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मन की बात यानि देश की आवाज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 100 एपिसोड आज पूरे हो गए। इस कार्यक्रम के जरिए देश के नायक यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के बीच संवाद की नई परम्परा कायम की है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 100 एपिसोड आज पूरे हो गए। इस कार्यक्रम के जरिए देश के नायक यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के बीच संवाद की नई परम्परा कायम की है। लोकतंत्र में जनता से सीधा संवाद बहुत महत्वपूर्ण होता है। प्रधानमंत्री ने देश की जनता से सीधा संवाद स्थापित कर एक नया आयाम स्थापित कर दिया।  सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सामाजिक मूल्यों पर बल दिया। राजनीतिक शब्दावली से कहीं अलग उनके शब्दों ने श्रोताओं पर जादू सा असर किया। उन्होंने समाज के उन लोगों की चर्चा की जो देश के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं, लेकिन उनकी खबरें कभी सामने नहीं आईं। राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे को उठाने के लिए प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम का जमकर इस्तेमाल किया। उन्होंने विकलांग व्यक्तियों के जीवन के सभी पहलुओं को छुआ और उन्हें ‘दिव्यांग’ का नाम दिया। उनके संबोधन के बाद विकलांगों के प्रति समाज का नजरिया बदला। कभी उन्होंने प्रेरित कहानियां बताईं, हर सप्ताह वह किसी न किसी भारतीय राज्य के बारे में चर्चा करते रहे। उन्होंने देशभर के लोगों को स्वच्छता, शिक्षा, पारम्परिक चिकित्सा जैसे क्षेत्र में राज्यों की उपल​िब्धयों का जिक्र किया। कभी उन्होंने स्कूली छात्रों से बात की, तो कभी आ​िदवासी गांव के लिए शौचालय बनाने वाले इंजीनियरिंग छात्रों से बात की।
छात्रों पर परीक्षाओं के दबाव को लेकर और अभिभावकों के व्यवहार पर उन्होंने विशेष चर्चा की।  मन की बात कार्यक्रम से आकाशवाणी को एक बार फिर लोकप्रिय बना दिया। कभी समय था जब लोग रेडियो पर ही समाचार सुना करते थे। लेकिन टीवी चैनलों के आने के बाद रेडियो का इस्तेमाल कम हुआ लेकिन मन की बात कार्यक्रम को करोड़ों लोगों ने सुना जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में रेडियो लिए लोग मन की बात कार्यक्रम सुनते थे। प्रधानमंत्री ने जनता के साथ एक करीबी संबंध बना कर एक ऐसा उदाहरण स्थापित किया जिसके चलते देश की जनता का उन पर भरोसा  इतना बढ़ गया कि वह कहने लगे हैं कि मोदी है तो मुमकिन है।
यह सच है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां सबकी बात सबसे बड़े स्तर पर यानि कि प्रधानमंत्री स्तर पर सुनी जाती है तो जनता और प्रधानमंत्री के बीच मन की बात एक सबसे बड़ा मंच है। लोगों को अपनापन लगता है इसीलिए वे पीएम के मन की बात पर गौर करते हैं। अहम बात यह है कि खुद प्रधानमंत्री मन की बात का हिस्सा बनने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं और इस कड़ी में वह लोगों को बराबर मन की बात में यही कहते हैं कि अपनी समस्याएं या कोई  उपलब्धि हो जो समाज व देश की नजर में अनछुई हो तो उसका उल्लेख करें। पीएम ने निरंतर ऐसे लोगों से बात की है। इनमें कई तो वह लोग हैं जो बिल्कुल साधारण यानि कि आम आदमी हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लोग मन की बात कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं इसीलिए 100वां ए​िपसोड पूरा होने पर इसे लोग एक पर्व के रूप में देख रहे हैं, होना भी चाहिए। इस पर डिबेट हो रहे हैं। उनका स्वागत किया जाना चाहिए। 
कभी सुशासन के बारे में कहा जाता था कि जो राजा होता है उसे अपने देश की प्रजा के हितों को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए इसीलिए राजा भेष बदलकर जनता के बीच जाते थे और उनकी बात सुनते थे लेकिन हमारे देश में मन की बात पीएम और देश की जनता के बीच एक सीधा और साझा मंच है जिस पर लोग अपनी बात कह सकते हैं। मैं समझती हूं कि टैक्नालाॅजी ने जनता से पीएम के जुड़ने का मंच आकाशवाणी के रूप में इतना सरल बना दिया है कि लोग पीएम के संवादों को याद रखते हैं और मन की बात से नियमित जुड़े रहने का प्रयास करते रहते हैं परंतु फिर भी बहुत अच्छा करने के बावजूद सुधार की गुंजाइश रहती है। अभी अनेक समस्याएं ऐसी हैं जिनका समाधान खुद जनता कर सकती है। स्वच्छता अभियान हो या फिटनेस का मामला हो या तनाव से मुक्ति का मामला हो या फिर कोरोना के दौरान स्वस्थ रहने की बात हो, पीएम ने लॉकडाउन से लेकर कोरोना महामारी तक इससे निपटने के लिए अपने मंत्र बताए जो सैनिटाइजर का प्रयोग करने और मास्क लगाने से भी जुड़े थे।
लोकल पर वोकल का आह्वान भी मन की बात से ही जुड़ा है। कई बार पीएम बताते हैं कि घर पर बचे हुए कपड़े का थैला इस्तेमाल करो ताकि प्लास्टिक से मुक्ति मिले, इसी तरह वह बच्चों को खड़े होकर पानी न पीने की बात कहते हैं, अगले ही पल वह समझाते हैं कि पानी हमेशा बैठकर पीना चाहिए इससे घुटनों में दर्द नहीं होता। ऐसा लगता है कि कोई बड़ा-बुजुर्ग समझा रहा है। देश के लिए यह गौरव की बात है कि आज कहा जाता है कि मोदी है तो मुमकिन है, इस बात पर हर किसी को फख्र होना चाहिए इस बात में कोई  राजनीति नहीं होनी चाहिए। लोकतंत्र में जनता के बीच जाकर जनता की बात सुनना और अपनी बात से उन्हें संतुष्ट रखना यह वही कर सकता है जो संवाद अदायगी के तौर-तरीके जानता हो। इस मामले में हमारे पीएम मोदी जी का कोई जवाब नहीं है। इसीलिए उन्हें लोग मन से चाहते हैं। पीएम के मन की बात का असर उन पर होता है लोग उन्हें दिल से प्यार करते हैं। यह सिलसिला 100वें एपिसोड तक ही नहीं बल्कि 1000 एपिसोड तक चलता रहना चाहिए। हमें पीएम पर नाज है यह बात सोशल मीडिया पर हर कोई कह रहा है। वर्षों बाद देश को ऐसा पीएम मिला है जो मन की बात करता है और लोगों के मन की बात समझता है।  

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