Mexico created history: ड्रग्स और गैंगस्टर के लिए बदनाम मैक्सिको के चुनाव नतीजों ने इस बार इतिहास रच दिया है। मैक्सिको में 200 वर्ष के इतिहास में पहली बार एक महिला क्लाउडियो शिनबाम राष्ट्रपति बन गई हैं। राष्ट्रपति पद के लिए दो महिला उम्मीदवारों में टक्कर थी। शिनबाम के मुकाबले पूर्व सीनेटर और कारोबारी जोचिटल गैलवेज एक सशक्त उम्मीवार थीं लेकिन मैक्सिको के लोगों ने िशनबाम को नया राष्ट्रपति चुना। मैक्सिको में इस बार के चुनावों को खूनी चुनाव करार दिया गया है। क्योंकि यह चुनाव हिंसा और हत्याओं से भरा रहा है। इन चुनावों में उम्मीदवारों के साथ-साथ लोगों को भी निशाना बनाया गया और कुल 200 लोगों की हत्याएं हुईं। ऐसे चुनावों के बीच पुरुषों के दबदबे वाले देश में एक महिला का चुना जाना आश्चर्यजनक किन्तु सुखद है। मैक्सिको में ड्रग्स माफिया छाये हुए हैं और संगठित अपराध देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। मैक्सिको का इतिहास जेंडर वायस और भेदभाव वाला रहा है लेकिन इस जनादेश से संकेत मिलता है कि मैक्सिको की जनता अब जाग गई है। राष्ट्रपति चुनाव में दो महिलाओं का खड़ा होना देश की प्रगति को ही दर्शाता है। अमेरिका में जहां 1920 में ही महिलाओं को मतदान के अधिकार मिले थे वह आज तक किसी महिला को राष्ट्रपति नहीं चुन पाया जबकि पड़ोसी मैक्सिको में 1953 में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला था, उसने एक महिला को राष्ट्रपति चुनकर बाजी मार ली है।
क्लाउडिया शिनबाम का जन्म एक यहूदी परिवार में हुआ था। माता-पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने भौतिकी और फिर ऊर्जा इंजीनियरिंग की पढ़ाई थी। क्लाउडिया ने अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। उन्होंने माता-पिता की तरह ही छात्र राजनीति में सक्रिय भागीदारी निभाई। 1968 में छात्र प्रदर्शन में उनके माता-पिता ने हिस्सेदारी की थी। क्लाउडिया इसे अपने राजनीति में आने की प्रेरणा बताती हैं। उन्होंने अप्रैल में सोशल मीडिया पर लिखा था, 'मैंने हमेशा कहा है मैं 1968 की बेटी हूं।'
2007 में मैक्सिको की अंतर्सरकारी कमेटी को नोबल पुरस्कार मिला था तब वह इसकी सदस्य थीं। शिनबाम निवर्तमान राष्ट्रपति आंद्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर की जगह लेंगी। दोनों ही नेता सत्तारूढ़ मोरेना पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। इस चुनाव को व्यापक रूप से लोपेज ओब्रेडोर पर जनमत संग्रह के रूप में देखा जा रहा है। ओब्रेडोर एक प्रसिद्ध व्यक्ति हैं जिन्होंने सामाजिक कार्यक्रमों में विस्तार किया लेकिन मेक्सिको में हिंसा को कम करने में काफी हद तक विफल रहे हैं। देश के 32 में से 23 राज्यों में मोरेना पार्टी के गवर्नर हैं। पार्टी को कांग्रेस के दोनों सदनों में बहुमत प्राप्त है। शिनबाम ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज किया है कि वह लोपेज ओब्रेडोर की कठपुतली होंगी।
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान क्लाउडिया शिनबाम ने वादा किया था कि उनकी नीतियों से देश में अपराध दरों में कमी आएगी। वर्तमान में मैक्सिको में 1 लाख में से 23 लोगों की हर साल हत्या हो जाती है। क्लाउडिया ने उम्मीद जताई कि वे इसे 19.4 तक ले आएंगी। अगर ऐसा होता है तो मैक्सिको में हत्या की दर ब्राजील के बराबर हो जाएगी। हालांकि, शिनबाम के इस दावे पर यकीन करने की एक वाजिब वजह भी है। जब वह मैक्सिको की मेयर बनी थीं तो उनके कार्यकाल में शहर में अपराध दरों में 50 फीसदी तक की गिरावट आई थी।
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के व्यक्तित्व और नीतियों से परे, मैक्सिको का चुनाव सुरक्षा और प्रवासन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से प्रभावित होता है। बढ़ती अपराध दर और अपनी सीमाओं पर चल रही चुनौतियों के साथ मैक्सिको जटिल और परस्पर जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसके लिए विचारशील नेतृत्व और रणनीतिक समाधान की आवश्यकता है। मतदाताओं के लिए सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है, राजनीतिक हिंसा और संगठित अपराध की चिंताएं चुनावी प्रक्रिया पर प्रभाव डाल रही हैं। मैक्सिको में आज भी हिंसा बहुत अधिक प्रभावशाली है और इसकी वजह से नागरिकों की सुरक्षा हमेशा खतरे में बनी रहती है। ऐसे में नागरिकों की सुरक्षा राष्ट्रपति के लिए सबसे अहम चुनौती में से एक है। उम्मीद की जा रही है कि शिनबाम इन चुनौितयों का डटकर सामना करने में सक्षम होंगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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