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Video नहीं Crime होने से बचाओ

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मैं हर बार यही लिखती आ रही हूं कि माता-पिता कहां जाएं। बच्चे को स्कूल भेजते डरते हैं। पार्क में खेलने भेजने से डरते हैं। आगे ताे यही होता था कि घर का बेटा युद्ध में गया तो घर के लोग डरते थे कि वापस आएगा या देश के लिए शहीद हो जाएगा परन्तु आज तो हर समय डर लगा रहता है। पिछले दिनों जो स्कूल के बच्चों के साथ घटनाएं हुईं। प्रद्युम्न केस, अभी तुषार की हत्या, फिर एक बच्चे द्वारा ​प्रिंसिपल की हत्या…हद ही हो गई।

आखिर यह सब क्या हो रहा है? क्या इसका जिम्मेदार आज का सोशल मीडिया है या लोगों में संस्कारों, भावनाओं, संवेदनशीलता की कमी आ रही है या क्राइम और शूटिंग पर जो वीडियो गेम या पिक्चरें बन रही हैं, उसका असर हो रहा है। यही नहीं, आज सबसे बड़ी चिन्ता का विषय है कि आम लोगों को हर बात की वीडियो बनाने का इतना शौक हो गया है कि वे अपना फर्ज भूल रहे हैं। पिछले दिनों एक बच्चे का पिता उसे नंगा कर उल्टा टांगकर मार रहा था। उसके चाचा ने उस बच्चे को बचाने आैर पिता को रोकने की बजाय उसकी वीडियो बना ली। कितनी शर्म की बात है। ऐसे ही एक लड़की को कुछ लड़के छेड़ रहे थे तो लोगों ने उसको बचाने की नहीं सोची, उसकी वीडियो बनानी शुरू कर दी। यही नहीं कुछ महीने पहले किसी लड़की को फ्लाइट में किसी पुरुष ने छेड़ने की कोशिश की। उसकी भी वीडियो बनी, न कि उसको थप्पड़ मार-मारकर वहीं किसी ने रोका।

यही नहीं पिछले दिनों गाड़ियां धुंध (फॉग) की वजह से टकराईं, हाईवे पर एक्सीडेंट हुआ। लोगों को बचाने के बदले गाड़ियों के टकराने, लोगों के फंसे होने, घायल होने की वीडियो बनी। कहीं सेल्फी खींचते युवा पानी में डूब रहे हैं। अभी एक युवा ने अपने आपको गोली मारते फेसबुक पर लाइव किया। वाह भई सोशल मीडिया के चाहने वालो, कुछ तो ख्याल करो। सोशल म​ीडिया को पोजिटिव बातों के लिए प्रयोग करो न कि नकारात्मक बातों के लिए। यही नहीं कई युवा अपनी गर्ल फ्रैंड के साथ आपत्तिजनक परिस्थितियों में वीडियो बनाकर वायरल करते हैं आैर लड़कियों को ब्लैकमेल करते हैं। कई लड़कियां-लड़काें के कितने ही केस हो चुके हैं।

यही नहीं पिछले दिनों मेरे पास एक कम्पनी के लोग आए। उन्होंने कहा कि हम अपनी राय देना चाहते हैं। जब मुझे उनकी राय के बारे में पता चला तो मैं हैरान-परेशान हो गई कि वे सोशल मीडिया में ईमेज सुधारने-बिगाड़ने का काम करते हैं। जिस पोलिटिकल व्यक्ति की ईमेज हाई लेवल पर करनी हो वो करते हैं, किसी को सबकी नजरों से गिराना हो तो वो भी कर सकते हैं और उनका चैलेंज है कि किस लेवल तक पहुंचाना है। मैंने उनके आगे हाथ जोड़ दिए कि आप गलत स्थान पर आ गए। यही नहीं मुम्बई में हमारे यहां से गया बहुत ही प्रिय मेहनती फोटोग्राफर, जिसको अश्विनी ने स्थापित होने में मदद की थी, अब बहुत बड़ी कम्पनी चला रहा है। उसका मुझे फोन आया-भाभी जी अश्विनी सर ट्वीट क्यों नहीं करते। मैंने कहा वो फोन भी यूज नहीं करते। उन्हें लगता है कि यह वेस्ट ऑफ टाइम है और उनका दिमागी काम है लिखना-पढ़ना परन्तु उसने कहा- अब तो एम.पी. हैं, राजनीति में हैं, उन्हें यह सब करना चाहिए आैर उनके फाॅलोअर वैसे भी लाखों में हो जाएंगे क्योंकि उनके सम्पादकीय भी बहुत पढ़े और पसन्द किए जाते हैं और यही नहीं यहां कई कम्पनियां हैं जो ट्वीट की फालोइंग को जितने पैसे डालो उतना बढ़ा देती हैं। अधिकतर राजनेताओं ने यही किया हुआ है तो उनकी तो करोड़ों तक हो जाएगी। बाह क्या हैरानगी की बात है।

सोशल मीडिया आज पांचवां स्तम्भ बन चुका है, इसे अभिशाप मत बनाओ। किसी को सेफ करने के लिए, पोजिटिव मैसेज फैलाने के लिए, देशभक्ति जगाने के लिए या किसी पर अन्याय हो रहा है तो उसकी आवाज उठाने के लिए इसे इस्तेमाल करो या ई-इनवाइट के लिए प्रयोग करो ताकि समाज में इसकी मान्यता रह सके। मेरे व्हाट्सएप पर बहुत मैसेज-वीडियो आते हैं, क्योंकि मैं बहुत से ग्रुप्स से जुड़ी हुई हूं। मैं सब वीडियो देखती आैर मैसेज पढ़ती थी, जवाब देती थी। अब इसे आेपन ही नहीं करती क्योंकि वेस्ट हैं या तो उलट-पुलट जोक्स हैं या किसी की छवि खराब करने के लिए या किसी की चापलूसी करने के लिए हंै। कुछ ही काम के होते हैं।

आज जरूरत है सोशल वीडियो को सकारात्मक ढंग से प्रयोग करने की ताकि इसकी वैल्यू रहे या स्मार्ट फोन की भी वैल्यू रहे क्योंकि हरेक के पास स्मार्ट फोन है। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब मैं ट्रेवल करती हूं तो मेरा ड्राइवर जीपीएस सिस्टम से देख लेता है कि कहां ट्रैफिक है, किधर जाना है, कितना समय लगेगा आदि-आदि। यह तो हुई न बात। मेरे बहुत ही प्रिय वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सदस्य बीमार होते हैं। वे अपने बच्चों के पास अमेरिका, इंग्लैंड चले गए। उनसे व्हाट्सएप पर बात कर उनको वीडियो बनाकर भेजना आदि। यह तो हुई पोजिटिव बात और ऑनलाइन शॉपिंग, अपनी सासू मां से व्हाट्सएप वीडियो कॉल करना, दूर बैठे रिश्तेदारों से बात करना जिससे दूरियां समाप्त हुईं। पूरा वर्ल्ड ग्लोबल विलेज बन गया है, कहीं जाने की जरूरत नहीं। यह तो हुई अच्छाई परन्तु इतनी बुराइयां बढ़ रही हैं कि सोशल मीडिया की वैल्यू दब रही है। इसे हमें बचाना होगा।

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