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मोदी का मास्टर स्ट्रोक

रोजगार के मुद्दे पर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने कमर कस ली है। प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से यह महत्वपूर्ण ऐलान किया गया है कि केन्द्र सरकार अगले डेढ़ साल में 10 लाख नौकरियां देने जा रही है।

रोजगार के मुद्दे पर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने कमर कस ली है। प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से यह महत्वपूर्ण ऐलान किया गया है कि केन्द्र सरकार अगले डेढ़ साल में 10 लाख नौकरियां देने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी मंत्रालयों एवं विभागों में मानव संसाधन की गहन समीक्षा करने के बाद उन्होंने फैसला लिया कि बेरोजगारी के मुद्दे पर मिशन मोड में काम किया जाए। इसके साथ ही केन्द्र ने रक्षा बलों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना को लागू करने की तैयारी कर ली है। इस योजना के तहत सैनिकों की भर्ती केवल चार साल के लिए की जाएगी। विपक्षी दल मोदी सरकार पर बेरोजगारी को लेकर लगातार हमले कर रहा है। बेरोजगारी एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनता है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़ा फैसला कर न केवल विपक्ष को माकूल जवाब दिया है बल्कि इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। 
2024 के चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह बड़ा वादा है। इस समय केन्द्र में 40.78 लाख पद हैं आैर 31.91 लाख लोग सरकारी काम कर रहे हैं, जबकि 8.87 लाख पद खाली हैं। ​अगर मोदी सरकार की यह योजना सही ढंग से क्रियान्वित हो जाती है तो फिर नौकरियों की बहार आ जाएगी। रेलवे में हजारों पद ​िरक्त हैं। डाक विभाग में भी हजारों पद रिक्त हैं। इसी तरह कई अन्य सरकारी क्षेत्रों में भी पद खाली पड़े हुए हैं। भारत में बेरोजगारी बीते कई वर्षों में चिंता का सबब रही है लेकिन कोरोना महामारी ने बेरोजगारी संकट को और भी विकराल बना दिया। बेरोजगारी दर के आंकड़ों से स्पष्ट है कि 2 साल से भी ज्यादा की अवधि के दौरान घरेलू मांग में भी कमी आई और आर्थिक गतिविधियों में भी सुस्ती छाई रही। 
भारत की बेरोजगारी दर मार्च में 7.60 फीसदी से बढ़कर अप्रैल में 7.83 फीसदी हो गई। हरियाणा 34.5 फीसदी की बेरोजगारी दर के साथ देश में शीर्ष पर रहा है। वहीं राजस्थान में यह 28.8 प्रतिशत है। शहरी बेरोजगारी दर मार्च से अप्रैल के बीच बढ़कर 9.22 प्रतिशत हो गई। हालांकि सैंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनामी के मुताबिक ग्रामीण बेरोजगारी दर में मामूली गिरावट आई है। सरकार के त्रैमासिक रोजगार सर्वेक्षण में कहा गया है कि व्यापार मैनुफैक्चरिंग और आईटी समेत 9 प्रमुख क्षेत्रों में अक्तूबर से दिसम्बर के बीच 4 लाख नई नौकरियों का सृजन हुआ। महामारी के दौरान शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग एक करोड़ वेतन भोगी नौकरियां खत्म हो गई थीं। इनमें से कितने लाेग आजीविका में वापिस आए इस संबंध में अभी स्पष्ट आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। रोजगार के मोर्चे पर आई इस चुनौती को कई स्तरों पर देखा जा सकता है। महामारी की शुरूआत में ही बेरोजगारी की दर ऊंची थी यानि नौकरी की तलाश करने वालों और नौकरी पाने में असमर्थ लोगों की संख्या बढ़ चुकी थी। बेरोजगारी की संख्या युवाओं और पढ़े-लिखे लोगों में अधिक चिंताजनक रही। आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के अभाव के बीच श्रम बल का बड़ा हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र में ही रहा। जहां तक सरकारी नौकरियों का सवाल है कई वर्षों से नई भर्ती पर कई क्षेत्रों में रोक लगा रखी है। मोदी सरकार ने इस रोक को किनारे करके भर्तियां करने का फैसला किया है। निश्चित रूप से इससे युवा लोग लाभान्वित होंगे।
लेकिन यह बात भी समझनी होगी कि रोजगार का अर्थ केवल सरकारी नौकरी नहीं है। भारत को बेरोजगारी संकट दूर करने के ​लिए निजी सैक्टर में भी प्रयास करने होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा कानून हर ग्रामीण बेरोजगार को हर वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी देता है। वर्ष 2020-21 के दौरान लाॅकडाउन और आर्थिक गतिविधियों के ह्रास के कारण रोजगार घटा और लोग गांव की ओर पलायन कर गए। उन दिनों मनरेगा लाभार्थियों की संख्या सात करोड़ तक हो गई जो लाॅकडाउन से पूर्व 5 करोड़ ही थी। अब जबकि आर्थिक गतिविधियां सामान्य हो चुकी हैं। अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक अच्छे संकेत दे रहे हैं। जीएसटी राजस्व भी रिकार्डतोड़ रहा है। जो अर्थव्यवस्था में उठाव की ओर इशारा कर रहे हैं। आटोमोबाइल सैक्टर, इलैक्ट्रोनिक, टैलीकाम, विनिर्माण क्षेत्र और अन्य उद्योग अब पटरी पर लौट रहे हैं। मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत नीति के चलते लगातार बल दे रही है। 
भारत से बड़ी मात्रा में मोबाइल फोन और अन्य खाद्यान्न वस्तुओं का निर्यात होने लगा है। केन्द्र सरकार द्वारा 16 प्रकार के उत्पादों के देश में निर्माण को बढ़ावा देने के​ लिए उत्पादन से संबद्ध योजनाएं शुरू की गई हैं। उपभोक्ता मांग बढ़ेगी तो उत्पादन भी बढ़ेगा। अधिक उत्पादन के लिए रोजगार के अवसर भी सृजत होंगे। डेढ़ साल में 10 लाख सरकारी नौकरियों के भरे जाने से इतने लोगों के पास जेब में पैसा आएगा तो ही उनके चेहरों की रौकन लौटेगी।

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