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प्रशांत सागर देश : मोदी की यात्रा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की आस्ट्रेलिया और पापुआ न्यू गिनिया की यात्रा रद्द किए जाने से आस्ट्रेलिया के सिडनी में क्वाड शिखर बैठक को रद्द करना पड़ा, बल्कि पापुआ न्यू गिनिया आयोजित प्रशांत महासागर स्थित द्वीप देशों के नेताओं की बैठक को भी रद्द करना पड़ा।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की आस्ट्रेलिया और पापुआ न्यू गिनिया की यात्रा रद्द किए जाने से आस्ट्रेलिया के सिडनी में क्वाड शिखर बैठक को रद्द करना पड़ा, बल्कि पापुआ न्यू गिनिया आयोजित प्रशांत महासागर स्थित द्वीप देशों के नेताओं की बैठक को भी रद्द करना पड़ा। जो बाइडेन की यात्रा रद्द करने की मजबूरी अमेरिका के घरेलू संकट की वजह से आई है। अमेरिका का कर्ज सीमा संकट गम्भीर मोड़ पर पहुंचता हुआ दिखाई दे रहा है। अगर इसी महीने अमेरिकी कांग्रेस कर्ज सीमा बढ़ाने पर राजी नहीं हुई तो अमेरिका के लिए ऋण डिफाल्ट करने तक की नौबत आ सकती है। अमेरिका के ऋण संकट ने जो बाइडेन को एक बड़ी कूटनीतिक पहल करने से रोक दिया। जो बाइडेन की पहली प्राथमिकता अपने  घर को सम्भालना है। यद्यपि बाइडेन जापान में जी-7 समिट में भाग लेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज से जापान और पापुआ न्यू गिनिया और आस्ट्रेलिया की यात्रा पर जाएंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि उनके शासनकाल में भारत की कूटनीति को नए आयाम हासिल हुए हैं। दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं के बीच आत्मविश्वास से भरा एक मजबूत नेता, एक मजबूत भारत का प्रतिनिधि, एक ऐसा देश जो आर्थिक विकास कर रहा है। दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले भारत को अब पश्चिमी देश विस्तारवादी चीन के मंसूबों पर विराम लगाने वाले एशिया के सबसे शक्तिशाली देश के तौर पर देखते हैं। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जापान और पापुआ न्यू गिनिया की यात्रा का अपना एक महत्व है। जापान इस समय जी-7 समिट की अध्यक्षता करता रहा है। जी-7 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत उन गिने-​चुने देशों में शामिल है जो परमाणु अप्रसार संधि में शामिल नहीं हैं। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री हिरोशिमा शहर जा रहे हैं। पंडित नेहरू 1957 में हिरो​िशमा गए थे लेकिन भारत द्वारा 1974 में परमाणु परीक्षण के बाद इस शहर का कोई दौरा नहीं हुआ। जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फूमियो हिरो​शिमा से हैं। जी-7 देशो में जापान, इटली, कनाडा, फ्रांस, अमेरिका, यूके और जर्मनी शामिल हैं। समिट के लिए गैर सदस्य देशों को भी बुलाया जाता है। भारत इस वर्ष जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी-7 सम्मेलन में अपनी प्राथमिकताओं पर एक राय बनाने की कोशिश करेंगे। प्रधानमंत्री स्थिरता और समृद्धि, खाद्य, उर्वरक, ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण और बुनियादी ढांचा तथा विकास सहयोग जैसे मुद्दों पर बातचीत करेंगे। जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फूमियो और  अन्य नेताओं से भी उनकी बातचीत होगी। जापान और भारत के बीच औपचारिक संबंध 1952 में शुरू हुए थे। राजनयिक संबंधों की स्थापना से पहले ही दोनों देशों के बीच सद्भावना व्यापार, शैक्षिणक और सांस्कृतिक संबंध बने हुए थे। संबंधों के 71 वर्षों के दौरान दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी में संबंध विकसित हुए हैं। जापान ने भारत को मैट्रो रेल परियोजना के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में पूर्ण सहयाेग दिया है और कई क्षेत्रों में वह लगातार निवेश और सहायता कर रहा है। 
भारत में आटोमोबाइल सैक्टर के विकास में जापान की महत्वपूर्ण भूमिका है। जापान के बाद प्रधानमंत्री मोदी पापुआ न्यू गिनिया और आस्ट्रेलिया भी जाएंगे। पापुअ न्यू गिनिया के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मारापे के साथ द्विपक्षीय बैठक तो करेंगे ही साथ ही फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आइलैंड्स कार्पोरेशन की शिखर बैठक में भी भाग लेंगे। भारत के लिए प्रशांत क्षेत्र के द्विपीय देश काफी महत्वपूर्ण हैं। प्रशांत क्षेत्र में हाल ही के वर्षों में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ा है। चीन का प्रभाव कम करने के लिए  अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया तो सहयोग कर ही रहे हैं लेकिन भारत को प्रशांत क्षेत्र के द्वीप देशों की तरफ भी दोस्ती और सहायता का हाथ बढ़ाना जरूरी है। 
भारत और पापुआ न्यू गिनिया के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी होंगे। यद्यपि क्वाड की बैठक नहीं होगी लेकिन प्रधानमंत्री मोदी आस्ट्रेलिया दौरे पर जाएंगे और आस्ट्रेलिया-भारत व्यापारिक संबंधों पर चर्चा करेंगे। भारत और आस्ट्रेलिया संबंध पहले से ही काफी मधुर और मजबूत हैं। दोनों देशों में हिन्द प्रशांत क्षेत्र के ​िवकास के संबंध में विचारों का आदान-प्रदान होगा और एक मुक्त खुले और समावेशी हिन्द प्रशांत के ​लिए विजन को आगे बढ़ाने पर चर्चा भी आवश्य होगी। भारत और जापान की सेनाएं अमेरिका और आस्ट्रेलिया के साथ नौसेना अभ्यासों का अहम हिस्सा हैं। साझा खतरा चीन और उसकी बढ़ती नौसेना की मौजूदगी है जो सबसे बड़ी चुनौती है। मोदी के नेतृत्व में भारत ने विदेश निति में नई इबारत लिखी है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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