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ऑनर किलिंग में कोई ऑनर नहीं

देशभर में नामवार ऑनर किलिंग यानि इज्जत के लिए हत्या। मगर ऑनर किलिंग में ऑनर जैसी कोई बात नहीं। अब लड़के-लड़कियां अपना जीवन साथी खुद चुन रहे हैं।

देशभर में नामवार ऑनर किलिंग यानि इज्जत के लिए हत्या। मगर ऑनर किलिंग में ऑनर जैसी कोई बात नहीं। अब लड़के-लड़कियां अपना जीवन साथी खुद चुन रहे हैं। जिसका अर्थ पूर्ववर्ती सामाजिक नियमों को विदाई देने जैसा है लेकिन ऐसा करने वालों को परिवार के विरोध का सामना करना पड़ता है। यद्यपि अदालतें, केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारें ऐसे युवाओं की सहायता के लिए आगे आ रहे हैं। एक तरफ युवा पीढ़ी बदल रही है लेकिन कट्टरपंथ और रुढ़ियों से बंधे परिवारों को आज भी नागवार गुजर रहा है।
हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में ऑनर किलिंग की खबरें आती रहती हैं। युवक और युवतियों की जान ली जा रही है। दिल्ली के द्वारका इलाके में ऑनर किलिंग का मामला सामने आया है। लड़के से प्रेम विवाह करने पर नाराज लड़की के परिजनों ने लड़के की हत्या कर दी, जबकि लड़की जिन्दगी और मौत से जूझ रही है। इससे दो दिन पहले कर्नाटक में ऑनर किलिंग का नया मामला सामने आया है। युवती के परिवार वालों ने ही जोड़े की हत्या कर दी। मृतक बसंवराज मदीलवल बडिगर मदार समुदाय (दलित) से ताल्लुक रखता था तथा आटोरिक्शा ड्राइवर था, जबक युवती मुस्लिम थी। युवती का परिवार इस शादी का विरोध कर रहा था। कर्नाटक में ऑनर किलिंग के स्पष्ट मामले में एक दम्पति की शादी के चार वर्ष बाद पत्थर मार कर हत्या कर दी थी। यह मामला मीडिया में काफी चर्चित रहा था। उन्हें प्यार करने की सजा मौत मिली थी। अब जबकि ‘लव जेहाद’ को लेकर बार-बार बवाल मचता है। इसके साथ जुड़ा हुआ है धर्म परिवर्तन का मामला। राज्य सरकारों ने धर्मपरिवर्तन को लेकर कानून भी सख्त किए हैं।
इसी वर्ष एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अन्तर जातीय विवाह सम्भवतः जातियों और समुदायों के बीच तनाव कम करेंगे। दरअसल ऑनर किलिंग इस धारणा का परिणाम है कि कोई भी व्यक्ति जिसके किसी कृत्य के कारण यदि उसके कुल या समुदाय या धर्म का अपमान होता है तो कुल या समुदाय की रक्षा के लिए उस व्यक्ति विशेष की हत्या जायज है।
देश की शीर्ष अदालत ने कहा है कि यदि दो बालिग अपनी मर्जी से शादी करते हैं तो कोई भी तीसरा व्यक्ति उसमें दखल नहीं दे सकता। एक तरफ हम दलित, मुस्लिम गठबंधन की चर्चा करते हैं, इसकी चर्चा महज सियासी समीकरण को देखते हुए करते हैं लेकिन वास्तव में देश में जातिगत धारणाएं लगातार बढ़ रही हैं। अधिकांश ऑनर किलिंग के मामले तथाकथित ऊंची और नीची जाति के लोगों के प्रेम संबंधों के मामले में देखने को ​मिलते हैं। अन्तर धार्मिक संबंध भी ऑनर किलिंग का एक बड़ा कारण है। ऑनर किलिंग मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ अनुच्छेद 21 के अनुसार गरिमा के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन भी है। यह देश में सहानुभूति, प्रेम, करुणा, सहनशीलता जैसे गुणों के अभाव को और बढ़ाने का कार्य करता है। विभिन्न समुदायों के बीच राष्ट्रीय एकता, सहयोग आदि की धारणा को बढ़ावा देने के लिए एक बाधक का कार्य करता है। ऑनर किलिंग​ विकृत सामाजिक मानसिकता को बढ़ावा देती है जो सामाजिक न्याय के विरुद्ध है।
देश की खाप पंचायतों ने ऑनर किलिंग को जिस तरह से संरक्षण दिया और ऐसे-ऐसे अपराध किए हैं, जिसे सभ्य समाज स्वीकार नहीं कर सकता। तभी तो सर्वोच्च न्यायालय ने 28 मार्च, 2018 को शक्ति वाहिनी बनाम भारत संघ मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था जिसके तहत सम्मान आधारित हिंसा को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस निर्णय में खाप पंचायतों को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया क्योंकि यह खाप पंचायतें सामांनातर न्याय व्यवस्था स्थापित करने लगी थीं। 
अंतर्जातीय विवाहों से कहीं अधिक समस्या दूसरे धर्म में विवाहों में होती है। कभी-कभी दो लोगों के प्रेम को साम्प्रदायिक रंग भी दे दिया जाता है। दो अलग-अलग धर्म के व्यस्क स्वावलम्बी लोग यदि निश्चय करते हैं कि वो शादी करना चाहते हैं तो माता-पिता को उनका साथ देना चाहिए। जहां तक सम्भव हो बिना धर्म परिवर्तन किए स्पैशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह हो सकते हैं। अगर मुस्लिम युवक किसी हिन्दू युवती से शादी कर ले तो इतना बवाल नहीं मचता। बशर्ते वो शादी गलत इरादों से न की गई हो। अगर मुस्लिम युवती किसी हिन्दू से शादी कर ले तो बवाल खड़ा हो जाता है। जो समाज एक वेब सीरिज से डर जाए, जो मुस्लिम युवती के हिन्दू लड़के से प्रेम की कहानी पर आधारित हो तो फिर स्पष्ट है कि उस समाज ने ‘धूप की दीवार’ खड़ी कर रखी है। जबकि सीरिज  शांति, एकजुटता और नफरत के ऊपर दिल का संदेश देती है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष का अनुमान है कि दुनिया में 5 हजार के लगभग ऑनर किलिंग की घटनाएं होती हैं। समाज में ऐसी हत्याएं न हों, इसके लिए कानून तो है लेकिन समाज में दीवारें बहुत बढ़ी हैं। याद रखना होगा कि सम्मान के लिए किसी की जान लेने में कोई ‘सम्मान’ नहीं है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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