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। बंगाली और मुस्लिम मतदाता ममता की ताकत हैं। ममता की 2024 के चुनावों में खुद को राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरने की महत्वाकांक्षा रखती हैं। उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने कांग्रेस को नसीहत दी है कि अगर वह भाजपा का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है तो फिर तृणमूल कांग्रेस भाजपा का मुकाबला करेगी। ममता का राष्ट्रीय राजनीति में चेहरा बनकर उभरना कोई चौंकाने वाली बात नहीं होगी, क्योंकि यह सब परिस्थितियों पर निर्भर करता है। क्याेंकि देश की राजनीति में कई बार क्षत्रपों ने केन्द्र की सरकार बनाने में अहम भूमिका​ निभाई है। फिलहाल अभी यह दूर की कौड़ी है। अब देखना यह है कि चुनाव परिणामों में क्या निकलता है। भाजपा की प्रियंका टिबरेवाल ने भी मतदाताओं से सम्पर्क साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब भाजपा के बड़े नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए तो प्रियंका ने मुख्यमंत्री ममता के​ खिलाफ ताल ठोक कर साहस का परिचय तो दिया ही है। 

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twelve + thirteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।