सौन्दर्य की परिभाषा करते हुए प्रसिद्ध कवि कीट्स ने लिखा है कि ‘‘सौन्दर्य ही सत्य है और सत्य ही सौन्दर्य है।’’ इससे यह स्पष्ट है कि परमात्मा का प्रकाश ही सौन्दर्य के रूप में परिलक्षित होता है। अतः सौन्दर्य की कामना मनुष्य की आत्मिक आवश्यकता है। सौन्दर्य के बिना इस जीवन का महत्व कुछ भी नहीं है। सत्यम्, शिवम् और सुन्दरम् ये सब परमात्मा के ही स्वरूप हैं। सुन्दर आकर्षक मनुष्य की तरफ तो लोग खिंचे चले जाते हैं। जब अाप सुबह किसी बाग की सैर को निकलते हैं तो फूल खिले हुए होते हैं तो वे कितने सुन्दर लगते हैं, आपकी आंखें उनकी तरफ लगी रहती हैं। प्रकृति का आनन्द सब उठाना चाहते हैं, बहते झरने देख और कोयल की कूक सुनकर सभी आत्मविभोर हो उठते हैं। सौन्दर्य आत्मा की चिरपिपासा है। सुन्दर बनने और सुन्दर दिखने की अभिलाषा भी आध्यात्मिक है इसलिए इसे प्राप्त करना मनुष्य का प्रकृति प्रदत्त स्वभाव भी है लेकिन वास्तविक सौन्दर्य हृदय की पवित्रता है। बाहरी बनावट अाैर प्रदर्शन से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है। डा. कार्ल्स का भी यह मत है कि सुन्दरता का सद्गुणों के साथ संयोग होना ही हृदय का स्वर्ग है। सौन्दर्य आपकी प्रसन्नता, मुस्कुराहट, आशाओं से भरे जीवन और उल्लास में छिपा है। किसी की ओजस्विता, मृदुल व्यवहार और मानव समुदाय के प्रति दयाभाव से ही सौन्दर्य का आभास होता है।
हरियाणा की बेटी मानुषी छिल्लर ने ग्लैमर की दुनिया में सबसे बड़ा ताज पहन कर आसमान को छू लिया है। हरियाणा की जमीन ने हमेशा एचीवर्स पैदा किए हैं, लेकिन अभी तक ग्लैमर की दुनिया से दूर रहा। हरियाणा की महिलाएं आज भी घूंघट करती हैं। उस राज्य से किसी युवती का विश्व सौन्दर्य प्रतियोगिता में ताज जीतना अपने आपमें एक मिसाल है। खेलों की दुनिया में पताका फहराने के बाद अब ग्लैमर की दुनिया में हरियाणा में पताका फहर चुकी है। मानुषी की सफलता में उनके माता-पिता का बहुत योगदान है जिन्होंने सरकारी नौकरी के बावजूद बेटी को हमेशा प्रेरित किया और उसका सपना पूरा करने के लिए हमेशा उसके साथ खड़े रहे। मानुषी का जीवन एक तपस्विनी की तरह है। उसने जब किसी भी बात को ठान लिया तो उसे हासिल करके ही रहीं। पहले उसने प्री-मेडिकल टैस्ट क्लियर किया, फिर एमबीबीएस करनी शुरू की। इसके अलावा वह कुचीपुड़ी डांसर के अलावा एक अच्छी वक्ता भी है। अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए उसने कड़ी मेहनत की, उसी का ही परिणाम है कि वह रीता फारिया, ऐश्वर्या राय, डायना हेडन, युक्ता मुखी आैर प्रियंका चोपड़ा की श्रेणी में खड़ी है। इसके साथ ही भारत मिस वर्ल्ड में सबसे ज्यादा खिताब जीतने वाला पहला देश बन गया।
यह सही है कि परिवार उसके ग्लैमर वर्ल्ड में जाने का विरोधी रहा परन्तु उसने अपनी गतिविधियों आैर शिक्षा के बीच ऐसा सामंजस्य बैठाया कि पिरवार भी हैरान रह गया। सबसे बड़ी बात यह है कि मानुषी कोई आसमान से नहीं आई बल्कि वह हमारे ही समाज में पली-बढ़ी। परिवार के बहादुरगढ़ के गांव बामडौली छोड़कर राजधानी दिल्ली में रहने के बावजूद मानुषी अपनी जड़ों, अपनी संस्कृति से गहरी जुड़ी रही। पुश्तैनी गांव जाकर बड़े- बुजुर्गों का आशीर्वाद भी वह लेती रही। सामाजिक कार्यों से भी वह लगातार जुड़ी रही। मानुषी के आंतरिक सौन्दर्य का अहसास उससे पूछे गए अहम सवाल के उत्तर से हुआ। उससे पूछा गया था कि किस प्रोफैशन में किसे सबसे ज्यादा तनख्वाह मिलनी चाहिए और क्यों? इस पर मानुषी ने जवाब दिया कि एक मां को सबसे ज्यादा इज्जत मिलनी चाहिए। वहीं सेलरी की बात है तो मतलब रुपयों से नहीं होना चाहिए बल्कि सम्मान और प्यार से है। मेरी मां ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है। इस जवाब से मानुषी सब पर भारी पड़ गई।
मॉडलिंग में कैरियर बनाने वाली मानुषी झज्जर जिले की दूसरी बेटी है। 6 वर्ष पहले कनिष्ठा धनखड़ भी मिस इंडिया का खिताब जीतकर नाम रोशन कर चुकी है। अब मानुषी के सामने पूरी दुनिया है। अब महिलाओं समेत मानव समुदाय के लिए कुछ करने का दायित्व उसके कंधों पर है। उसके विचार, उसकी संकल्प शक्ति, आत्मविश्वास ही उसका वास्तविक सौन्दर्य है। बाहरी सौन्दर्य आंखों को सुखद अवश्य लगता है, किन्तु मन का आनन्द तो आंतरिक सौन्दर्य में ही निहित होता है, उसी में सच्चा संतोष है। सुखद विचारों की तरंगें और सहज स्वभाव मिलकर सौन्दर्य का निर्माण करते हैं। प्रेम और कर्त्तव्य भावना से सुन्दरता का विकास होता है। पहला सौन्दर्य मनुष्य के सद्गुणों में है। मानुषी और उसके परिवार, हरियाणा सहित पूरे देश को पंजाब केसरी परिवार की तरफ से बहुत-बहुत बधाई।