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हे भगवान स्टूडेंट्स पर मेहर करो…

पहले कोरोना, फिर लॉकडाउन और इसके बाद देश और दुनिया में कोरोना का असर यह हर किसी के लिए झंकझोर कर रख देने वाला था।

पहले कोरोना, फिर लॉकडाउन और इसके बाद देश और दुनिया में कोरोना का असर यह हर किसी के लिए झंकझोर कर रख देने वाला था। पहली लहर, दूसरी लहर और इसके बाद तीसरी लहर ने सचमुच शिक्षा जगत को हिलाकर रख दिया। ऑनलाइन कक्षाओं का एक लंबा सिलसिला जो दो साल तक चलता रहा अब कहीं जाकर हालात सामान्य होने के साथ ही टूट रहा था और सब कुछ पटरी पर आने लगा था कि तभी यूक्रेन पर रूस ने हमला कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि वहां मेडिकल डिग्री के लिए पढ़ाई करने के लिए भारत से गये हुए बीस हजार से भी ज्यादा छात्र-छात्राएं वहां फंस गये हैं। ऐसा लगता है कि स्टूडेंट्स के लिए समय ठीक नहीं चल रहा। पहले ऑनलाइन का सिलसिला फिर बिना परीक्षा के उत्तीर्ण होने की परंपरा और बड़ी मुश्किल से महीना भर पहले जब हालात सामान्य होने लगे तो सीबीएसई ने 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं ऑफलाइन कराने का ऐलान कर दिया। जिसका पैरेंट्स और छात्र-छात्राओं ने स्वागत किया था कि अब एक बार फिर यूक्रेन में भारतीय छात्र-छात्राओं के वहीं फंस जाने की खबर ने हमारी चिंता बढ़ा दी है। विदेशी शिक्षा हासिल करने के लिए माता-पिता कर्ज लेकर या बैंक से लोन लेकर बच्चों को बाहर भेजते हैं। एक मां होने के नाते मैं कल्पना कर सकती हूं कि बाहर फंसे बच्चों का क्या हाल होगा और उनके माता-पिता किस दौर से गुजर रहे होंगे। उनकी वीडियो सोशल मीडिया पर चल रही, कैसे दिखा रहे हैं। कुछ छात्र पैदल सुरक्षित बार्डर की तरफ चल रहे हैं। कुछ वैन में चल रहे हैं, कुछ बेसमेंट में बिना कुछ खाये-पीये रह रहे हैं उनके पास पैसे नहीं हैं।  ऐसे में बच्चों की सुरक्षा बहुत जरूरी हो जाती है। युद्ध के दौरान होने वाली बमबारी यह नहीं देखती कि तबाह कौन होगा? लेकिन अपने बच्चों की खातिर हमारे बीस हजार से ज्यादा भारतीय परिवार यूक्रेन में फंसे बच्चों की सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं। सोशल मीडिया भरा पड़ा है। हम सबकी प्रभु से यही प्रार्थना है कि ये बच्चे देश का भविष्य है हे भगवान अपनी मेहर इन बच्चों पर जरूर करना और हमारी सबकी यही दुआएं हैं कि ये बच्चे स्वदेश लौट आएं।  सरकार डटी हुई है और पिछले चार दिनों में दो फ्लाइट भारत आईं हैं और लगभग चार सौ बच्चे लौटे भी हैं। शनिवार को भी 219 छात्रों को भी एयरइंडिया की फ्लाइट से मुंबई लाया गया जहां उनका स्वागत केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ​िकया। यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों ने भारत माता की जय के नारे लगाए। लेकिन यूक्रेन में फंसे भारतीयों की संख्या ज्यादा है तो यकीनन यह समय अच्छा नहीं है। लेकिन जब चुनौतियां आती हैं तो धैर्यशीलता के साथ ही काम लेना चाहिए। अच्छी बात यह है कि मोदी सरकार ने वहां फंसे स्टूडेंट्स की भारत वापसी के लिए एयरलिफ्ट कराने का फैसला ​िकया। यद्यपि यूक्रेन गए बच्चे मध्यम परिवारों से हैं लेकिन खुशी की बात यह है कि सरकार सबकी केयर करने वाली है। खुद प्रधानमंत्री अपनी टीम के साथ डटे हुए हैं और सरकार द्वारा कहा गया है कि वह ही सारा खर्च करेगी बच्चों को भारत वापिस लाने के लिए क्योंकि उनके पास पैसे नहीं हैं। हम बच्चों के माता-पिता से यही कहना चाहते हैं कि वे घबराएं नहीं सब ठीक रहेगा। भारत