लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

एन.डी.ए. में बेटियां… फख्र की बात

इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारा संविधान देश के हर नागरिक को लड़के और लड़कियों को बराबर का अधिकार देता है। सब जानते हैं कि बराबरी की बात करना और बराबर होना दो अलग-अलग बातें हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारा संविधान देश के हर नागरिक को लड़के और लड़कियों को बराबर का अधिकार देता है। सब जानते हैं कि बराबरी की बात करना और बराबर होना दो अलग-अलग बातें हैं। यद्यपि देश की बेटियों ने पृथ्वी से लेकर आकाश तक, छोटी दुकानों, कंपनियों से लेकर सरकारी विभागों तक और आईएस तथा आईपीएस तक बड़े पद हासिल किये हैं। देश में जो चुनौतियां बहुत कड़ी होती हैं हमारी बेटियों ने उन्हें स्वीकार किया है और लोहा लेकर उन्हें पार भी किया है। मैट्रो, हवाई जहाज, ट्रेन, लड़ाकू विमान तक तो लड़कियां उड़ा रही हैं लेकिन अब एक बड़ी बात यह है कि बेटियों को एनडीए अर्थात नेशनल डिफेंस एकेडमी में भी अपना जलवा दिखाने का मौका मिल गया है। बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद अब लड़कियां भी लड़कों की तरह शामिल हो सकती हैं। अब देश की बेटियां कमिशंड अफसर बनने के लिए एनडीए की परीक्षा दे सकती हैं। कल तक यह अधिकार केवल लड़कों को ही था। मेरा यह मानना है कि देश की बेटियों की समानता का अधिकार तो अब मिला है इसलिए इसका स्वागत किया जाना चाहिए। बड़ी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में बराबरी के अधिकार का सम्मान करते हुए बेटियों को भी बेटे के समकक्ष मानकर यह अवसर उनके सामने रखा है। देश में लड़का और लड़की को लेकर लैंगिक भेदभाव की बातें उठती रही है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया और मामला शांत हो गया है। 
अब हम बात करते हैं महिलाओं के अधिकार और सम्मान की। कई बार जब बलात्कार और महिलाओं के सम्मान पर चोट तथा यौन अपराध जैसी खबरें चैनलों और अखबारों में देखते हैं तो मन को बहुत ठेस पहुंचती है। सब जानते हैं कि निर्भया रेप केस के गुनाहगारों को फांसी हो चुकी है लेकिन हमारा यह मानना है कि न्याय समय पर मिलता रहे तो महिलाओं का सम्मान सुरक्षित रहेगा वरना अपराधी सर उठाते रहेंगे। हालांकि मुम्बई जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए सुरक्षित मानी जाती थी वहां अगर किसी महिला से दिल्ली के निर्भया रेप जैसा कांड हो जाए तो इसे क्या कहेंगे? हम यही चाहते हैं कि देश के हर कोने में महिलाओं के सम्मान के साथ-साथ उनकी सुरक्षा भी स​ुनिश्चित की जानी चाहिए। नारी पर दमन और जुल्म की दास्तां अगर हमारे यहां वर्षों-वर्ष पहले थी तो आज नारी सशक्त हो चुकी है। हमारे यहां मोदी सरकार ने नारी सशक्तिकरण और उसको अवसर प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दुनिया के नक्शे पर भारतीय नारी का उदाहरण आज सबसे बड़ा उस वक्त दिया जाता है जब अमरीका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने पिछला चुनाव जीता था। दुनिया भारत का लोहा मानती है। सामाजिक न्याय और नारी के अधिकार के अगर हनन की बात की जाये, जुल्मों-सितम की बात की जाये और वह हमारे पड़ोस में हो तो सचमुच आत्मा कांप उठती है। अफगानिस्तान में तालिबान ने पिछले दिनोंं  काबुल में जो कुछ दिखाया वह इंसानियत को शर्मसार करने के लिए काफी है। वहां की औरतों के प्रति यह कहना कि तुम्हें शरिया कानून मानना होगा, तुम अपने शोहर (पति) को देख भी नहीं सकती यह गुनाह होगा, तुम्हारा काम सिर्फ बच्चे पैदा करना है। पिछले दस दिन में एक गर्भवती महिला की काबुल एयरपोर्ट पर सरेआम हत्या कर दी जाती है। एक लड़की की आंखें फोड़ दी जाती हैं। चैनल में काम करने वाली लड़कियों को वापस घर भेज दिया जाता है। 
सारी दुनिया की महिलाएं चाहे वो किसी भी जाति, धर्म से हों, वो इस दिल दहला देने वाली घटनाओं की निंदा करती हैं। सब में आक्रोश है। हर देश में सरकारें बदलती हैं, परन्तु महिलाओं, बेटियों का सम्मान होना चाहिए। महिलाओं में हमेशा सदियों से देवी और दुर्गा की शक्ति रही है और समय-समय पर उन्होंने साबित भी किया है। उम्मीद है वहां भी कोई दुर्गा बनेगी या कुछ ऐसा होगा कि नारी का सम्मान करना ही होगा।
मुझे बहुत अच्छा लगता है जिस चौपाल प्रोग्राम से जिसमें सेवा बस्ती में रहने वाली महिलाओं का शोषण रोका जाता है और उन्हें आत्मविश्वास से आत्मनिर्भर बनाया जाता है। जो उनकी आंखों में विश्वास की चमक दिखती है उससे बड़ी संतुष्टि मिलती है। मैं देश की हर बेटी की आंखों में वह चमक, आत्मविश्वास आैर सुरक्षा की भावना देखना चाहती हूं। जिसके लिए मैं मोदी जी, यूपी के सीएम योगी और हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर जी को महिलाओं को अधिक से अधिक बढ़ावा देना, उनके लिए नई-नई योजनाएं लेकर आने के लिए बधाई देती हूं।
एक बार फिर से बेटियों के एनडीए से जुड़े विषय पर आना चाहती हूं कि अब बहुत जल्द बारहवीं पास बेटियां अगर सेना में जंग के मैदान में दुश्मन का सामना करने के लिए जाना चाहती हैं तो वह जूनियर कमिशंड अधिकारी बनकर मुकाबले में उतरेंगी और इस ऐतिहासिक फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। टैक्नीकल या नॉन टैक्नीकल या अन्य योग्यताएं जब आधार सबका बराबर है तो परीक्षा में अनुमति लड़कियों का भी हक है। देश में भेदभाव खत्म हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने सही फैसला लिया है, सरकार ने इसका स्वागत किया है और हमें देश की बेटियों पर और इस चुनौती भरे माहौल में उन्हें यह अवसर प्रदान किये जाने पर सचमुच नाज है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 × 1 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।