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नीरव मोदी : जेल कर रही इंतजार

पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी और भगौड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को भारत लाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। फरवरी में लंदन कोर्ट से नीरव के प्रत्यर्पण की मंजूरी मिलने के बाद ब्रिटेन की गृहमंत्री प्रीति पटेल ने भी प्रत्यर्पण की स्वीकृति दे दी।

पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी और भगौड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को भारत लाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। फरवरी में लंदन कोर्ट से नीरव के प्रत्यर्पण की मंजूरी मिलने के बाद ब्रिटेन की गृहमंत्री प्रीति पटेल ने भी प्रत्यर्पण की स्वीकृति दे दी। इसे भारत की शीर्ष जांच एजैंसी सीबीआई और वित्त मंत्रालय द्वारा दिखाई गई तीव्रता की सफलता ही कहा जाना चाहिए। यद्यपि यह कहना मुश्किल है कि घोटालेबाज को भारत लाने में कितना समय लगेगा क्योंकि ब्रिटिश कानून के तहत अभी भी उसके पास 14 दिन में अपील करने का अधिकार है। शातिर नीरव मोदी अंतिम दम तक कानूनी हथकंडों का इस्तेमाल करेगा। 
बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाकर देश से भागने वाले विजय माल्या और नीरव मोदी लम्बे अरसे से देश में बहस का मुद्दा बने हुए हैं। विजय माल्या तो विधायक, कर्नाटक में मंत्री आैर संसद के सदस्य रह चुके हैं, इतने सम्मान प्राप्त करने वाले माल्या का जीवन तो रंगीनियों से भरा था। वह धोखाधड़ी कर ​किस तरह भागने में सफल हुआ, यह एक अलग कहानी है। भगौड़े लोग देश की आपरा​िधक न्याय प्रक्रिया के लिए चुनौती बन गए थे। नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक के साथ करीब 11,345 करोड़ के घोटाले का आरोप है। इसके अलावा उसके ​खिलाफ भारत में मनी लांड्रिंग के केस भी लम्बित हैं। भारत दो साल से भी ज्यादा समय से नीरव के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा था। नीरव मोदी 2018 में भारत से भागने के बाद कई अज्ञात स्थानों पर रहा, आखिर में पता चला कि वो ब्रिटेन में है। उसे मार्च 2019 में प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तार किया गया था। तब से उसने कई बार जमानत के लिए आवेदन किए लेकिन वेस्ट मिस्टर अदालत और लंदन हाईकोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया। नीरव ने कोर्ट में मेंटल हैल्थ से लेकर भारत की आर्थर रोड जेल में खराब व्यवस्था का दावा भी किया लेकिन उसे कोर्ट ने हर बार झटका दिया।
देश में जितने भी बैंक घोटाले हुए उसमें नौकरशाही की संलिप्तता रही। बड़े घोटालों की जड़ में है भ्रष्टाचार। नीरव मोदी मामले में भी पीएनबी के कई अफसरों के​ विरुद्ध कार्रवाई की गई। भगौड़े अपराधी आैर कालाधन जब देश में बड़ा मुद्दा बन गया तो 2018 में भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक पारित किया गया। इस विधेयक के तहत ऐसे आर्थिक अपरा​िधयों के खिलाफ सख्त प्रावधान किए गए जो मुकदमे से बचने के लिए देश छोड़ कर भाग जाते हैं। इस कानून में भगौड़ों के तमाम नागरिक अधिकार निलम्बित करने का प्रावधान है और अगर अपराधी ने एक निश्चित रकम से ज्यादा की धोखाधड़ी की है तो फिर उसकी सम्पत्ति जब्त करने का भी प्रावधान है लेकिन अगर आरोपी मुकदमे की सुनवाई के लिए वापिस लौट आता है तो फिर उसके खिलाफ की गई ये कार्रवाइयां वापिस ले ली जाएंगी। इस कानून के दो लक्ष्य हैं एक तो भगौड़े आर्थिक अपरा​िधयों को देश में वापिस लाना, दूसरा आर्थिक अपराध के खिलाफ लोगों में डर पैदा करना। वैसे विदेश भागने वाले अपराधियों की देश में मौजूद अपनी सम्पत्ति जब्त होने की कोई खास चिंता नहीं रहती। इस बात को अन्तर्राष्ट्रीय पूंजीवाद और वित्तीय तंत्र के हवाले से समझा जा सकता। विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की अरबों रुपए की सम्पत्ति जब्त की गई है। इससे भगौड़े अपराधियों पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
दरअसल खेल यह है कि बड़े घोटाले की रकम हेरफेर कर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दी जाती है और कर्ज जानबूझ कर नहीं चुकाया जाता। जो कर्ज उठाया जाता है उसके मुकाबले काफी मूल्य की किसी सम्पत्ति पर उठाया जाता है। कम्पनियों से जुड़े अरबपति अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन करते हैं, वे अपनी सम्पत्ति का बड़ा हिस्सा किसी दूसरे में स्थानांतरित कर देते हैं, जहां भारत का न्यायिक क्षेत्र लागू नहीं होता। विदेशों में ऐसे भगौड़ों की अय्याशी भरा जीवन इसकी पुष्टि करता है। कानून बनाए जाने के बावजूद बैंक घोटाले रुक नहीं रहे। एक के बाद एक बड़े बैंक घोटाले सामने आए हैं। महाराष्ट्र के सहकारी बैंकों में बड़े घोटाले हुए। बैंकों की बैलेंसशीट सुधारने के लिए बैंकों का विलय किया गया है। अकेले नीरव मोदी को लाकर जेल में बंद करने से एनपीए संकट हल नहीं होगा। सही रणनीति यही होगी कि ऐसे अपराधियों को सजा देने और बैंकों द्वारा अपने कर्जे के बड़े हिस्सों की वसूली में संतुलित कायम किया जाए। नीरव मोदी की वापसी से निश्चित रूप से आर्थिक अपराधियों में खौफ पैदा होगा। 2017 में नीरव मोदी को दुनिया की मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने भी अपनी लिस्ट में जगह दी थी। उस वक्त उसकी कुल सम्पत्ति 149 अरब रुपए की थी, जिसकी बदौलत उसे लिस्ट में जगह मिली थी। 2014 में नीरव मोदी ने नई दिल्ली के डिफैंस कालोनी में पहला फ्लेगशिप स्टोर खोला था, फिर उसने मुम्बई, फिर न्यूयार्क, हांगकांग में अपने स्टोर खोले। 2008-9 में आई आर्थिक मंदी में भी नीरव मोदी ने फायदा उठाया। जब हीरा कारोबार चौपट हो चुका था तो उसने बेहद कम कीमतों पर हीरे खरीद कर ज्यूलरी बनानी शुरू कर दी। कभी बड़े-बड़े फिल्मी सितारों को अपने ब्रैंड का एम्बेसडर बनाने वाला नीरव मोदी का इंतजार अब मुम्बई की आर्थर जेल कर रही है, ऐसा इसलिए कि उसने भारत के राजस्व का इस्तेमाल अपना साम्राज्य बनाने के लिए किया और अपना राष्ट्र धर्म भूल गया। 
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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