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ऑन लाइन गेमिंग और गैम्बलिंग

केन्द्र सरकार क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है क्योंकि इसे राष्ट्र हितों के खिलाफ माना जा रहा है ।

केन्द्र सरकार क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है क्योंकि इसे राष्ट्र हितों के खिलाफ माना जा रहा है लेकिन समाज में और सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा हो रहा है जिससे न केवल राष्ट्र हितों को नुक्सान पहुंच रहा है बल्कि दूसरे बच्चे और युवा पीढ़ी भ्रमित और दिशाहीन हो रही है। यद्यपि अभिभावक अपने बच्चों को मोबाइल पकड़ा कर निश्चिंत हो जाते हैं कि चलो व्यस्त रहेंगे। कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान बच्चे पहले से कहीं अधिक समय ऑन लाइन गेमों पर लगाने लगे हैं। कोरोना से पहले मोबाइल गेम पर औसतन 2.5 घण्टे प्रत्येक सप्ताह समय बिताते थे जो लॉकडाउन में समय बढ़ कर पांच घण्टे हो गया। ऑन लाइन गेम्स के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर एक ओर खुलेआम जुआ चल रहा है तो दूसरी तरफ प्राइवेट ऋण देने वाली कंपनियां लोगों को बर्बाद कर रही हैं। साइबर गेम जो ​किसी  भी दृष्टि से साइबर अपराधों से कम नहीं। ‘सबसे अच्छा ऑन लाइन कैसीनो’ के नाम से वेबसाइटों पर धड़ल्ले से ​विज्ञापन चल रहे हैं। ऑनलाइन गेमिंग ने देश के बच्चों को जकड़ लिया है और बच्चों को जहां स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने लगी हैं तो इन गेमों में फ्राड भी सामने आ रहे हैं। इन सभी मुद्दों को भाजपा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र में उठाया।
आज 47 करोड़ से ज्यादा यूजर्स ऑनलाइन गेम्स खेल रहे हैं और अनुमान है कि 2025 तक यह आंकड़ा 65.7 करोड़ का हो जायेगा। उन्होंने तो केन्द्र से यह भी मांग कर दी है कि ऑनलाइन गेम्स पर नियंत्रण के लिए एक व्यापक फ्रेम वर्क तैयार करके सरकार को टैक्स लगाना चाहिए। अभी ऑनलाइन गेमिंग से होने वाला राजस्व 13,600 करोड़ रुपए का है जो 2025 में और बढ़ने की संभावना है। ऑनलाइन गेमिंग के जरिए जुए का कारोबार अब बहुत बड़ा आकार ले चुका है। ऑनलाइन गेम बनाने वाले सट्टा कारोबारी मोबाइल एप के ​जरिए लोगों तक पहुंचा रहे हैं। जीतने पर नकद धनराशि या उपहारों का आफर ​दिया जाता है। एंड्रायड मोबाइल रखने वालों के लिए घर बैठे ही ऑनलाइन जुआ खेलना आसान हो गया है। ज्ञान गुरु माने जाने वाले गूगल पर ऐसे खास ऑनलाइन गेम का पिटारा खुल जाता है तो ढेरों गेम्स सामने आ जाते हैं। इसके अलावा एक मिनट में लोन देने की कहानी के पीछे छिपा है लोगों को लूटने का तरीका। एप्स पर मिनटों में मिलने वाला लोन लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक बार-बार चेता रहा है लेकिन लोग उस पर ध्यान ही नहीं दे रहे। ‘एक मिनट में लोन’ रैकेट के पीछे चीन, इंडोनेशिया और कुछ अन्य देशों के शातिर दिमाग काम कर रहे हैं।
लॉकडाउन के दौरान अचानक ऐसे एप काफी सक्रिय हो गए, क्योंकि बहुत से लोगों की नौकरियां चली गई, रोज कमाने-खाने वाले करोड़ों लोगों के पास कोई काम नहीं रहा। ऐसे लोगों के लिए यह एप सहारा बन कर आये लेकिन ये साधू के वेश में शैतान की भूमिका ​निभा  रहे हैं। इससे अक्सर ग्राहक से तीन महीने का बैंक स्टेटमेंट, आधार कार्ड या पेन कार्ड की कापी लेकर तुरन्त यानि कुछ मिनटों में ही लोन दे दिया जाता है। कई बार ऐसे कागजात न रहने पर भी लोन दे दिया जाता है। ऐसे ज्यादातर एप चीन के हैं और उनका किसी भी बैंक या गैर बैंकिंग संस्थान से कोई नाता नहीं है। जब कुछ मिनटों के बाद ग्राहक के बैंक अकाउंट में रकम डाल दी जाती है, इसके बाद शुरू होता है एक दुष्चक्र। ऐसे एप 30 से 35 फीसदी का सालाना ब्याज तो लेते ही हैं बल्कि तय समय पर ऋण न मिलने पर प्रतिदिन 3 हजार रुपए तक पैनल्टी भी लगा देते हैं। इसकी वजह से कुछ लोग दूसरे एप से लोन लेने के झांसे में फंस जाते हैं। ऐसे लोगों को इनके टेलीकॉलर और रिकवरी एजेंट इस तरह से लोगों को प्र​ताड़ित करते हैं ​की  उनका जीवन दूभर हो जाता है। कंपनियां लोन लेने वालों की पर्सनल डिटेल सोशल मीडिया पर शेयर कर उन्हें डिफाल्टर घोषित कर देती हैं। सामाजिक अपमान से क्षुब्ध होकर कई लोग आत्महत्या जैसे चरम कदम उठा चुके हैं। पहले लोगों को दर्जनों काल कर परेशान किया  जाता है, फिर उनके परिवार के सदस्यों को फोन कर धमकाया जाता है। अगर कोई लोन नहीं चुका पाता तो उसके सम्पर्क के लोगों काे फोन कर जानकारी दी जाती है और लोगों को अपमानित किया जाता है।
युवा ऐसे लोन लेकर ऑनलाइन जुआ खेलते हैं और हार जाने पर नए एप से लोन ले लेते हैं। ​फिर  वे ऐसे दुष्चक्र में फंस जाते हैं कि उनके सामने आत्महत्या करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। केरल, तमिलनाडु, आंध्र और अन्य राज्यों में जब आत्महत्यायें बढ़ने लगी तो राज्य सरकारों ने इस पर प्रतिबंध लगाये। जुए और सट्टे को कानूनी वैधता देने के मुद्दे पर नैतिक द्वंद्व की स्थिति पैदा हो जाती है। ऑनलाइन जुआ और सट्टा खेलना एक ऐसा क्षे​त्र है जिसमें गैर कानूनी तरीके से प्राप्त किया गया धन लगाया जाता है जिससे एक समानांतर अर्थव्यवस्था का सृजन हो रहा है जिससे वैध तरीके से प्राप्त की गई आय को कालेधन में बदला जा रहा है। चीन खुद बच्चों की ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन जुए से परेशान है। उसने बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग से दूर रखने के ​लिए  ​नियम  कड़े किए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है ​की  हम अपने बच्चों को इन आदतों से छुटकारा कैसे दिलायें। क्या रोक लगाकर आदतों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसका समाधान अभिभावक, परिवार और समाज को ढूंढना होगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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