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विकास रथ पर सवार भारत

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर यानि अमृतकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था ने ऊंची छलांग लगाई है। भारत ने 200 साल तक यहां राज करने वाले अंग्रेजों को करारी शिकस्त दी है।

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर यानि अमृतकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था ने ऊंची छलांग लगाई है। भारत ने 200 साल तक यहां राज करने वाले अंग्रेजों को करारी शिकस्त दी है। भारत ने ब्रिटेन को पछाड़ कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। भारत के आगे  सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी रह गए हैं। जब हमने आजादी हासिल की थी तब किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि भारत ब्रिटेन को पछाड़ पाएगा। भारत की यह उपलब्धि महज एक दशक में प्राप्त हुई है। अब जबकि कोरोना महामारी के बाद दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हांफती नजर आती हैं। लेकिन भारत विकास के रथ पर सवार नजर आ रहा है। इस उपलब्धि का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार को दिया जाना चाहिए क्योंकि जब आप बड़े लक्ष्य सामने रखकर काम करते हैं तो फिर लाख चुनौतियां हों उप​लब्धियां हासिल होती ही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है। अगर हम इसी रफ्तार से बढ़ते रहे तो यह लक्ष्य भी हासिल हो जाएगा। तीन दिन पहले ही यह गुड न्यूज आई थी कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत ने 13.5 फीसदी ग्रोथ दर्ज की है और भारत दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था है। भारत की अर्थव्यवस्था अब 854.7 अरब डालर की हो चुकी है। जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डालर की रह गई है।
भारत का यह आंकड़ा वर्ष 2021 के अंतिम तीन महीनों का है और जीडीपी के आंकड़ों में भारत यह बढ़त वित्त वर्ष 2022-23 में भी बनाए रखे हुए है। कोरोना महामारी के दौरान दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं डांवाडोल हो चुकी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भी अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं। लेकिन तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत शक्तिमान की तरह खड़ा है। यूरोपीय देश इस समय सबसे तीव्र महंगाई और मंदी की आशंकाओं का सामना कर रहे हैं। जिनमें ब्रिटेन भी एक है। ब्रिटेन की​ स्थिति में यह गिरावट ऐसे समय आई है जब देश में राजनीतिक, अस्थिरता और सत्तारूढ़ पार्टी तथा नया प्रधानमंत्री चुनने का दौर है। कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य सोमवार को 
बोरिस जॉनसन के उत्तराधिकारी का चयन करेंगे। नए प्रधानमंत्री के लिए चुनौतियां बहुत बड़ी होंगी। भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच कारक बहुत मजबूत है। कुशल कार्यबल, लागत प्रतिस्पर्धा, अर्थव्यवस्था की गतिशीलता, उच्च शै​क्षिणक स्तर तथा खुला एवं सकारात्मक दृष्टिकोण आकर्षण के केन्द्र हैं। इसके साथ ही कौशल विकास और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निरंतर प्रयत्न किए जा रहे हैं। बीते दशकों में टैली कम्युनिकेशन, ​विमानन, इलैक्ट्रोनिक्स, आटो मोबाइल्स आदि क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा के दौर में भारतीय बाजार मजबूत बनकर उभरा है। यही कारण है कि कई वैश्विक सूचकांकों में भारत लगातार आगे बढ़ता जा रहा है।
दुनिया की पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने पर हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। कभी वह दौर था जब भारत को सांप-सपेरों का देश कहा जाता था। जब पोखरण में भारत ने पहली बार परमाणु विस्फोट किए थे। तब दुनिया भर के देशों ने हमारी गरीबी का मजाक उड़ाया था। हरेक के मन में यह सवाल तैर रहा है कि इस उपलब्धि से भारत के आम लोगों पर क्या असर होगा। भारत की अर्थव्यवस्था भी इस समय महंगाई, रुपए में गिरावट और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों से जूझ रहा है। भारतीय नागरिक यह जान लें कि भारत के लिए यह उपलब्धि सिर्फ नाम की नहीं है। इसका प्रभाव आम लोगों पर धीरे-धीरे पड़ना शुरू होगा। नई रैकिंग से निवेशकों का भरोसा भारत में बढ़ेगा। भविष्य में अगर विदेशी निवेेशक भारत में निवेश बढ़ाते हैं और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ता है तो न केवल देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि लोगों को अपना काम धंधा शुरू करने के भी मौके बढ़ेंगे। कोरोना महामारी के बाद से ही विदेशी निवेशक चीन का विकल्प तलाश कर रहे हैं और इस समय भारत ही उनके लिए सबसे बड़ा आकर्षक बाजार है। 
मोदी सरकार बड़े ही अच्छे ढंग से निवेशकों के सामने मेक इन इंडिया जैसी योजनाएं पेश कर रही है, वहीं निवेशकों को उत्पादन आधारित सुविधाएं भी देने की पेशकश कर रहे हैं। निवेशकों का भरोसा इसलिए भी बढ़ा है कि मुश्किल वक्त में भी भारत ने अपनी ग्रोथ बनाए रखी है। निर्यात के मौके या फिर पासपोर्ट की ताकत दुनिया भर के देश भारत के साथ मजबूती के साथ संंबंध बनाए रखेंगे। कृषि क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है। इसके चलते ही देश के करोड़ों लोगों को कोरोना काल में मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया। रक्षा क्षेत्र में हम सबसे बड़े आयातक थे लेकिन अब हम निर्यातक बन रहे हैं। दूरसंचार तकनीक में भी हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं। यह भारत का सामर्थ्य ही है कि एक दशक पहले भारत इस सूची में 11वें पायदान पर था जबकि अब 5वें नम्बर पर है। भारत की वृद्धि दर की बात करें तो विश्व के दूसरे नम्बर की अर्थव्यवस्था चीन भी इस समय हमसे पिछड़ रहा है। उम्मीद है कि भारत चीन को भी पछाड़ देगा। भारत की इस उपलब्धि के लिए पूरे देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई।

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