लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

पाकिस्तान का ‘कश्मीर वायरस’

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है क अगर देश में सब-कुछ बंद कर दिया गया तो भूखे मरने की स्थिति आ जाएगी।

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या पाकिस्तान में भी लगातार बढ़ती जा रही है। पाकिस्तान के आर्थिक हालात पहले से ही बेहद खराब हैं। महंगाई आसमान को छू रही है। आवश्यक चीजों की जमाखोरी हो रही है और इमरान सरकार बेबस हो रही है। न तो पाकिस्तान के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं हैं और न ही विशेषज्ञ डाक्टर। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है क अगर देश में सब-कुछ बंद कर दिया  गया तो भूखे मरने की स्थिति आ जाएगी। 
कर्ज ले-लेकर किसी न किसी तरह पाकिस्तान अपनी गाड़ी हांक रहा है। कोरोना वायरस से उसकी अर्थव्यवस्था पर तगड़ी मार पड़ रही है तो उसे विश्व बैंक से और कर्ज लेना पड़ेगा। पाकिस्तान में बंदूकें तो बहुत हैं लेकिन अस्पतालों में वेंटीलेटर नहीं हैं। पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के पास बम, हथगोले तो बहुत हैं लेकिन अस्पतालों में गोलियां नहीं। यह सब इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान ने जमीन पर हमेशा आतंक की खेती की है और इनकी बंदूकों से गोलियां निकलती हैं तो दवाइयां कहां से आएंगी। 
संकट की घड़ी में भी पाकिस्तान के हुक्मरान कोरोना वायरस से ज्यादा कश्मीर वायरस से पीडि़त नजर आ रहे हैं। वैसे तो पाकिस्तान हर वैश्विक मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठा कर भारत को निशाना बनाता रहा है और कश्मीर मसले पर उसकी ओर से विश्व जनमत को प्रभावित करने की उसकी कोशिशें किसी से छिपी हुई नहीं हैं। यह भी सच है कि पाकिस्तान के हर मौके पर बेसुरे राग को कोई देश सुनने को तैयार नहीं। मुझे एक कहानी याद आ रही हैः ‘‘एक सातवीं कक्षा के विद्यार्थी के लिए उसके मां-बाप बड़े चिंतित रहते थे। 
उन्हें लगता कि बच्चा अल्प से भी अल्प बुद्धि का है। बच्चे की उम्र यही करीब ग्यारह या बारह वर्ष की रही होगी। होता यह था ​कि हर दो-चार दिन में उस बच्चे के पिता के यहां ताश और ‘सोमरस’ की महफिल जमती। जब सब लोगों का ​दिमाग सातवें आसमान से भी ऊपर पहुंच जाता तो वे उस बच्चे को बुलाते और उसके समक्ष एक 50 पैसे का सिक्का रखते और एक 50 रुपए का नोट और कहते-इसमें से एक उठा लो। बच्चा सोच-समझ कर हर बार पचास पैसे का सिक्का उठाता। 
जब वह सिक्का लेकर भागता तो उसका बड़ा मजाक उड़ाया जाता। बच्चे के पिता ने स्कूल के प्राचार्य से शिकायत की। प्राचार्य का कहना था कि लड़का तो क्लास में अव्वल आता है, इस बात में जरूर कोई रहस्य है। प्राचार्य ने बच्चे को बुलाया और कारण पूछा। बच्चा बोला- ‘‘सर, मेरे पिता के दोस्त मुझे पागल समझें या मूर्ख, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पिछले 4-5 वर्षों से मेरे पिता के दोस्त यह खेल मेरे साथ खेल रहे हैं। 50-50 पैसे करके हजारों रुपए मैं उठा चुका हूं। 
कई बार वह 10 रुपए और 500 रुपए का नोट रखकर भी यही काम करते हैं, पर ऐसा कम ही होता है। जिस ​दिन मैंने 10 रुपए या 500 रुपए का नोट उठा लिया, उसी दिन यह सारा खेल खत्म हो जाएगा। मैं चाहता हूं यह खेेल चलता रहे। यह खेल चलाए रखने की खातिर ही मैं 500 रुपए का नोट नहीं बल्कि पचास पैसे का ​सिक्का ही उठाता हूं।’’ उपरोक्त कहानी में बच्चा खुद कहता है कि जिस दिन उसने 500 रुपए का नोट उठाया, उसी दिन उसका खेल खत्म हो जाएगा। 
उसी तरह जिस दिन इमरान ने कश्मीर का मुद्दा छोड़ दिया उसका खेल खत्म हो जाएगा। कश्मीर वायरस से संक्रमित पाकिस्तान ने संकट की घड़ी में भी अपना मजाक उड़वाया। कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिये सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों से संवाद किया और सहयोग का हाथ बढ़ाया। नरेन्द्र मोदी ने सार्क देशों के समक्ष एक आपात कोष बनाने का प्रस्ताव रखा और उसमें भारत की ओर से एक करोड़ डालर देने की घोषणा भी की। 
यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सार्क देशों में दुनिया की कुल आबादी का पांचवां हिस्सा रहता है। एक तो इमरान खान ने इस संवाद में ​हिस्सा नहीं लिया और अपनी जगह विशेष सहायक और स्वास्थ्य राज्यमंत्री जफर मिर्जा को भेज ​दिया। वैसे तो पाकिस्तान भारत से वार्ता की पेशकश करता रहा है लेकिन भारत का स्टैंड यह है कि आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते। अब जबकि संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संवाद किया तो इमरान खान आये ही नहीं। संवाद में जफर मिर्जा ने कश्मीर का मुद्दा उठा दिया जिसका कोई औचित्य ही नहीं था। 
ऐसा करके पाकिस्तान ने अपनी स्थिति हास्यास्पद बना ली। इमरान खान चाहते तो इस मंच से भारत के साथ नए रिश्तों की शुरूआत कर सकते थे। यदि ऐसा होता तो यह पहली बार होता कि नरेन्द्र मोदी और इमरान खान आमने-सामने होते। पूर्व में भी भारत-पाक रिश्तों पर जमी बर्फ कई बार पिघली है। बेहतर होता इमरान खान संवाद कर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रोडमैप तैयार करते। 
सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों से गम्भीरता से बातचीत कर परिपक्वता दिखाते। संकट की घड़ी में उन्हें सकारात्मक भूमिका निभानी चािहए थी, इससे पाकिस्तान को मदद ही ​मिलती लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। दरअसल पाकिस्तान की राजनीति का आधार ही भारत विरोध है। जिस दिन वह इसे छोड़ देगा उसी दिन उसके नेताओं की दुकानें बंद हो जाएंगी। इमरान को अपने अवाम की चिंता नहीं तो फिर कश्मीरी अवाम की चिंता क्यों होने लगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nineteen − 7 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।