पिछले दिनों मुझे दरियागंज के प्रसिद्ध ऐतिहासिक सिनेमाघर डिलाइट में कुछ सेना, एयर फोर्स, कोस्ट गार्ड और देशभक्त लोगों की एक संस्था ने बतौर मुख्य अतिथि बुलाया। मेरे साथ सांसद महेश गिरी और शहनवाज हुसैन की पत्नी श्रीमती रेनू हुसैन भी थीं। मैं जवानों के साथ फोटो खिंचवा कर गर्व महसूस कर रही थी क्योंकि देश पर मर-मिटने वालों के लिए बचपन से मेरे मन में एक जुनून है। मैंने अपनी देह सैनिकों के लिए दान दे रखी है और अपनी कुछ स्वयं लिखित पुस्तकों से प्राप्त राशि मैं शहीद परिवारों को समर्पित करती हूं चाहे वो सेना का शहीद, पुलिस का सिपाही हो क्योंकि हम भारतवासी अगर चैन की नींद सोते हैं तो यह सिर्फ उन जवानों की वजह से जो देश की सरहदों या कोई भी आपदा आने पर पूरे देश की दिन-रात रक्षा करते हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि आतंकवादियों और हमारे पड़ोसी पाकिस्तान ने जब-जब भारत पर हमले किए उन्हें हमारी फौजों ने करारा जवाब दिया। भारतीय फौजों के प्रति हमारा विश्वास इतना ज्यादा है कि हम चैलेंज करते हैं कि भविष्य में भी जब-जब आतंकवादी या पाकिस्तान कोई ऐसा कांड करेंगे, उन्हें तबाह कर दिया जाएगा। एलओसी के पास उरी स्थित आर्मी बेस कैम्प पर जब 4 साल पहले आतंकवादियों ने हमारे सोये हुए जवानों को घात लगाकर किए गए हमले में शहीद कर दिया था तो इन 19 जवानों की शहादत का बदला लगभग 40 आतंकवादियों को मारकर जिस तरीके से लिया गया था, उसका नाम उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक है। इस सारे घटनाक्रम को जानने के बावजूद मैंने पिछले दिनों उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक फिल्म देखी तो मैं एक बार फिर से अपनी फौज को बधाई देना चाहती हूं।
आज के समय में ऐसी फिल्मों की बहुत जरूरत है, जो देशभक्ति का जज्बा पैदा करती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में जो राजनीतिक क्षमता नेतृत्व के दम पर निर्णय लेने की है, वही इस फिल्म की मुख्य जान है और लोगों को पता होना चाहिए कि सेना को पावर देने के पीछे राजनीतिक नेतृत्व किस कदर काम कर रहा होता है। अगर 1971 की जंग प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की राजनीतिक इच्छाशक्ति के दम पर हमारी फौजों की जबर्दस्त जीत थी तो यही काम अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए कारगिल युद्ध के समय अपनी फौजों के दम पर अंजाम दिया था। अब आए दिन आतंकवादियों की बढ़ती हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए जो रणनीति पीएम मोदी ने राजनीतिक नेतृत्व के दम पर अपनाई और उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक करके दिखाई, सचमुच हम इसे सैल्यूट करते हैं।
अगर विदेशी आतंकवादी मणिपुर में हमारी सीमा में घुसकर हमला करते हैं तो वह जवाब भी हमारी फौजों ने सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में दिया है। मैं फिर से उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर फिल्म पर केंद्रित होना चाहूंगी कि ज्यादातर फौजियों के परिवार बड़ी मुश्किलों में अपनी तमाम व्यक्तिगत समस्याएं छोड़कर देश को समर्पित रहते हैं, तो हमें उनके बारे में सोचना चाहिए। यह इस फिल्म में बड़े बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। एक ऐसा जांबाज कमांडो जिसकी मां को भूल जाने की बीमारी है और वह म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक के बाद वॉलंटियर रिटायरमेंट की बात करता है तो देश का प्रधानमंत्री उसे यह कहता है कि इनकी मां की देखभाल के लिए एक स्थायी नर्स इनके घर पर नियुक्त कर दी जाए और इस जांबाज अफसर का ट्रांसफर दिल्ली आर्मी हैड क्वार्टर कर दिया जाए। एक पीएम को देश के जवानों की फिक्र है, इस फिल्म ने यह संदेश दिया है। यह जवान उरी हमले में शहीद हो जाता है तो उनके परिवार का एक और सदस्य इसी उरी हमले का बदला अपने अन्य सैनिक भाइयों के साथ पीओके में पाकिस्तानी आतंकवादियों के कैम्प नष्ट कर लेता है।
सच बात यह है कि सेना को लेकर या सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर या सरकार के आचरण को लेकर इस मामले में हमारे यहां राजनीति होती रही है। मुझे इस मामले में सिर्फ इतना कहना है कि कृपया राष्ट्र भक्ति को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए और जिसको कोई जवाब चाहिए वो जाकर उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक फिल्म देखे। पहली बार एक बेहद साफ-सुथरी और परिवार के साथ देखने वाली फिल्म जो देशभक्ति पर आधारित हो, वह देखकर मजा आ गया। संभवत: हमारा यूथ इस फिल्म को देखने के बाद सेना के किसी भी अंग से जुड़कर अपना करियर बनाना चाहेगा जिसमें कुछ कर दिखाने का जज्बा है। पीवीआर हाल में कितने ही ऐसे दृश्य इस फिल्म के दौरान उभरे जब आतंकवादियों के मारे जाने पर लोगों ने देर तक तालियां बजाईं और भारत माता की जय के उद्घोष भी सुनाई दिए। राष्ट्र भक्ति का जज्बा इसे ही कहते हैं।
मैैं कई बार सेना के जवानों और उनके परिवारों से मिल चुकी हूं और मुझे बड़ी खुशी होती है कि उन लोगों ने आज भी देशप्रेम का अपना जज्बा संभाल कर रखा हुआ है बल्कि अपने बच्चों को भी सेना में ही भेजना चाहते हैं। पिछले दिनों देशभक्ति पर आधारित पंजाबी फिल्म ‘सैल्यूट’ में भी एक ऐसे ही जवान की कहानी थी, जो सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर दुश्मन से निपटने को तैयार रहता था और उसका बलिदान दिखाया गया है। जरूरत राष्ट्र भक्ति की है और देश में राष्ट्र भक्ति का जज्बा खूब है। मैं व्यक्तिगत तौर पर सरकार से अपील करना चाहूंगी कि इतनी महान फिल्म को टैक्स फ्री किया जाना चाहिए ताकि देश का हर नागरिक इसे जाकर देखे। भारतीय जज्बे, जवानों के बलिदान, उनके परिवारों की हिम्मत और फिल्म बनाने वालों के साथ-साथ देश के पीएम जो राजनीतिक इच्छाशक्ति को सेना के साथ जोड़कर चलता है, उन सबको हमारा सैल्यूट। साथ ही एक अनुरोध यह भी कि उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक फिल्म को आस्कर अवार्ड के लिए भारतीय फिल्म के रूप में आगे भेजा जाना चाहिए।