‘‘पाकिस्तान तेरा मुस्तकबिल क्या?
गोली, बम और इमरजैंसी...मार्शल लाॅ, मार्शल लॉ।’’
पड़ोसी मुल्क केे बारे में तो यही कहा जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद धूं-धूं कर जले पाकिस्तान में शहबाज सरकार इमरजैंसी लगाने की तैयारी कर रही है। लेकिन इस संबंध में शहबाज के मंत्रियों के स्वर अलग-अलग हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से ही कंगाल हो चुके आतंकिस्तान में गदर मचा हुआ है। सेना और पुलिस की गोलियों से लाशें बिछ रही हैं और शहर जल उठे हैं। इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ता और समर्थक पूरे पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। जिस तरह का विरोध देखने को मिल रहा है उसका अंदाजा तो पाकिस्तान सेना और शहबाज सरकार को भी नहीं था। पाकिस्तान में गृहयुद्ध की आशंका तो काफी पहले से ही व्यक्त की जा रही थी। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब जनता ने सेना के मुख्यालय में घुसकर हमला किया है। लाहौर के आर्मी कैंप में तोड़फोड़ की गई है। जहां तक कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के मुख्यालय को भी निशाना बनाया गया। पाकिस्तान के आवाम में पाकिस्तानी सेना के प्रति जबर्दस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। आक्रोश का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान के जनरलों और शहबाज शरीफ के घरों को भी निशाना बनाया गया है। जहां तक की लोगों ने कायदेआजम मोहम्मद अली िजन्ना के आवास को भी जलाकर राख कर दिया। आक्रोश को शांत करने के लिए न तो पाकिस्तानी सेना के पास कोई रणनीति है और शहबाज शरीफ सरकार असहाय दिख रही है। इमरान खान की गिरफ्तारी और उसके बाद पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी रिहाई के आदेश, तोशाखाना मामले में कोर्ट द्वारा निचली कार्रवाई पर रोक और अल कादिर ट्रस्ट मामले में हाईकोर्ट द्वारा जमानत देने के घटनाक्रम और सभी मामलों में जमानत देने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान की न्यायपालिका का विपक्ष खासतौर पर इमरान खान के प्रति रुख नरम है। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद की कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान सेना में भी फूट पड़ चुकी है। राजनीतिक दलों के नेता एक-दूसरे के खिलाफ आग उगल रहे हैं। इन सब परिस्थितियों में लोकतांत्रिक प्रतिष्ठान कमजोर पड़ चुके हैं। सेना कब का तख्ता पलट कर चुकी होती, लेकिन अब वह कंगाल हो चुकी अर्थव्यवस्था का बोझ ढोने को तैयार दिखाई नहीं दे रही। शहबाज सरकार और न्यायपालिका में भी पूरी तरह से ठनी हुई है।
इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान जिस तरह आग की लपटों में घिरा उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि सरकार स्थति का आंकलन करने में नाकाम साबित हुई। क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने इमरान खान पर भ्रष्टाचार और हत्या तथा हत्या के प्रयास के गंभीर आरोप हैं लेकिन सरकार इमरान खान को गिरफ्तार करने में विफल रही थी। हैरानी की बात तो यह है कि इमरान खान की गिरफ्तारी पाकिस्तानी सेना के रेंजर्स ने की। इसका अर्थ यही है कि पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर अपना वर्चस्व दिखाया है। पाकिस्तान की सेना ने बार-बार लोकतंत्र को अपने बूटों तले रौंदा है। आजादी के बाद से ही पाकिस्तान का राजनीतिक इतिहास पूर्व प्रधानमंत्रियों के खून से रंगा है। पाकिस्तान में लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए जिन हुक्मरानों ने सेना को चुनौती देने की हल्की सी भी कोशिश की उन्हें दूध में से मक्खी की तरह सत्ता से निकाल कर फैंक दिया गया। क्रिकेट की पिच से सियासत की पिच पर एंट्री करने वाले इमरान खान का भी ऐसा ही हाल हुआ। कभी फौज के लाडले खान अब उसी सेना की आंखों में चुभ रहे थे। इमरान खान और उसके समर्थकों ने सेना और आईएसआई जैसी पाकिस्तान की ही ताकतवर संस्थाओं को चुनौती देने की कोशिश की। उसने उनके सियासी खात्मे की पटकथा लिख दी। सत्ता में रहते हुए इमरान खान का टकराव पाकिस्तानी सेना के चीफ जनरल बाजवा से हो गया था। इमरान खान लगातार पाकिस्तानी फौज को निशाना बना रहे थे और अपनी तकरीरों में फौज और आईएसआई के जनरलों के खिलाफ आरोपों की बौछार कर रहे थे। लोकप्रियता के जहाज पर सवार इमरान रुकने को तैयार नहीं थे लेकिन अंततः फौज ने ही उन्हें दबोच लिया। पाकिस्तान के जलने के पीछे एक नहीं अनेक कारण हैं।
पाकिस्तान में वैसे भी बेतहाशा महंगाई और विभिन्न सामानों की किल्लत के कारण लोगों की नाराजगी चरम पर पहुच चुकी है। महंगाई का आलम यह है कि लोगों के लिए अपनी सामान्य जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में इमरान की गिरफ्तारी ने आग में घी डालने का काम किया है। आईएमएफ की ओर से पाकिस्तान सरकार को अभी तक लोन नहीं मिल सका है। आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान सरकार की ओर से शर्तें पूरी नहीं की गई हैं।
कुल मिलाकर पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता फैल चुकी है। आर्थिक स्थति पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। पाकिस्तान का वजूद खतरे में दिखाई दे रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के आवाम पर दुनियाभर की नजरें लगी हुई हैं।