लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

मनोहर लाल सरकार जनता की कसौटी पर खरी

हरियाणा के गठन के बाद से ही कई पीढ़ियों से पांच बड़े ऱाजनीतिक घरानों ने हरियाणा की राजनीति को प्रभावित किया।

हरियाणा के गठन के बाद से ही कई पीढ़ियों से पांच बड़े ऱाजनीतिक घरानों ने हरियाणा की राजनीति को प्रभावित किया। हरियाणा के तीन लाल चौधरी बंसी लाल, ताऊ देवी लाल और भजन लाल का कई दशकों तक सियासत में वर्चस्व रहा। इन सभी लालों ने कांग्रेस पार्टी से ही अपनी राजनीति की शुरूआत की थी। क्योंकि राजनीतिक राजवंशों के पास महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति होती है और सत्ता से वे अपने ​हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही हित उन्हें भ्रष्टाचार की ओर ले जाते हैं। यही कारण रहा कि एक के बाद एक घोटालों ने जन्म लिया और सियासत के घरानों के लोगों को जेल की सजा भुगतनी पड़ी। हरियाणा की वंशवादी राजनीतिक गुटों में अक्सर ‘आया राम गया राम’ की स्वार्थी राजनीति होती रही और हरियाणा दलबदलू राजनीति के​लिए कुख्यात रहा। हरियाणा की राजनीति पार्टियों की अदला-बदली, राजनीतिक खरीद-फरोख्त, अपवित्र राजनीतिक गठबंधन, राजनीतिक भ्रष्टाचार, वंशवाद और भाई-भतीजावाद का शिकार रही। मैं हरियाणा का राजनीतिक इतिहास नहीं दोहराना चाहता लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि पारिवारिक या वंशवादी शासन ने राज्य के लोगों की सेवा की बजाय अपने परिवारों की सेवा ज्यादा की। इन राजनीतिक घरानों ने प्रतिभा सम्पन्न लोगों के उदय को रोका लेकिन आज पारिवारिक राजनीति करने वाले वंश सत्ता के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं।
हरियाणा द्वापर युग में अधर्म के ​विरुद्ध धर्म के​ लिए लड़े गए महाभारत की धरती है और भगवान कृष्ण ने अर्जुन काे गीता का उपदेश भी यहीं दिया था। देश की राजधानी दिल्ली के तीन ओर  बसे होने की भौगोलिक विशिष्टता भी उसे प्राप्त है। ऐसे में सर्वांगीण विकास के मानकों पर उसे अद्वितीय और शेष देश के लिए अनुकरणीय उदाहरण होना ही चाहिए परन्तु 2014 से पहले ऐेसा हो ही नहीं पाया, क्योंकि संकीर्ण सोच वाली विभाजनकारी वोट बैंक राजनीति से ऊपर उठकर हरियाणा एक, हरियाणवी एक की दृष्टि ही विकसित नहीं हो पाई। ऐसा नहीं कि तीनों लाल के शासन में राज्य में​ विकास कार्य नहीं हुए लेकिन इनके पीछे उनके अपने हित  जुड़े हुए थे। अधिकांश समय कांग्रेस की सरकारें रहीं। आया राम गया राम के मुहावरे के साथ हरियाणा की राजनीति देशभर में बदनाम हुई। राजनीति सेवा का माध्यम नहीं बल्कि मेवा का माध्यम बन गई। भ्रष्टाचार बढ़ता गया, इस मामले में सत्ताधीशों में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लग गई। विकास कुछ क्षेत्रों तक सीमित हो गया और अपराध फलता-फूलता रहा।
