भारत शांति का पुजारी है। शांति के कारण ही व्यक्ति, समाज और संस्कृति आगे बढ़ते हैं। भारत का पड़ोसी देशों के प्रति कभी आक्रामक रुख नहीं रहा लेकिन वह शांति के साथ-साथ शक्ति का भी उपासक है। शांति का संदेश भी तभी पहुंचता है जहां शक्ति की प्रबलता होती है। शांति के लिए शक्ति की जरूरत होती है। विश्व में कई शक्ति सम्पन्न देश हैं और चीन उनमें से एक है। परन्तु वह इस शक्ति से मानव कल्याण की बजाए अहंकार में भारत को हमेशा धमकाता रहता है। ऋषि पतंजलि, आचार्य चाणक्य ने शांति और शक्ति की पूरकता को समझा। आचार्य चाणक्य ने कहा था-हमें ऐसी शक्ति से सम्पन्न होना है जिससे हर तरह के लक्ष्य का भेदन किया जा सके और उन शक्तियों को पराजित किया जा सके जो शांति के मार्ग में बाधक बनी हुई हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी पुस्तक ‘‘शक्ति से शांति’’ में लिखा है-हम सब जानते हैं कि यह आजादी हमें सस्ते में नहीं मिली है। एक तरफ महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में आजादी के अहिंसात्मक आंदोलन में लाखों नर-नारियों ने कारावास में यातनाएं सहन की, तो दूसरी ओर हजारों क्रांतिकारियों ने हंसते-हंसते फांसी का तख्ता चूमकर अपने प्राणों का बलिदान दिया। हमारी आजादी इन सभी ज्ञात-अज्ञात शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों की देन है। अाइये, हम सब मिलकर इनको अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करें और प्रतिज्ञा करें कि हम इस आजादी की रक्षा करेंगे, भले ही इसके लिए सर्वस्व की आहुति क्यों न देनी पड़े? हमारा देश विदेशी आक्रमणों का शिकार होता रहा है। पचास वर्षों के इस छोटे से कालखंड में भी हम चार बार आक्रमण के शिकार हुए हैं। लेकिन हमने अपनी स्वतंत्रता और अखंडता अक्षुण्ण रखी। इसका सर्वाधिक श्रेय जाता है-हमारी सेना के जवानों को। अपने घर और प्रियजनों से दूर अपना सर हथेली पर रखकर, ये रात-दिन हमारी सीमा की रखवाली करते हैं। इसलिए हम अपने घरों में चैन की नींद सो सकते हैं। सियाचिन की शून्य से 32 अंश कम बर्फीली वादियां हों या पूर्वांचल का घना जंगल, कच्छ या जेसलमेर का रेगिस्तान का इलाका हो या हिन्द महासागर का गहरा पानी, सभी स्थानों पर हमारा जवान चौकस खड़ा है।
शांति और शक्ति की उपासना की नीति पर चल रहा भारत आज काफी शक्तिशाली हो चुका है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह काफी अनुभवी और परिपक्व राजनीतिज्ञ हैं। उनके बोले गए हर शब्द का अपना एक अर्थ होता है। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में आयोजित कार्यक्रम में वीआरओ की 28 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि भारत हमेशा युद्ध के खिलाफ रहा है। लेकिन अगर हम पर युद्ध थोपा गया तो हम पूरी ताकत से लड़ेंगे। भारत शांति और शक्ति दोनों का उपासक है। भारत के पास अपने क्षेत्र की सुरक्षा के लिए सीमा पर चुनौतियों को नाकाम करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहता है। यह हमारा दर्शन भगवान राम और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं की विरासत से मिला है। हम किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि राष्ट्र सभी खतरों से सुरक्षित है और हमारे सशस्त्र बल तैयार हैं। तवांग में भारत-चीन सैनिकों की झड़प के बाद रक्षा मंत्री ने चीन को कड़ा संदेश दिया है। चीन के खतरों को भांपते हुए भारत ने अपनी समग्र सैन्य क्षमता को बढ़ाया है। 5 मई, 2020 को शुरू हुए पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद भारत ने चीन सीमा से सटे इलाकों में सेना के लिए न केवल बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है बल्कि सेना की मौजूदगी को और भी पुख्ता बनाया है। भारत के पास हल्के टैंक, विमान रोधी मिसाइलें, लम्बी दूरी के निर्देशित बम, माउंटेड गन स्स्टिम और नवीनतम हथियार हैं। बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बियों वाला भारत छठा देश बन गया है। 5 हजार से 7 हजार किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण हाल ही में किया गया है। अरुणाचल में एलएसी पर चीन के बार्डर डिफैंस विलेज के जवाब में तीन मॉडल विलेज बना रहा है। बीआरओ ने अरुणाचल के दूरदराज के गांव को भी मुख्य भूमि से जोड़ा है। लगातार पुलों का निर्माण और राजमार्गों का निर्माण किया जा रहा है, ताकि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सशक्त बलों का परिचालन तेजी से हो सके और अग्रिम क्षेत्रों में सैनिकों को भारी उपकरण और अन्य सैन्य सामग्री कुछ ही समय में पहुंचाई जा सके। चीन को समझ लेना चाहिए कि भारत अब 1962 वाला भारत नहीं है, बल्कि 2023 वाला भारत है।