लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

हे राम ! जहरीली हवाओं का कोहराम

यह सच है कि जीवन में कुछ भी सुनिश्चित नहीं है कि कब क्या हो जाये लेकिन आपके जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली हवा के बारे में यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वह हमें किसी भी पल प्रभावित कर सकती है?

यह सच है कि जीवन में कुछ भी सुनिश्चित नहीं है कि कब क्या हो जाये लेकिन आपके जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली हवा के बारे में यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वह हमें किसी भी पल प्रभावित कर सकती है? इस हवा के दम पर ही हमारी सांसें चलती हैं यही खराब या प्रदूषित हो जाये तो जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता। हर साल दिवाली के बाद पिछले 20 साल से यही कुछ सामने आ रहा है कि हवा जहरीली हो चुकी है।  दिवाली से लेकर नवंबर या दिसंबर तक इस हवा के जहरीला होने का बड़ा कारण पंजाब और हरियाणा के खेतों में पराली का जलाया जाना है, जिससे वायुमंडल धुएं से भर जाता है। लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अखबारों की सुर्खियों में रोज यही छपता है कि दिल्ली की आबोहवा खराब हो रही है। इंसान और इंसानियत के लिए यह कोई अच्छा संकेत नहीं है। हमें अपनी आबोहवा को शुद्ध रखने के लिए कुछ न कुछ करना ही होगा और बेहतर है कि अभी से संभल जायें वरना हालात बहुत खराब हो जायेंगे। 
कोरोना की जब पहली, दूसरी व तीसरी लहर आयी तो देश के लोगों ने एकजुट होकर लॉकडाउन से लेकर मास्क और सैनिटाइजर के रास्ते पर चलते हुए इस मुसीबत को चलता किया। लेकिन हवा जहरीली होने के मामले में ऐसे लगता है कि हम एकजुट नहीं हो पा रहे। किसान अपनी फसल को उगाने के लिए खेतों में पराली को जला रहे हैं। पंजाब और हरियाणा का यह जहरीला धुआं वायुमंडल के एक निश्चित क्षेत्र में रुक जाता है और ताजी हवा को लोगों तक नहीं पहुंचने देता। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली एनसीआर और राजस्थान तक दम घोंटू हवा की ऐसी चादर बिछती है कि सांस तक लेना मुश्किल हो जाता है। अभी दो दिन पहले ही इस मामले में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आयी जिसमें यह कहा गया है कि पराली जलाये जाने से हवा ज्यादा जहरीली होती है। यह सर्वे चालीस हजार लोगों की बातचीत पर आधारित है। तो कितनी अच्छी बात है कि पराली को जलाने से रोका जाये और यदि इसका वैज्ञानिक तरीके से पराली को जलाने से रोकने का हल निकल पाये तो उस पर चलना चाहिए। इस पर प्रयास हुए या नहीं हुए यह तो समय ही जवाब देगा लेकिन एक बात बड़ी पक्की है कि दिल्ली में वर्क फ्राम होम की बात होने लगी है। बच्चों को बचाने के लिए उन्हें स्कूल भेजने की बजाये घर से ही काम करने की बातें ऑन दा रिकार्ड कही जा रही है। घर से काम करने के तरीके छोड़कर अब हम बड़ी मुश्किल से बाहर निकले हैं तो सुरक्षित रहने के लिए अगर हम हवा के जहरीले रहने के दौरान मास्क या अपने फेस को कवर करके चलें तो बचाव हो सकता है।
मेरी साथ ही किसान भाईयों से अपील है कि वे हमारे अन्नदाता हैं और वे हमारे अपने हैं, तो कृपया करके इंसानियत के खातिर पराली को जलाने का काम न करें और अगर इस पराली को जमीन से उखाड़कर अतिरिक्त मेहनत कर लें तो सचमुच जहरीली हवा से इंसान को बचाया जा सकता है। पिछले एक हफ्ते से दिल्ली का जो वायु गुणवत्ता सूचकांक है वह 400 से ऊपर पहुंच चुका है, इसका मतलब यह हुआ कि यह एक बहुत गंभीर श्रेणी है। दिल्ली में आजकल भी 425 से 450 तक वायु गुणवत्ता सूचकांक बोल रहा है। यह मानव जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इंग्लैंड, रूस, अमरीका, मलेशिया तक में 50-100 तक वायु गुणवत्ता सूचकांक पहुंचने पर गंभीर संकट की चेतावनियां जारी हो जाती हैं और हम 400 का लेवल पार कर चुके हैं। हमारे फेफड़ों पर इस चीज का कितना असर हो रहा होगा यह कल्पना ही हैरान कर देने के लिए काफी है। 
हालांकि दिल्ली में वायु गुणवत्ता को सुरक्षित रखने के लिए निर्माण कार्य बंद हो चुके हैं। लेकिन हमारा मानना है कि सबसे बड़ी मार कोरोना के दिनों में स्कूलों और कालेजों को लेकर ही झेली है। बच्चे बड़ी मुश्किल से अब बाहर निकले है तो उनकी सुरक्षा के लिए कुछ न कुछ किया जाना चाहिए और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को भी कड़े पग उठाने होंगे। सबसे ज्यादा मार जहरीली हवा की दिल्ली पर पड़ रही हैं। सब मिलजुल कर प्रदूषण के खिलाफ लड़ सकते हैं। यह तभी होगा जब लड़ाई के खिलाफ ईमानदारी से एकजुट रहने की पहल हो। हम परोपकार की भावना के साथ चलें, हमारे किसान भाई भी सोचें और नई पीढ़ी को जहरीली हवाओं से बचाएं यही इस समय सबसे बड़ी वक्त की आवाज है। इस खतरे को समझना होगा तथा अलर्ट रहकर मानव और मानवता को बचाना होगा। भगवान से विनती है कि वह सबकी सुरक्षा करें और किसानों व प्रशासन से भी अपील है कि वे भी गंभीर रहें और मानवता को बचाएं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

18 + two =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।