पहले ही जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाज सुरक्षाबलों के लिए चुनौती बने हुए हैं। पाकिस्तान द्वारा की जा रही फंडिंग के चलते पत्थरबाजों के गैंग बने हुए हैं लेकिन अब पत्थरबाजी की घटनाएं कम हुईं तो घाटी में चोटी कटवा गैंग सक्रिय हो गया। राजस्थान से शुरू हुई चोटी कटने की अफवाह अब घाटी में पहुंच चुकी है। चोटी कटने की घटनाओं को पहले तो पुलिस ने भी अफवाह माना लेकिन अब ये घटनाएं भयंकर रूप धारण कर चुकी हैं। पहले महज मुट्ठीभर वारदातें हुईं, मगर सत्य और असत्य के शाश्वत द्वंद्व के बीच अफवाहों को ऐसे पंख लगे कि अलगाववादियों ने इन्हें अपना हथियार बना लिया। अलगाववादी इनकी आड़ में एक नई साजिश रचने की ताक में हैं। टैरर फंडिंग मामले में आकंठ तक फंस चुके और देश के सामने नग्न हो चुके अलगाववादी चोटी कटवा वारदातों की आड़ में अपनी खोई जमीन को फिर से पाने की कोशिश कर रहे हैं। इन घटनाओं के विरोध में अलगाववादियों ने न केवल घाटी में बंद का आह्वन किया बल्कि सुनियोजित ढंग से इन घटनाओं के लिए सुरक्षा बलों को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया। रोज-रोज के बंद से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त होकर रह गया है। शहरों में एहतियात प्रतिबंध लगाए गए हैं। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए घाटी के कई शहरों में निषेधाज्ञा लागू है। चोटी कटवा गैंग के चलते पूरी घाटी बंधक बनी हुई है।
आज फैक्ट्रियों की तर्ज पर अफवाहों का उत्पादन हो रहा है। लोग इन्हें सच मानकर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के बीच सांझा करते हैं। इससे इनकी विश्वसनीयता बढ़ जाती है लेकिन घाटी में तो पिछले एक माह में 130 से ज्यादा चोटी काटने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, पुलिस अब तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है। हालांकि पुलिस ने इन घटनाओं को अंजाम देने वालों की सूचना देने वाले के लिए 6 लाख रुपए के ईनाम की घोषणा कर रखी है। लोग इतने परेशान और क्रुद्ध हैं कि वे चाेटी कटवा होने के संदेह में लोगों की हत्या करने पर उतारू नज़र आने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर के साेपोर और हजरतबल इलाकों में मानसिक रूप से अस्वस्थ और एक अन्य व्यक्ति को अगर सुरक्षा बल नहीं बचाते तो भीड़ उन्हें मार ही डालती। एक दरगाह में नमाज के लिए गए व्यक्ति को लोगों ने चोटी कटवा होने के संदेह में पकड़ कर पीट दिया। पुलिस ने बहुत ही पेशेवर ढंग से इस व्यक्ति को बचाया। डल झील में एक व्यक्ति को डुबो कर मारने की कोशिश की गई। चोटी कटने संबंधी ये वारदातें संकेत दे रही हैं कि घाटी को नए सिरे से दहलाने की साजिश रची जा रही है। कश्मीर की फिजा में एक बार फिर ज़हर घोलने की कोशिश की जा रही है। ऊपर से अलगाववादी आग में घी डालने का काम कर रहे हैं और सुरक्षा बलों को बदनाम करने पर तुले हुए हैं। चोटी काटने की घटनाओं और अफवाहों के पीछे साजिश की बू भी आ रही है क्योंकि पाकिस्तान से खबरें आ रही हैं- शिया-सुन्नी भाई-भाई और अनंतनाग से आई तस्वीरें और नारे भी साजिश का स्पष्ट संकेत दे रहे हैं।
घाटी में सेना आपरेशन आल आऊट चला रही है, जिसके तहत आतंकियों को ढूंढ-ढूंढ कर मारा जा रहा है। आतंकियों के अंतिम गढ़ शोपियां में भी आपरेशन चलाने की तैयारी कर ली गई है। टॉप कमांडर मारे जा चुके हैं। अलगाववादियों पर एनआईए ने जबरदस्त शिकंजा कसा हुआ है। ऐसे में अलग-थलग पड़ते जा रहे अलगाववादियों यासिन मलिक, सैैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूख जैसे नेता जनता का भरोसा जीतने के लिए उनसे जुड़कर अपनी खोई जमीन फिर से हासिल करना चाहते हैं। अलगाववादियों ने लोगों को नए सिरे से भड़काना शुरू कर दिया है। नफरत और िहंसा का वातावरण बनाया जा रहा है ताकि माहौल शांतिपूर्ण नहीं हो। चोटी कटवा गैंग भी एक तरह से पत्थरबाज ही हैं। जो हुर्रियत वाले पैसे देकर स्कूली बच्चों तक के हाथों में पत्थर पकड़वा सकते हैं, वह पैसे देकर चोटी कटवा गैंग पैदा क्यों नहीं कर सकते। जहां तक अफवाहों का ताल्लुक है, अफवाहों और अपुष्ट सूचनाओं के आधार पर धारणाएं बनाने और नतीजे निकालने का मामला कोई आज का नहीं है। जर्मनी में हिटलर के दौर में भी इसका डरावना राजनीतिक इस्तेमाल हो चुका है। इन अफवाहों के बल पर घाटी में दिन-रात जनधारणाओं को प्रभावित करने और सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने की सुनियोजित साजिश को अंजाम दिया जा रहा है और बदनाम किया जा रहा है सुरक्षा बलों को। राज्य सरकार, राज्य की पुलिस और सुरक्षा बलों को बहुत सतर्कता से काम लेते हुए चाेटी कटवा गैंग का पर्दाफाश करना ही होगा।