द्रोपदी के चीरहरण के परिणामस्वरूप जिस धरती पर महाभारत का युद्ध लड़ा गया, वहां कोख में बेटियों का कत्ल होता गया और लिंगानुपात 876 के शर्मनाक आंकड़े तक गिर  गया। 2014 तक आते-आते स्थितियों ने करवट ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर हरियाणावासियों ने पहली बार भाजपा को राज्य में अपने दम पर सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत दिया और भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता मनोहर लाल को मुख्यमंत्री बनाया गया। आम राजनीति की भाषा में यह सत्ता परिवर्तन था लेकिन हरियाणा में अपने बलबूते पर पहली बार सरकार बनाने वाली भाजपा के​ लिए सबसे बड़ी चुनौती व्यवस्था परिवर्तन था। आम आदमी की इच्छाएं बहुत ज्यादा नहीं होतीं, उसे तो बस बिना भेदभाव सम्मान के साथ रोटी, कपड़ा, मकान, ​शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुरक्षा और जीवन स्तर ऊंचा उठाने के समान अवसर चाहिए। नारों से तो सत्ता बदल सकती है, पर व्यवस्था परिवर्तन के लिए बेदाग नेतृत्व, साफ नियत और सही नीति चाहिए। मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणावासियों को यह तीनों चीजें मिल गईं तो व्यवस्था परिवर्तन का काम भी शुरू हो गया।
हरियाणा की मनोहर लाल सरकार 7 वर्ष का शासन पूरा कर चुकी है। हर सरकार में असहमति के स्वर उठते ही रहते हैं यह लोकतंत्र का स्वभाव है लेकिन मनोहर सरकार की उपल​ब्धियों को देखा जाए तो राज्य सरकार जनता की आकांक्षाओं की कसौटी पर खरी उतरी है। पहली बार हरियाणा में ‘न पैसा न पर्ची-केवल योग्यता के आधार पर भर्ती’ हुई। पहले सरकारी नौकरियां पार्टी के वफादाराें या फिर  मोटी रकम देने वालों को ​मिलती थीं लेकिन पहली बार नौकरियां पारदर्शिता से दी गईं। हरियाणा में एक कुल्फी बेचने वाले से लेकर एक डाक कर्मचारी के बेटे ने सिविल सेवा परीक्षा पास की, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। महिला कांस्टेबलों के पद पर राज्य की बेटियों की नियुक्ति की गई। 
तृतीय श्रेणी से लेकर प्रथम श्रेणी के अधिकारियों की पदोन्नति के लिए  लिखित परीक्षा का प्रावधान​ किया गया। अब सलाहकार के माध्यम से सौदेबाजी की बजाय योग्यता के आधार पर ​नियुक्तियां हो रही हैं। खिलाड़ियों के लिए  ​उपलब्धियों के अनुसार नौकरी प्रदान करने की पारदर्शी नीतियां बनाई गईं। राज्य में नए उद्योग लगे जिनमें युवाओं को रोजगार मिला है। पिछली सरकारों की गलत नीतियों के कारण हजारों कर्मचारियों की नौकरी चली गई थी, उन्हें सरकार ने समायोजित किया। जिनमे  4645 अस्थाई कर्मचारी, 9455 जेबीटी शिक्षक और 3500 कांस्टेबल थे। युवाओं का भविष्य सुधारने के​ लिए गेस्ट टीचर्स के लिए  सेवा सुरक्षा नियम बनाकर उनकी नौकरी बचाई गई। पहले हर स्तर के कर्मचारी तबादलों के लिए  चक्का लगाते रहते थे। तबादला एक उद्योग बन चुका था लेकिन अब पारदर्शी ऑनलाइन व्यवस्था है। कोरोना महामारी के दौरान टीकाकरण में भी हरियाणा ने ​मिसाल पेश की। सीरो सर्वे के तीसरे चरण में राज्य के लोगों में सीरो पॉलिटिविटी रेट 76 फीसदी पाया गया। 
हरियाणा में लड़कियों का अनुपात भी पहले से अधिक सुधरा है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में रेल मंत्री से मुलाकात कर दिल्ली-हिसार के बीच सुपरफास्ट ट्रेनें चलाने के संबंध में बातचीत की। उनका मकसद हिसार में महाराजा अग्रसेन हवाई अड्डे को दिल्ली  के इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का फीडर एयरपोर्ट बनाना है। मनोहर लाल की जनता के बीच स्वीकार्यता ने उनके कद को बढ़ाया है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 × one =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।