भारत की धरती मुसलमानों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यही वजह है कि यहां रहने वाले मुस्लिम अन्य देशों में रहने वाले मुस्लिमों से बेहतर पाते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने एक साक्षात्कार में इस तथ्य को स्पष्ट किया है कि हिन्दू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने और साथ लेकर चलने की हमारी प्रवृति है और इस्लाम को देश में कोई खतरा नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम बड़े हैं, हम एक समय राजा थे, हम फिर से राजा बनें, ऐसा भाव मुस्लिमों को छोड़ना पड़ेगा। अगर कोई हिन्दू भी ऐसा सोचता है तो उसे भी इस विचार को छोड़ना होगा। संघ प्रमुख का यह कथन शत्-प्रतिशत सत्य पर टिका हुआ है। इस्लामिक सहयोग संगठन के लगभग 57 सदस्य देश हैं। इन देशों की पहचान एक कट्टर मुस्लिम देशों के रूप में होती है। इनमें से कुछ गिने-चुने देशों को यदि छोड़ दें तो ज्यादातर देश आंतरिक कलह, आतंकवाद और भयंकर अपराध के गढ़ बन चुके हैं। मिडिल ईस्ट देशों की बात करें तो सऊदी अरब, ईरान, इराक, सीरिया, तुर्की समेत करीब 18 देश हैं। इनमें से कुछ देश काफी अमीर हैं लेकिन वहां भी अशांति व्याप्त है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। आतंकवाद की खेती करने वाला पाकिस्तान इस समय अनाज के दाने-दाने को मोहताज है और लोगों को भरपेट रोटी भी नसीब नहीं हो रही।
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन की क्रूरता पूूरी दुनिया देख रही है। इनके अलावा अफ्रीका में मौजूद मुस्लिम राष्ट्र ज्यादातर भयंकर आतंकवाद, भूखमरी और अपराध से ग्रसित हैं। जबकि भारत में रहने वाली मुस्लिम महिलाओं पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। भारत में 18 करोड़ के लगभग मुस्लिम रहते हैं। यह ब्रिटेन, स्पेन और इटली की कुल आबादी के बराबर है। यह दुनिया के किसी भी देश में मुसलमानों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। भारत के मुसलमानों में जितनी विविधता देखने को मिलती है वो किसी और देश के मुसलमानों में नहीं दिखती। भारत के मुसलमानों ने खानपान, शायरी, संगीत, मोहब्बत और इबादत का इतिहास बनाया है।
संघ प्रमुख बार-बार यह दोहराते आ रहे हैं कि भारत में रहने वालों का डीएनए एक है और सबका धर्म वास्तव में सनातन धर्म ही है। संघ प्रमुख यह भी कहते रहे हैं कि भारत के सभी निवासी हिन्दू हैं, उनका धर्म अलग-अलग हो सकता है, पूजा पद्धति अलग-अलग हो सकती है। मगर उनकी राष्ट्रीयता एक ही है और वह िहन्दू है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का 1995 में दिया गया वह फैसला भी बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें कहा गया था कि हिन्दू संस्कृति एक जीवन शैली है, यह विशुद्ध रूप से धर्म नहीं है। वास्तव में इस तर्क में कोई वजन नहीं है कि हमने अपने संविधान में हिन्दोस्तान शब्द को न लिखकर भारत लिखा है या इंडिया लिखा है। ये दोनों ही शब्द भारत की पुरातन सनातन संस्कृति और सिन्धु घाटी की सभ्यता की संस्कृति से उपजे हैं। आर्यावर्त के जिस भूखंड को हम भारत कहते हैं वह राजा दुष्यन्त और ऋषि कन्या शकुन्तला के पुत्र ‘भरत’ के नाम पर पड़ा है। महर्षि कण्व के आश्रम में अप्सरा ‘मेनका’ की पुत्री शकुन्तला का लालन-पालन हुआ था। महाकवि कालिदास की कालजयी महाकृति ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ में जम्बू द्वीप के इस भूखंड के ‘भारत’ होने का वर्णन है। इसके बाद स्व. राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त ने हिन्दी में महाकाव्य ‘शकुन्तला’ लिखकर इसे जन-जन तक पहुंचाया। भारत के भारत होने के प्रमाण आज भी इस देश के विभिन्न स्थानों पर बिखरे पड़े हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुस्लिम क्रांतिकारियों, कवियों और लेखकों का योगदान काफी रहा है। स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपतियों में तीन डाक्टर जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद, डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पद पर रहे हैं। मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। देश में अनेक मुस्लिम नेताओं की राष्ट्रभक्ति पर कोई संदेह नहीं रहा। देश को आजाद कराने में अशफाक उल्ला खां की शहादत को कौन भुला सकता है। जरूरत है घुलमिल कर रहने की। धर्म के नाम पर पाकिस्तान का बंटवारा होने के बाद ही दीवारें खड़ी हुई हैं। भारतीय मुस्लिमों को सोचना होगा कि भारत में रहना उनके लिए गर्व की बात है और वे यहां काफी सुरक्षित हैं।