माता के ये प्यारे बच्चे बहुत जल्द घर आयेंगे और युद्ध सबके लिए चिंता बढ़ाने वाला तो है इसलिए धर्य रखना होगा। प्रभु सब पर अवश्य मेहर करेंगे और यह युद्ध भी शांत हो जायेगा। यहां एक उल्लेखनीय बात कहना चाहूंगी कि अब 10वीं व 12वीं की परीक्षाएं 26 अप्रैल से ऑफलाइन के रूप में शुरू हो जाएं ताकि आगे कोई दिक्कत न आए। परंतु नकारात्मक सोच वालों की कमी भी नहीं है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाल दी गयी और कहा गया कि ऑफ लाइन बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी जाएं। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा स्टेंड लेते हुए एक ही झटके में याचिका खारिज कर दी और बहुत ही महत्वपूर्ण टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिकाएं जब आप लेकर आते हैं तो भ्रम की स्थिति पैदा होती है और छात्र-छात्राओं में झूठी उम्मीद बंधती है। सच बात तो यह है कि जो परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स हैं उनमें भी भ्रम की स्थिति पैदा होती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी व्यवस्था दी कि छात्रों और अधिकारियों को उनका काम करने देना चाहिए। सही वक्त पर डेट सीट भी घोषित हो जायेगी। सुप्रीम कोर्ट यही नहीं रूकी और योग्य जजों ने कहा कि ऐसी याचिका दायर करके आप छात्र-छात्राओं तथा अथोरिटी को काम करने से रोकने की कोशिश न करें। अगर ज्यादा बहस की तो जुर्माना भी लगा देंगे। तब कहीं जाकर याचिकाकर्ता चुप कर गये और अब यह तय हो गया है कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन ही होंगी। हम इस फैसले का तहे दिन से स्वागत करते हैं और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खान विलकर की बेंच के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कहते हैं कि उन्होंने परीक्षाओं को लेकर एक भ्रम अर्थात गलतफहमी पैदा होने से बचा ली। 
हम यहां स्पष्ट कर दें कि अब बहुत कुछ गंवाने के बाद और कोरोना से शिक्षा को जो नुकसान हुआ है उससे उभरने का समय आ गया है। कुछ नर्सरी फाउंडेशन के बच्चों ने तो अभी तक स्कूल नहीं देखा था। लेकिन अच्छे काम करते हुए भी इस तरह की भ्रम या गलतफहमी पैदा करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। खुद स्टूडेंट्स के माता-पिता परीक्षाएं चाहते हैं। दरअसल 10वीं और 12वीं हमारी उच्चस्तरीय शिक्षा का आधार है जो हमारे करियर की नींव बनाता है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय की यत्र-तत्र-सर्वत्र सराहना की जा रही है। कितने ही अभिभावकों ने सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को बधाई दी है। बल्कि अच्छी बात तो यह है कि जो अन्य कंपीटीटीव परीक्षाएं हैं अब उनके भी आफलाइन को लेकर सही तरीके से सबकुछ लागू होगा। जो स्टूडेंट्स वहां फंसे हुए हैं उनके बारे में खुद सरकार इस मामले में गंभीर है और दूतावास ने भारतीयों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किये हैं। अनेक लोगों के हमारे पास भी फोन आ रहे हैं परंतु हमारी यही अपील है कि जो जहां है वहीं सुरक्षित रहे। थोड़े से भी हालात सुधरने पर एयर इंडिया के विशेष विमान वहां फंसे स्टूडेंट्स को सुरक्षित देश में लायेंगे। उनके इरादे कभी नहीं टूटने चाहिए। शिक्षा का मार्ग लंबा है, कठिनाईयों भरा है तो घबराना नहीं चाहिए। सब कुछ सामान्य होगा अगर कल रात अंधेरा था तो आने वाला कल उजालो से भरा होगा। इसलिए घबराना नहीं धीरज रखना होगा।

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