राष्ट्र नायक वही होता है जो संकट की घड़ी में समस्याओं से साहसी होकर निपटे और देश की जनता को चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करे और उनमें नई ऊर्जा का संचार करे। समय और परिस्थितियों को देखते हुए नई नीतियां और नई योजनाएं तैयार करे। राष्ट्रीय नेतृत्व की क्षमता की पहचान संकट काल में ही होती है।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोन्विद का राष्ट्र के नाम संदेश सुना। उन्होंने चीन पर अप्रत्यक्ष निशाना साधते हुए देश के लिए बलिदान देने वाले जवानों को नमन किया। उन्होंने कहा, ‘‘आज जब विश्व समुदाय के समक्ष आई सबसे बड़ी चुनौती कोरोना वायरस से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया। जवानों के शौर्य ने यह दिखा दिया कि यद्यपि हमारी आस्था शांति में है, यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा।
74वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए अपने भाषण की शुरूआत शहीदों को नमन से की। उन्होंने चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना दोनों पर सीधी चोट करते हुए कहा कि आतंकवाद और विस्तारवाद भारत के लिए चुनौती है लेकिन भारत विस्तारवादी नीति अपनाने वाले देश के लिए भी चुनौती बन गया है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के सम्बाेधन का सार यही है कि भारत दुश्मन देशों को करारा जवाब देगा और उसी की भाषा में देगा। जब प्रधानमंत्री ने एलएसी से लेकर एल और सी तक, श्रीराम मंदिर से लेकर रण तक का उल्लेख किया तो भारतवासियों में जोश दोगुना हो गया।
यद्यपि कोरोना महामारी के चलते स्वतंत्रता दिवस समारोह साधारण ढंग से और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए मनाया गया। इस बार समारोह में स्कूली बच्चे भी उपस्थित नहीं थे, लेकिन प्रधानमंत्री के शब्दों ने न केवल पूरे देश में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की आंदोलन को तीव्रता प्रदान की बल्कि इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए लोगों में ऊर्जा का संचार कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर विषय को छुआ। उन्होंने कुछ सामाजिक विषयों को भी छुआ जिनका अक्सर इस मंच पर उल्लेख नहीं किया जाता। कोरोना काल ने देश को बहुत कुछ सिखाया भी है। महामारी में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जो प्रभावित नहीं हुआ होगा। अब इन प्रभावों से मुक्त होने की तैयारी भी करनी होगी। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा होगा। उन्हें इस बात का अहसास है कि अब साधारण से काम नहीं चलेगा।
भारत को इस दशक में नई नीति और नई रीति से काम करना होगा। उन्होंने कहा हमारी पालिसीज, हमारे प्रोसेस और हमारे प्रोडक्ट सब कुछ बेस्ट होने चाहिएं, तभी हम एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना साकार कर पाएंगे। देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बुनियादी ढांचे की योजनाओं को गति प्रदान करना जरूरी है। उन्होंने सौ लाख करोड़ रुपए के नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइप लाइन प्रोजैक्ट की घोषणा की। अब देश की सौ से भी अधिक परियोजनाओं की पहचान कर ली है, जिन्हें पूरा किया जाना है। इन परियोजनाओं के शुरू होते ही लोगों को काम मिलेगा और इनमें श्रम की जरूरत पड़ेगी। श्रमिकों को काम मिलेगा तभी अर्थव्यवस्था की गाड़ी चल निकलेगी। देश की सुरक्षा में सीमाओं और तटीय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की बहुत बड़ी भूमिका होती है।
हिमालय की चोटियां हों या हिन्द महासागर के द्वीप, देश में रोड और इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभूतपूर्व विस्तार हो रहा है। कोरोना काल में आम आदमी को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध न होने की पीड़ा को भी प्रधानमंत्री ने समझा और आयुषमान योजना की तरह एक और महत्वाकांक्षी योजना नेशनल डिजिटल हैल्थ मिशन की शुरूआत की। यह योजना देश के हैल्थ सैक्टर में क्रांतिकारी साबित होगी। इस योजना के तहत हर देशवासी को एक डिजिटल कार्ड मिलेगा। जिसमें आपकी बीमारी, आपने पहले किस डाक्टर को दिखाया और आपको क्या इलाज दिया गया, सब कुछ दर्ज होगा। हर व्यक्ति की हैल्थ आईडी होगी। आप इसे किसी भी अस्पताल और डाक्टर से जुड़ सकेंगे और आनलाइन इलाज भी करवा सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने जहां देश के पिछड़े जिलों के विकास की बात की वहीं 6 लाख से अधिक गांवों में आप्टीकल फाइबर पहुंचाने की बात भी की। इस बात की पहले काफी चर्चा थी कि प्रधानमंत्री कोरोना वायरस के वैक्सीन के बारे में कुछ जरूर बोलेंगे। उनके शब्दों से देशवासियों की उम्मीद बंधी है कि भारत को कोरोना की वैक्सीन जल्द मिलेगी। उन्होंने इस बार मध्यम वर्ग के उस घाव पर मरहम लगाने की कोशिश की जिन्हें विभिन्न आवासीय योजनाओं के लटक जाने से अभी तक घर की छत नसीब नहीं हुई। उनका इशारा देश भर में लटके पड़े हाउसिंग प्रोजैक्टों के लटके होने की ओर था। उन्होंने मध्यम वर्ग को आश्वस्त किया कि सरकार उनको फ्लैट दिलाने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने सवाल भी किया कि हम कब तक कच्चा माल बाहर भेजते रहेंगे? तो देशवासी सोचने को मजबूर हुए और उनमें आत्मनिर्भर भारत बनाने का जज्बा मजबूत हुआ। कुल मिलाकर नरेन्द्र मोदी देशवासियों का संकल्प मजबूत करने में सफल रहे हैं। अगर संकल्प मजबूत होगा तो आत्मनिर्भर भारत बनाने के लक्ष्य को पूरा कर ही लेंगे। हमें नई नीति और नई रीति को अपनाना ही होगा।