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साक्षात ईश्वर का रूप होती है मां...

मां दो अक्षरों से बना  छोटा सा शब्द है, लेकिन इस छोटे से शब्द में प्रेम भाव, स्नेह, अभिलाषा और इतनी शक्ति है कि इसे करोड़ों शब्दों से भी परिभाषित नहीं किया जा सकता। जिसका प्यार मरते दम तक नहीं बदलता उसे मां कहते हैं। मां साक्षात ईश्वर होती है, बच्चे की पहली गुरु होती है। बदले में वो हमसे और कुछ नहीं बस थोड़ा वक्त और प्यार मांगती है। मां जिस ​तरह से अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है उसकी कोई दूसरी मिसाल नहींं हो सकती। 100 वर्षीय मां हीराबेन का निधन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके परिवार के लिए बहुत ही भावुक भरे समय का है। जिस महिला ने आपको जन्म दिया हो उसको अग्नि के हवाले करके आना ही सबसे पीड़ादायक अहसास है। इस अहसास को शब्दोंं  में बयान करना संभव ही नहीं होता। अपनी जननी को ताउम्र अपने पास बनाये रखने की कोशिश हर इंसान करता है परंतु विधि के विधान के आगे किसी की नहीं चलती।  मैं नहीं कह सकती कि अपनी मां को पंचतत्व में विलीन होते देखते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्या सोच रहे होंगे। लेकिन अपनी जननी के प्रति उनके प्यार की बानगी हमेशा हमने देखी है। वह अपने आंसुओें पर नियंत्रण  कर पाए होंंगे परंतु उनका अंतर्मन मां के परलोक गमन के सैलाब से भीगा होगा।

पीएम मोदी की मां एक मजबूत हौंसले वाली महिला रही जिन्होंने अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिये हर प्रतिकूल परिस्थिति का डटकर सामना किया। श्रीमती हीराबेन ऐसी महिला रहीं जिन्हें अपनी मां का चेहरा भी याद नहीं। स्कूल का दरवाजा भी उन्होंने नहीं देखा। घर चलाने के लिए दो-चार पैसे ज्यादा​ मिल जाएं इसके लिए दूसरों के घर में बर्तन भी साफ किए। कुछ और पैसे जुटाने के लिए चरखा भी चलाया। कपास के छिलकों से रुई निकाल कर धागा भी बनाया। जीवन के संसाधनों को जुटाने के लिए संघर्षरत रहने वाली हीराबेन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और परिवार को ऐसे संस्कार दिए जिसके बल पर ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूप में देश को ऐसा महानायक मिला जिसने भारत की प्रतिष्ठा को चार चांद लगा दिए।

देश के सबसे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी को तमाम प्रति​कूल हालातों में सच्चाई के रास्ते पर अडिग रहने की सीख उनकी माता के संस्कारों से ही मिली। देश  सेवा के लिये घर छोड़कर निकले नरेंद्र मोदी में राष्ट्रसेवा का जज्बा इतना है कि मां की पार्थिव देह को अग्नि के हवाले करने के तुरंत बाद ही उन्होंने अपने पूर्व निर्धारित कार्यों को पूरा किया। प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां के बहुत करीब थे। वे अपनी मां के जन्मदिन पर या खुद के जन्मदिन पर अपनी मां का आशीर्वाद लेने जाया करते थे। मां से मिलते ही मोदी उनके पांव छूने और बैठकर उनसे बातें करते रहते थे। प्रधानमंत्री मोदी की हालांकि मां से कम ही बात हुआ करती थी, लेकिन वह अपनी मां की सीख को कभी नहीं भूलते। मां ने उनको कहा था काम करो बुद्धि से और जीवन जीओ शुद्धि से। ईमानदारी का रास्ता कभी मत छोड़ना। मां हीराबेन की जिन्दगी ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन की प्रेरणा रही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक पुत्र की भूमिका में अपनी मां का अंतिम संस्कार बहुत ही सादगी से किया और जहां तक कि भाजपा कार्यकर्ताओं को अंतिम संस्कार स्थल पर आने से रोक दिया और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी अपना काम करने को कहा। उनकी मां त्याग, तपस्या और कर्म की प्रतिमूर्ति थीं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर एक पुत्र के रूप में मां का कर्ज था तो दूसरी तरफ देश का फर्ज था। 

यह हमारे लिए बहुत अनुकरणीय उदाहरण है कि एक महिला निरक्षर होते हुए भी अपने बच्चों को पारिवारिक, नैतिक और सामाजिक संस्कार देती है और बेटे के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने पर भी परिवार आम आदमी की तरह जीवन व्यतीत करता है। ऐसा महानायक भी हमें दुर्लभ ही देखने को मिलेगा कि एक बेटे के रूप में नरेन्द्र मोदी सुबह-सुबह अपनी मां के अंतिम दर्शन करते हैं, अर्थी को कंधा देते हैं, उनकी चिता को मुखाग्नि देते हैं और अपने भावों को नियंत्रित करके राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व पूरे करने लग जाते हैं। प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के कार्यक्रम को वीडियोकालिंग के जरिये सम्बोधित किया और अन्य सरकारी कामकाज रोजमर्रा की तरह निपटाए। आज का​ दिन एक विलक्षण मां-पुत्र के भाव-विभोर कर देने वाले संबंधों के तौर पर याद ​किया जाता रहेगा। मां से बढ़कर इस दुनिया में और कोई नहीं है। हीरा बा के निधन पर पंजाब केसरी परिवार उनके निधन पर संवेदनाएं व्यक्त करता है और ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह उन्हें अपने चरणों में स्थान दें। ईश्वर मोदी परिवार को इस दुख की घड़ी में सहनशक्ति प्रदान करें।