‘‘पुंछ की धरती में जिन वीरों का खून जला
उनकी मां को नमन करें हम जिनको यह बलिदान मिला
गिन-गिन कर हम बदला लेंगे भारत में स्वर एक कहे
आज शपथ है इस भारत को अब न यह आतंक सहें।’’
जम्मू-कश्मीर के पुंछ में घात लगाकर हुए हमले में राष्ट्रीय राइफल्स के पांच जवानों की शहादत आतंकवादियों की बौखलाहट का परिणाम है। कश्मीर घाटी से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में अमन लौट आया है। सुरक्षा बलों के आपरेशन आलआऊट से आतंकवादियों की कमर टूट चुकी है। आतंकी संगठनों के कमांडरों की उम्र अब कुछ महीने ही बची रहती है। जम्मू-कश्मीर में चुनावों की तैयारी भी चल रही है। कश्मीर का आवाम राष्ट्र की मुख्य धारा से और विकास की धारा से जुड़ रहा है। ऐसे में हताश आतंकी संगठन अपनी साजिशों से बाज नहीं आ रहे। पुंछ में सुरक्षा बलों के काफिले पर हमला उस समय हुआ जब दिनभर यह खबर चलती रही कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भाग लेने के लिए मई में भारत आएंगे।
बिलावल भुट्टो के आने की खबर के बाद ऐसे कयास लगाए जाने लगे थे कि शायद इससे भारत-पाक संबंधोें पर जमी बर्फ पिघल जाएगी। पाक का आवाम भी इस समय यही चाहता है कि पाकिस्तान और भारत के संबंध सामान्य हो जाएं। लेकिन पाक प्रायोजित आतंकियों ने हमला कर सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इतिहास गवाह है कि जब भी भारत और पाकिस्तान में शिखर वार्ताओं का दौर हुआ, पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों ने हिंसक वारदातें कर इन वार्ताओं को विफल कर दिया। भारत इस वर्ष जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। इसके तहत भारत अब तक 100 से अधिक बैठकें कर चुका है। दो बैठकें श्रीनगर और लद्दाख के लेह में होंगी। लेह में 26 से 28 अप्रैल और श्रीनगर में 22 से 24 मई को बैठक होनी है। पाकिस्तान इन बैठकों पर आपत्ति जता चुका है। पाकिस्तान इस बात से परेशान है कि दुनिया के ताकतवर देशों के प्रतिनिधि कश्मीर में आकर बैठक करेंगे। उस कश्मीर में जिसका राग पाकिस्तान हर मंच पर गा चुका है, लेकिन दुनिया की ताकतें उसकी ओर कोई तवज्जो नहीं दे रहीं। कोई उसे मुंह नहीं लगा रहा।
दाने-दाने को मोहताज कंगाल पाकिस्तान अपने हाथ में एल्यूमिनियम का कटोरा थामे दर-दर मदद और ऋण देने की भीख मांग रहा है। मगर पाकिस्तान कश्मीर पर झूठे आंसू बहाना नहीं भूलता। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर को विवादित बताकर जी-20 की बैठक का विरोध किया है, लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर का सच पूरी दुनिया के सामने है। पाकिस्तान के हुक्मरान अपने देश के लोगों को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह भले ही उन्हें रोटी के लिए आटा न दे पाते हों लेकिन कश्मीर पर रो-रो कर वो भीड़ इकट्ठा करना जानते हैं। पाकिस्तान कश्मीर को लेकर भारत को बदनाम करने की साजिशें रच रहा है लेकिन अफसोस उसका अपना आवाम ही अपने हुक्मरानों पर भरोसा नहीं कर पा रहा। पाकिस्तान के राजनीतिज्ञ और आवाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की सराहना खुलेआम कर रहे हैं। पुंछ में हमला कर आतंकी ताकतें केवल यह दिखाना चाहते हैं कि कश्मीर घाटी में हालात सामान्य नहीं हैं। पाकिस्तान के हुक्मरानों की राजनीति यही रही है कि भारत के प्रति घृणा का माहौल कायम किया जाए और जनता को बरगलाया जाए। पाकिस्तान को कुछ भी याद नहीं रहता।
-तीन-तीन युद्धों में हारने वाले पाकिस्तान को याद नहीं कि 1971 के युद्ध में उसके 90,000 सैनिकों को भारत ने एक रस्से में बांधकर घुमाया था।
-पुलवामा हमले के बाद भारत ने 12 दिन बाद ही 26 फरवरी 2019 को बालाकोट एयर स्ट्राइक करके अपना बदला ले लिया था।
-पाकिस्तान यह भी भूल गया कि 16 सितम्बर, 2016 के उड़ी हमले के मात्र 10 दिन बाद भारत ने पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी और आतंकियों के अड्डों को तबाह कर दिया था।
पाकिस्तान को क्या-क्या याद दिलाएं, लेकिन अब उसे एक बार फिर भारत के आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है। पुंछ हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद के मुखौटा संगठन पीएएफएफ ने ली है। पीएएफएफ यानि पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट 2019 में जैश के प्रॉक्सी आउटफिट के तौर पर उभरा था। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कई आतंकी संगठनों ने अपना मुखौटा बदल लिया था।
आजादी के 75 वर्ष में हमारे अनुभव यही बताते हैं कि सूर्य चाहे शीतल हो जाए, नदियां चाहे अपनी दिशाएं बदल दें, हिमालय चाहे उष्ण हो जाए पर पाकिस्तान कभी अपने सीधे रास्ते पर नहीं आ सकता। भारत को अपने हर जवान की शहादत का हिसाब करना है। लक्ष्य बस एक ही हो पाकिस्तान की आतंकी ताकतें मरघट में तब्दील हो जाएं तभी अमन होगा। आतंकवाद का पूर्ण विध्वंस ही भारत का लक्ष्य है। पाकिस्तान बस इंतजार करे।