लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

जड़ों से जुड़े लोग

NULL

हर वर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। मंगलवार को देशभर में अनेक समारोह हुए। प्रवासी दिवस की शुरूआत 2003 में अटल बिहारी शासन के दौरान हुई थी। इसका मकसद भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को पहचान दिलाने से है, साथ ही यह ऐसे लोगों से मिलने का एक मंच है जिन्होंने अपने क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल कर भारत का नाम विश्व पटल पर गौरवान्वित किया है। मुझे कई बार प्रवासी सम्मेलन में जाने का अवसर मिला और मुझे यह देखकर खुशी होती है कि वर्षों से विदेश में रहकर भी भारतीय मूल के लोग अपनी जड़ों से गहरे जुड़े हुए हैं। गांव की माटी की भीनी-भीनी सुगन्ध उन्हें बार-बार बुलाती है और वह दौड़ेे चले आते हैं। दरअसल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस इसलिये मनाया जाता है कि महात्मा गांधी इसी दिन दक्षिण अफ्रीका से 1915 में स्वदेश लौटे थे। महात्मा गांधी को सबसे बड़ा प्रवासी माना जाता है जिन्होंने न केवल भारत के स्वतन्त्रता संग्राम का नेतृत्व किया बल्कि भारतीयों के जीवन को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया।

आमतौर पर अप्रवासी भारतीयों के बारे में धारणा है कि विदेशों में बसने वाले भारतीय संस्कृति, संस्कार और तहजीब को भूल जाते हैं लेकिन मैं जब इनसे मिलता हूं तो मुझे अहसास होता है कि सात समंदर पार बसे प्रवासी भारतीयों के दिलों में भी भारत धड़कता है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा हो या फिर खाड़ी देश, वहां रहने वाले भारतीयों ने अपने मूल्यों, परम्पराओं, रीति-रिवाजों, तीज-त्याैहारों और संस्कृति को उसी रूप में जीवंत रखा जिस रूप में उनका पुराना वैभव और सौन्दर्य जगमगाता है। अपने देश के प्रति उनका अनुराग विदेेश जाकर अधिक गहरा होता है। विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के लोगों की पहली पार्लियामैंट कान्फ्रैंस को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्बोधित किया। इस कांन्फ्रैंस में 23 देशों के 124 सांसद और 17 महापौरों ने भाग लिया। प्रधानमंत्री ने उनसे भारत की प्रगति में हिस्सेदार बनने की अपील की और कहा कि विदेशों में बसे भारतीय वास्तव में भारत के स्थाई एम्बैसडर हैं। उन्होंने कहा कि भारत में ट्रांसफार्म हो रहा है, जो हर स्तर पर दिखाई दे रहा है। बीते 3 वर्ष में भारत में सबसे ज्यादा निवेश हुआ है।

शाम के समय मैं सम्मेलन में भाग लेने आये अनेक प्रतिनिधियों से मिला जिनमें कई पंजाब और हरियाणा, तमिलनाडु मूल के थे। कुछ अपने गांव जाकर पुश्तैनी घर देखने की बातें कर रहे थे, कुछ अपने माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों से मिलने की बात कर रहे थे। यह सही है कि लाखों भारतीयों ने विदेशों में रहकर वहां की संस्कृति को आत्मसात कर लिया और वहां के संविधान का पालन करते हुए हर क्षेत्र में प्रगति की है। अमेरिका, कनाडा हो या ब्रिटेन या फिर कोई अन्य देश, वहां की राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर अपना नाम रोशन किया है। ऐसे हजारों उदाहरण हमारे सामने हैं कि प्रवासी भारतीय जब भी अपने गांव या शहरों में लौटे, वे काफी कुछ देकर ही गए। किसी ने स्कूल बनाने के लिये जमीन दी, किसी ने कालेज बनाने में योगदान किया। अनेक प्रवासी भारतीयों ने अपने गांव में कम्प्यूटर सेंटर खोलकर दिये। कई लोगों ने गांव में शौचालय बनवाये। नि:संदेह यह काम तो वे भारतवासियों से कई गुणा बेहतर कर रहे हैं। प्रवासी भारतीयों ने धन भी कमाया और प्रतिष्ठा भी कमाई लेकिन इस संघर्ष में वे तरस जाते हैं उन फुर्सत के लम्हों को जो उन्हें भारत में आसानी से उपलब्ध थे। अनेक प्रवासी परिवार तो अपने बच्चों की शादियां भारत में ही करते हैं। इस दृष्टि से तो वे सच्चे भारतीय सिद्ध हो रहे हैं। भारतीयों काे उनके सम्मान और प्रतिष्ठा को महत्व देना ही चाहिए।

अप्रवासी भारतीयों की देश के प्रति सोच, भावना की अभिव्यक्ति, देशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिये प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इससे विश्व के सभी देशों में अप्रवासी भारतीयों का नेटवर्क तैयार हो चुका है। युवा पीढ़ी के अप्रवासी भारतीय देश से जुड़ रहे हैं। इस दौरान विदेश में भारतीय श्रमजीवियों की कठिनाइयां जानने तथा उन्हें दूर करने के प्रयास भी किये जाते हैं। मोदी सरकार ने प्रवासी भारतीयों के लिये निवेश के द्वार खोल रखे हैं। इस सम्मेलन को सफल बनाने में विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मैंने दोनों दिन अपनी उपस्थिति दर्ज कराई क्योंकि मैं विदेश मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति का सदस्य भी हूं। समिति के अन्य सदस्यों ने भी इसमें भाग लिया। विश्व के कोने-कोने से आये भारतीय मूल के प्रतिनिधियों को देश के हर क्षेत्र से जुड़े लोकनृत्य दिखाये गये जिन्हें देख कर मैं काफी प्रफुल्लित हुआ। कभी कहते थे कि ब्रिटेन का सूर्य कभी अस्त नहीं होता लेकिन अब मैं महसूस कर रहा हूं कि दुनिया के काेने-कोने में जितनी बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग सम्मान के साथ रह रहे हैं उससे स्पष्ट है कि अब भारत का सूर्य कभी अस्त नहीं होता। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और विकसित करने का दायित्व केवल देशवासियों का नहीं है बल्कि अप्रवासी भारतीयों का भी है। त्याग और सेवा भारतीयों की पहचान रही है। प्रवासी लोग भारतीय संस्कृति, सिद्धांत और मूल्यों का सबसे बेहतर प्रतिनि​धित्व करते हैं। भारत बदल रहा है। अगर लाखों भारतीय देश के लिए जितना संभव हो, कर सकें तो 21वीं शताब्दी निश्चय ही भारत की होगी। अपने देश की जड़ों से जुड़ने में ही भारत का गौरव है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

9 − 8 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।