ओडिशा के नए मुख्यमंत्री मोहन माझी भुवनेश्वर में एक बंगले की तलाश कर रहे हैं। उनके पूर्ववर्ती नवीन पटनायक ने सरकारी आवास में शिफ्ट होने से इनकार कर दिया और राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में 24 साल तक अपने निजी घर से काम किया। बंगले को नवीन निवास के नाम से जाना जाता था और इसे उनके पिता बीजू पटनायक ने बनवाया था। यह एक आलीशान घर है जिसे नवीन पटनायक अपने आधिकारिक आवास सह कार्यालय के रूप में इस्तेमाल करते थे। जब तक आधिकारिक बंगला नहीं चुना जाता, तब तक माझी को राज्य के गेस्ट हाउस में रहना होगा। राज्य के अधिकारियों ने कई घरों को शॉर्टलिस्ट किया है, जिनमें से माझी चुन सकते हैं लेकिन एक बार जब वह किसी एक बंगले को अपने आवास के लिये चुन लेते हैं तो उन्हें वहां शिफ्ट होने में कई महीने लग जाएंगे। नए आवास में न केवल व्यापक नवीनीकरण की आवश्यकता होगी, बल्कि सीएम आवास की तरह सुरक्षा और संचार उपकरणों का प्रावधान करना होगा। माझी को बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा। नवीन पटनायक ने न केवल दो दशकों से अधिक समय तक ओडिशा की राजनीति पर अपना दबदबा बनाए रखा है, बल्कि वह एक बेहद लोकप्रिय मुख्यमंत्री भी रहे हैं। ओडिशा में कई लोगों का मानना है कि वह केवल उम्र, गिरते स्वास्थ्य और इस अटकल के कारण हारे हैं कि उनके तमिल सहयोगी वी.के. पांडियन उनके उत्तराधिकारी बनेंगे। बीजेपी ने अपने चुनाव अभियान में ओडिया गौरव को जगाने के लिए अंदरूनी-बाहरी भावना का चतुराई से फायदा उठाया।
29 सीट मिलने पर भी निराश थी ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2019 में भाजपा की सीटों की संख्या 18 से घटाकर 2024 में सिर्फ 12 कर भाजपा को चौंका दिया। उन्होंने अपनी सीटों की संख्या 22 से बढ़ाकर 29 कर ली। भाजपा ने चुनाव प्रचार में जो संसाधन, ऊर्जा और भावना झोंकी, उसे देखते हुए यह एक शानदार उपलब्धि थी। लेकिन जाहिर तौर पर ममता बनर्जी संतुष्ट नहीं हैं। वह विलाप कर रही हैं और शिकायत कर रही हैं कि उनकी तृणमूल कांग्रेस ने 30 की बजाय 29 सीटें जीतकर उन्हें निराश किया। पार्टी नेताओं के साथ चुनाव के बाद की बैठक में उन्होंने बार-बार कहा कि वह 30 सीटें चाहती थीं लेकिन उन्हें सिर्फ 29 सीटें मिलीं। अंत में उनके भतीजे और नामित राजनीतिक उत्तराधिकारी अभिषेक बनर्जी ने मजाक में कहा कि कॉन्फ्रेंस टेबल के चारों ओर एक सीट खाली है। उन्होंने कहा कि इसे ले लो और इसे 30 बना दो। उनके मजाक ने माहौल को हल्का कर दिया और इसके बाद बनर्जी शांत हो गईं।
असम में सरमा की बढ़ रही मुश्किलें
असम में भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, क्योंकि कांग्रेस ने भाजपा से तीन सीटें छीन ली हैं, जिसमें जोरहाट सीट भी शामिल है, जिसे मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी के वफादार गौरव गोगोई के खिलाफ प्रतिष्ठा की लड़ाई में बदल दिया था। दो भाजपा विधायकों मृणाल सैकिया और सिद्धार्थ भट्टाचार्य ने गोगोई को एक्स पर बधाई दी और भाजपा उम्मीदवार की हार के लिए "अहंकार" को जिम्मेदार ठहराया। यह सरमा की ओर स्पष्ट संकेत था, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से अभियान की कमान संभाली और गोगोई को हराने की कसम खाई। आखिरकार कांग्रेस नेता ने लगभग 1.5 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की। सरमा अपने विधायकों की बधाई की आवाज़ों से खुश नहीं थे और एक्स पर उन पर पलटवार किया। दोनों विधायकों ने सरमा पर तंज कसा और पूछा कि विजेता उम्मीदवार को बधाई देना क्या अपराध है। दिल्ली में हाईकमान पार्टी में इस सार्वजनिक कलह से खुश नहीं है और राज्य इकाई को सार्वजनिक बहस से बचने की ताकीद दी है।