लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

वाजपेयी जैसा कोई नहीं

NULL

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नृशंस हत्या और श्रीमती इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी हत्याकांड मेरे जितनी उम्र के लोगों के लिए इतिहास हो सकता है लेकिन कुछ हस्तियों की मौत भी अपने आप में एक ऐसा इतिहास लिख जाती है कि जिसकी छाप आपके दिलो दिमाग से कभी मिट नहीं पाती। दो दिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी जी की मौत ने सचमुच देश और दुनिया को हैरान और कईयों को परेशान कर डाला। हैरान इसलिए क्योंकि वाजपेयी जैसी शख्सियत की उपस्थिति (चाहे वह बीमार ही क्यों न हो) अपने आप में काफी है। परेशान इसलिए क्योंकि हमारे पड़ोसी दुश्मन पाकिस्तान को सुधारने की जितनी कोशिश वाजपेयी जी ने की और वह सही रास्ते पर नहीं चला, नये हुक्मरानों के लिए उनकी मौत अपने आप में एक ऐसा ही कारण है। किसी चीज की अचानक सफलता के बाद उन पर किताबें लिखी जाती हैं। शोले ने जब सफलताओं के एक के बाद एक कीर्तिमान स्थापित किए तो उस पर किताबें लिखी गईं और शोध किए गए। वाजपेयी जी के एक इंसान, एक व्यक्तित्व और एक पीएम को लेकर भी सचमुच शोध किए जायेंगे। ऐसी महान पुण्य आत्मा को कोटि-कोटि नमन है।

atal sm
किसी भी व्यक्ति की सफलता और लोकप्रियता का पैमाना उसकी अंतिम यात्रा से ही लगाया जा सकता है। लाखों की भीड़ हो और वह अनुशासित और व्यवस्थित यह तब हो सकता है जब आप खुद अनुशासन प्रिय और व्यवस्था में रहने वाले व्यक्ति हों। जैसा नाम वैसा ही जीवन और वैसा ही व्यक्तित्व, यह केवल अटल बिहारी जैसे व्यक्ति के साथ ही संभव हो सकता है। जितना मैंने पढ़ा, समझा या फिर समाज में, अपने सर्कल के बीच या सहयोगियों के बीच डिसकस किया है उसके आधार पर इसी नतीजे पर पहुंचा हूं कि मुझे उनके जीवन का जो पहलू सबसे ज्यादा पसंद आया वो आतंकवाद, कश्मीर और पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर था। बतौर प्रधानमंत्री वह वाघा बॉर्डर से लाहौर तक गए, इसके बाद जबर्दस्त तनातनी के बीच उन्होंने भारत-पाक रिश्तों की मजबूती के लिए सड़क यातायात दिल्ली और लाहौर के बीच अमन बस सेवा के रूप में खोल दिया। हालांकि यह वाजपेयी जी की सोच के साथ किया गया एक बहुत बड़ा धोखा था जो पाकिस्तान के चाल-चलन और चरित्र और उसके इतिहास पर बदनुमा दाग है। कारगिल में भी हमारे साथ धोखा हुआ लेकिन वाजपेयी जी बराबर लगे रहे कि अगर आपकी सोच सार्थक और राष्ट्र को समर्पित है तो एक न एक दिन परिणाम निकलेगा ही। पीएम तो बहुत देखे और सुने परंतु यह बात सच है कि वाजपेयी जैसा कोई नहीं। पाकिस्तान और आतंकवाद पर अपनी बात आगे बढ़ाने से पहले हम एक बार फिर स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि वाजपेयी जी के जीवन में उनका हर काम एक ऐसी दूर की सोच वाला था जो भाजपा को आखिरकार बुलंदी पर पहुंचाने में बहुत कारगर सिद्ध हुआ।
बार-बार पाकिस्तान को समझाने-बुझाने का लाभ न मिलता देखकर आखिरकार वाजपेयी जी ने वही किया जो पाकिस्तान चाहता था कि टेबल पर रिश्तों की बातचीत होनी चाहिए। आगरा में भारत-पाक शिखर वार्ता अगर पटरी से उतरी तो उसके लिए भी पाकिस्तान के तत्कालीन शासक परवेज मुशर्रफ जिम्मेदार रहे। हालांकि आज प्रधानमंत्री मोदी पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधारने के पक्षधर हैं और हमेशा ऐसी कई पहल कर भी चुके हैं। दु:ख इस बात का है कि परिणाम नहीं निकल पा रहा। कश्मीर को लेकर वाजपेयी जी ने साफ कहा था कि यह भारत का अभिन्न अंग है, इसकी कीमत पर कोई बातचीत और समझौता नहीं होगा। उनका यह कथन और स्टैंड आज भी इतना प्रासंगिक है कि इसी कश्मीर को लेकर पाकिस्तान पूरी दुनिया में बेनकाब हो चुका है। आतंकवाद के मामले में भी यही पाकिस्तान पूरी तरह से इस तरह सबके सामने बेनकाब हुआ कि अमरीका ने अब उसको अपने यहां आतंक खात्मे के लिए दी जाने वाली रकम भी बंद कर दी।
अपने सभी राजनीतिक विरोधियों और पार्टी के अंदर भी कभी-कभी अाक्रामक तेवर दिखाने वालों को अपने साथ लेकर चलने की कला अगर भाजपा में किसी के पास थी तो वह वाजपेयी ही थे। एक ऐसा व्यक्ति जो 9 वर्ष से सार्वजनिक जीवन से बाहर हो और जब अचानक दुनिया से विदा ले ले और लोग खुद-ब-खुद उनके अंतिम सफर में शामिल हो जाएं तो लोकप्रियता और स्वीकार्यता की एक नई इबारत लिखी जा सकती है। विकास क्या है इसे लेकर नेता लोग भले ही बड़े-बड़े दावें कर लें परंतु वाजपेयी जी कहा करते थे कि विकास को देखकर लोग महसूस करें कि हम सड़क पर चलते हुए सहज हैं, इसी का नाम विकास है। यह काम वाजपेयी जी ने किया था और इसके बारे में दावा या प्रचार नहीं किया था। देश और दुनिया की भावनाओं को समझना, महज दो सांसदों वाली पार्टी अगर आज पूर्ण बहुमत में है तो इसकी परिकल्पना और पहल वाजपेयी जी ने ही की थी। वाजपेयी अपने नाम के मुताबिक एक अटल इतिहास के सूत्रधार रहे हैं। उनके बारे में एक शे’र प्रस्तुत है
कुछ लोग थे कि
वक्त के सांचे में ढल गए
कुछ लोग हैं कि
वक्त के सांचे बदल गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

two × 4 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।