भारत में मुस्लिम-हिन्दू धर्म के युवक-युवतियों में शादी का इतिहास बहुत पुराना है। जोधा बाई और अकबर से लेकर सुनील दत्त और नरगिस की मोहब्बत को कौन भुला सकता है। शाहरुख खान और गौरी कितना सुखी दाम्पत्य जीवन जी रहे हैं। रीना दत्त और किरण राव ने आमिर खान से शादी की। अमृता ङ्क्षसह और करीना कपूर ने सैफ अली खान से शादी की। हेलन ने सलीम खान से शादी की। शुभ लक्ष्मी ने उस्ताद अमजद अली खान से शादी की। यही नहीं भाजपा और कई अन्य पार्टी के नेताओं की बीवियां हिन्दू हैं। यह अलग बात है कि सेलिब्रिटीज की जोडिय़ां टूटती-बनती रही हैं। इनकी शादियों पर कोई बवाल भी नहीं मचा। लव-जेहाद का नारा पिछले कुछ सालों से लगाया जा रहा है। यह नारा लगाने वाले उस समय होते तो शायद इन सबको देश से बाहर निकलने का हुक्म देते।
धर्म और लड़कियों का मसला बेहद संवेदनशील होता है, इसलिए लोग इस पर जल्दी भड़क जाते हैं और ङ्क्षहंसा पर उतारू हो जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में लव-जेहाद के नाम पर नफरत का ऐसा वातावरण सृजित हो चुका है कि पलभर में विवाद हिंसक रूप ले लेता है। सोशल मीडिया पर और टीवी चैनलों ने भी ऐसे कार्यक्रम दिखाए जिसमें लोग लाठी-बल्लम थामे धर्म के रक्षक दिखाई दे रहे थे, जो लव-जेहाद को हर हाल में रोकने की कसमें खा रहे थे। क्या इस देश में लड़कियों का पढऩा-लिखना, वे घर से बाहर कब निकलें, निकलें भी या नहीं, क्या इसका फैसला लाठी-बल्लम हाथों में लेकर चलने वाले शोहदे करेंगे? क्या आज के दौर में ऐसा सम्भव है? अब सवाल यह है कि क्या लव-जेहाद होता है भी या नहीं। इस बारे में लम्बी बहस हो चुकी है और इससे इन्कार भी नहीं किया जा सकता। शुरूआत में इसे सिरे से नकारने वाली कांग्रेस ने भी बाद में स्वीकार किया कि लव-जेहाद होता है। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने बाकायदा सदन में एक रिपोर्ट पेश की थी। उन्होंने लव-जेहाद को लेकर चिन्ता भी जताई।
25 जून 2014 को मुख्यमंत्री चांडी ने विधानसभा को जानकारी दी थी कि 2667 युवतियां 2006 से लेकर अब तक प्रेम विवाह के बाद इस्लाम स्वीकार कर चुकी हैं। वहीं केरल के कैथोलिक बिशप काउंसिल ने इससे पहले 2009 में यह आंकड़ा 4500 बताया था। इसके अलावा एक अन्य संस्था ने कर्नाटक में 30 हजार लड़कियों के लव-जेहाद की शिकार होने की बात कही थी। अक्तूबर 2009 में कर्नाटक सरकार ने भी लव-जेहाद को गंभीर मुद्दा माना और इसकी सीआईडी जांच के आदेश दिए थे। 26 जुलाई 2010 में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वी.एम. अच्युतानंदन ने भी इस विषय पर चिन्ता जताई थी और कहा था कि पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और कैम्पस फ्रंट जैसे संगठन दूसरे धर्मों की लड़कियों को बहला-फुसलाकर उनसे शादी कर इस्लाम कबूल करवाने की साजिश रच रहे हैं। 20 वर्षों में केरल का इस्लामीकरण करने की योजना बनाई जा रही है। केरल में हजारों लड़कियों के धर्म परिवर्तन की बात तो सामने आई लेकिन कानूनी तौर पर यह साबित नहीं हो पा रहा कि यह आर्गेनाइज्ड तरीके से किया जा रहा काम है। हालांकि ज्यादातर कानूनी मामलों में यह बात कमजोर ही पड़ती दिखाई दी क्योंकि कई ऐसे मामले सामने आए थे, जहां लड़कियों ने सचमुच बिना किसी जोर-जबर्दस्ती के अपनी पसन्द के लड़के से शादी की।
भारत में दूसरे धर्मों में शादियां आम हो चुकी हैं। ऐसे हर मामले को लव-जेहाद से नहीं जोड़ा जा सकता। लव-जेहाद का मुद्दा अब पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुका है। इसी वजह से इसकी गंभीरता को नजरंदाज किया जा रहा है। यह भी आरोप कई संगठनों की तरफ से लगाए गए कि हाथ में कलावा और माथे पर तिलक लगाकर जेहादी दूसरे धर्म का होना का छलावा करते हैं। इन्हें बाइक और पैसा दिया जाता है ताकि ये लड़कियों को अपने जाल में फंसा सकें। इन बातों की सत्यता के लिए निष्पक्ष जांच और निष्कर्ष निकलना बहुत जरूरी है। दरअसल यह एक ऐसा मामला है जिसमें लड़की और उसका परिवार डर जाता है, इसलिए ज्यादातर मामले साबित ही नहीं होते। कुछ मामलों में युवतियां धोखा खा जाती हैं लेकिन सियासतदानों ने लव-जेहाद को अपने-अपने मतलब के लिए इस्तेमाल किया कि सच्चा प्यार करने वालों की मुश्किलें बढ़ गईं। केरल की 24 वर्षीय हिन्दू महिला अखिला यानी हादिया का मामला काफी चर्चित रहा है। हादिया ने धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम युवक से शादी की थी।
हादिया के पिता अशोकन ने अदालत में इस शादी को चुनौती दी थी और आरोप लगाया था कि उसके पति का आतंकवादी समूह आईएस के साथ सम्बन्ध है। केरल हाईकोर्ट ने इस शादी को अमान्य करार दिया था। अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा जहां हादिया के पति शफीन ने याचिका दायर कर रखी है। कानूनी सवाल भी उठा कि क्या हाईकोर्ट एक वयस्क की शादी रद्द कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट में पेश होने से पहले हादिया ने स्पष्टï कर दिया है कि वह अपने पति के पास जाना चाहती है, उसे धर्म बदलने के लिए किसी ने मजबूर नहीं किया है। अगर वह अपने पति के साथ रहकर खुश है तो फिर कानून भी उसे नहीं रोकेगा। पुरानी कहावत है जब मियां-बीवी राजी तो क्या करेगा काजी। हादिया को अपनी जिन्दगी मुबारक हो। दोनों की सच्ची मुहब्बत भी उन्हें मुबारक हो लेकिन हिन्दू समाज को इस बात की पड़ताल करनी होगी कि आखिर उनकी बेटियां धर्म परिवर्तन कर मुस्लिमों से शादी क्यों करती हैं? बात आकर रुकती है संस्कारों और नैतिक मूल्यों पर। मुहब्बत गुनाह नहीं, अगर हिन्दू लड़कियां शादी में धोखा खाती हैं तो इसके लिए उनके परिवारों को मंथन करना होगा। परिवारों के संस्कार पुख्ता होंगे तो बच्चों में भटकाव नहीं आएगा।