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मां तो मां है…

हम सब छोटे से सुनते आ रहे हैं कि मां तो मां है, चाहे छोटी उम्र में जाये या भरपूर उम्र में जाये, उसका स्थान कोई नहीं ले सकता और कहते हैं जहां ईश्वर नहीं पहुंच पाता वहां मां पहुंच जाती है।

हम सब छोटे से सुनते आ रहे हैं कि मां तो मां है, चाहे छोटी उम्र में जाये या भरपूर उम्र में जाये, उसका स्थान कोई नहीं ले सकता और कहते हैं जहां ईश्वर नहीं पहुंच पाता वहां मां पहुंच जाती है। मां खुद गीले में रहकर सूखे में बच्चों को सुलाती है, लोरियां देती है, बच्चे के सुखमय जीवन के लिए हर समय प्रार्थना करती है। बच्चे के लिए चांद-सितारे तक तोड़ का लाने की हिम्मत रखती है।
यही कारण है कि हमारे देश के हैल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन ने अपनी 89 वर्षीय माता के जाने पर बड़ा भावुक ट्वीट किया ‘मां तू लौट आ।’ वाक्य ही बच्चे खुद बड़े हो जाएं उन्हें हमेशा मां का आंचल चाहिए। मां के आशीर्वाद वाले हाथ हमेशा चाहिएं। डॉ. हर्षवर्धन और उनकी माता जी ने लोगों के लिए उदाहरण पेश किया और डॉ. हर्षवर्धन ने अपनी करनी और कथनी को सत्य कर दिखाया। अक्सर देखा जाता है कि बड़े-बड़े लोग भाषण करते हैं, बहुत कुछ कहते हैं परंतु जब अपना समय आता है तो वह उन पर जीरो नजर आते हैं। 
डॉ. हर्षवर्धन से हमारा पारिवारिक रिश्ता है। वह अश्विनी जी के बहुत ही प्रिय मित्र थे। अश्विनी जी की बहुत इज्जत करते थे और अश्विनी जी उन्हें बहुत मानते थे। यही नहीं डॉ. हर्षवर्धन हमारी चौपाल सामाजिक संस्था के बहुत ही महत्वपूर्ण साथी हैं, जो हमेशा हमारे दु:ख-सुख में हमारे साथ खड़े रहते हैं। कोई भी वरिष्ठ नागरिक या चौपाल का फंक्शन हो, अपनी बहुत व्यस्तता के बाद भी पहुंचते हैं। अक्सर लोगों को हम देखते हैं कि जरा सी पावर मिल जाये तो उनके अंदाज ही कुछ और हो जाते हैं परंतु डॉ. हर्षवर्धन को लगभग पिछले 30 वर्षों से मैं देख रही हूं। चाहे वह पावर में थे या नहीं थे उनका व्यवहार एक जैसा रहा, कभी नहीं बदले। यही कारण है कि मैं उनको लोगों का प्रिय नेता मानती हूं। स्वभाव के बहुत सरल डाउन टू अर्थ (जमीन से जुड़े हुए), बड़े विद्वान, सरल व मृदुभाषी हंै डॉ. हर्षवर्धन और उनकी पत्नी नूतन वर्धन।
जब उनकी मां स्नेह लता गोयल का रविवार सुबह कार्डियक अरेस्ट की वजह से निधन हो गया। वह 89 वर्ष की थी। इस दुनिया से जाते-जाते वह अपनी आंखें और शरीर दान कर गईं। अब कोई जरूरतमंद उनकी आंखों से इस दुनिया को देख सकेगा। वहीं मेडिकल स्टूडेंट्स उनकी बॉडी से मानव संरचना और इलाज की शुरूआती बारीकियां सीखेंगे। डॉ. हर्षवर्धन ने खुद बताया कि अपनी माता की इच्छा के अनुसार उनकी आंखें एम्स को दान कर दी हैं और उनके शरीर को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया है। डॉ. हर्षवर्धन ने अपनी मां के निधन पर बेहद भावुक ट्वीट करते हुए कहा कि मैं यह बताते हुए बेहद टूटा हुआ महसूस कर रहा हूं कि इस पृथ्वी पर मेरी सबसे प्यारी इंसान मेरी मां अनंत यात्रा पर चली गई हैं। ऊंचे व्यक्तित्व की धनी, मेरी पथ प्रदर्शक और दार्शनिक रही मेरी मां मेरे जीवन में ऐसा शून्य छोड़ गई जिसे कोई भी नहीं मिटा सकता।
वाकई डॉ. हर्षवर्धन जी और उनकी मां ने दुनिया के लिए मिसाल कायम की है। वैसे तो हर मां को अपने बच्चे प्यारे होते हैं और हर बच्चे को अपनी मां। आजकल हर रोज अनुपम खेर की नई वीडियो अपनी मां के प्रति प्यार दिखाते हुए उसे पूरा खुश रखने का प्रयास करते हुए दिखाई देती है। वह भी बहुत ही भावुक और रियल होती है। यही नहीं मेरे तीनों बेटे आदित्य, अर्जुन, आकाश मेरा इतना ख्याल रखते हैं कि उनके लिए अगर मैं दिन कहूं तो दिन है रात कहूं तो रात है। आजकल वो इतने इनसिक्योर हैं कि बिल्कुल भी बाहर नहीं जाने दे रहे, किसी से मिलने भी नहीं दे रहे। उन्हें कोविड से अपने लिए नहीं परंतु मां के लिए इतना डर है कि कहीं मां को न हो जाये। यहां तक कि विस्डम टूथ तंग कर रही है तो उन्होंने कहा अभी जितनी देर सह सकते हो सह लो डॉक्टर के पास जाने से बचो। मैं उनको बहुत समझाती हूं जो होना है वह होकर रहेगा। छ: बातें हमारे हाथ में नहीं हैं जीवन, मरण, लाभ, हानि, यश, अपयश। सब विधि के हाथ में है।
मैंने भी अपनी आंखें और बॉडी दान की है परंतु अभी तक उन्होंने फॉर्म साइन नहीं किए हैं न अपनी सहमति दी है कि हम आपके जाने और जाने के बाद की कल्पना भी नहीं कर सकते। सो मां तो मां है चाहे वो कितनी बड़ी हो जाये। बच्चे अपना सुकून उसके आंचल में ही पाते हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि डॉ. हर्षवर्धन और उनकी माता जी के इस सराहनीय कदम से मेरे बच्चे और दुनिया का हर बच्चा साहसिक कदम उठाएंगे क्योंकि एक मां की सूरत उसके बच्चों के लिए भगवान की मूरत है। 

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