छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पांचवें बजट पर प्रदेश की निगाहें लगी हुई थी। चुनावी वर्ष में बजट में लोक लुभावनी घोषणाओं की पहले से ही उम्मीद थी। अगर बजट का विश्लेषण किया जाए तो यह माना जा सकता है कि मुख्यमंत्री ने पिटारा खोल दिया है और हर वर्ग को सौगात दी है। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने वर्ष 2001 में पहला बजट साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए का पेश किया था जो अनुपूरक को मिलाकर 5 हजार 705 करोड़ रुपए का हुआ था। वर्ष 2018 में भाजपा के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने जब अपनी सरकार का अंतिम बजट पेश किया तब इसका आकार 83 हजार 179 करोड़ तक पहुंच गया था। कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2019 में अपना पहला बजट 90 हजार करोड़ रुपए से अधिक का पेश किया था। जबकि इस वर्ष पेश किए गए बजट का आकार एक लाख चार हजार करोड़ रुपए का हो चुका है। इस तरह मुख्यमंत्री ने अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश किया है। मुख्यमंत्री ने राज्य के 18 से 35 वर्ष की आयु वर्ग के 12वीं कक्षा उत्तीर्ण बेरोजगार युवाओं जिनके परिवार की वार्षिक आय ढाई लाख से कम है उन्हें 2500 रुपए प्रतिमाह भत्ता देने का ऐलान किया है। इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, होमगार्ड, ग्राम कोटवारों, स्कूलों में कार्यरत सफाई कर्मियों के वेतन भत्तों में भी वृद्धि करने की घोषणा की है।
बेरोजगारी भत्ते के लिए इस वर्ष 250 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। राज्य में बेरोजगार युवाओं की संख्या लगभग 19 लाख के करीब है। अगर अन्य राज्यों से तुलना की जाए तो झारखंड ने मुख्यमंत्री सारथी योजना के तहत 1.4 लाख युवाओं को स्किल ट्रेनिंग का लक्ष्य रखा है और ट्रेनिंग के पहले 6 महीनों के दौरान पुरुषों को एक हजार रुपए और महिलाओं को 1500 रुपए भत्ता देने की घोषणा की है। केरल एक ऐसा राज्य है जिसमें पहली बार 1982 में बेरोजगारी भत्ता देने की शुरूआत की थी। केरल राज्य एंपलोयमैंट एक्सचेंज के अन्तर्गत पंजीकृत बेरोजगारों को 120 रुपए प्रतिमाह भत्ता दिया जाता रहा है। फरवरी 2019 में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 21 से 35 वर्ष की आयु के बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा शुरू की थी। वर्तमान में पुरुषों के लिए 4000 आैर महिलाओं को 4500 रुपए महंगाई भत्ता दिया जाता है। पंजाब में पिछले तीन दशकों में बेरोजगारी भत्ते में कोई बढ़ौतरी नहीं की है। पंजाब में बेरोजगार युवाओं को केवल 5 से 7 रुपए प्रतिदिन भत्ता दिया जाता है। राज्य में 1990-91 में अंडर ग्रेजुएट को 150 रुपए प्रतिमाह और ग्रेजुएट काे 200 रुपए प्रतिमाह भत्ता दिया जाता था। जिसमें आज तक कोई बढ़ाैतरी नहीं की गई। इसी तरह हिमाचल में 2017 में कांग्रेस सरकार ने बेरोजगार युवाओं को एक हजार रुपए प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की थी, अब 1500 रुपए प्रतिमाह हो चुका है। कई अन्य राज्यों ने भी ऐसी योजनाएं शुरू की हैं लेकिन भूपेश बघेल सरकार ने 2500 रुपए बेरोजगारी भत्ता घोषित कर मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का भत्ता 6500 से बढ़ाकर दस हजार और आंगनबाड़ी सहायकाओं का भत्ता 3550 से बढ़ाकर 5000 करके बड़ी राहत दी है। बजट में किसानों और महिलाओं पर भी काफी फोकस किया गया है। किसान न्याय योजना के लिए 6800 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
रासायनिक एवं जैविक कीटनाशकों के परीक्षण के लिए नई प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। कृषि मजदूर न्याय योजना का भी विस्तार किया गया है। इसमे कोई संदेह नहीं कि राज्य सरकार के प्रयासों से छत्तीसगढ़ को धान के कटोरे का दर्जा मिला है। किसानों को गुणवत्ता युक्त बीज और पौधे उपलब्ध कराने के लिए अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के लिए 2 करोड़ का प्रावधान किया गया है। जहां तक शिक्षा का सवाल है इसके लिए बजट में 23 नवीन महाविद्यालयों की स्थापना, चार अंग्रेजी महाविद्यालय भवनाें का निर्माण, राज्य रिसर्च फैलोशिप योजना शुरू करने और 36 शासकीय आईटीआई संस्थानों के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। प्राथमिक एवं उच्चतम शिक्षा के विकास के लिए 400 करोड़ का प्रावधान किया गया है। 101 नवीन स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलने की घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अन्तर्गत 25 हजार की सहायता राशि बढ़ाकर अब 50 हजार कर दी गई है। कुल मिलाकर भूपेश बघेल ने 2018 में किए गए वादों को पूरा कर राज्य की जनता का भरोसा जीतने का प्रयास किया है। आगामी चुनावों में जनता उन पर कितना भरोसा जताती है यह देखना अभी बाकी है।