इस देश में राष्ट्रद्रोह की अनकही दास्तानें हैं। कई मुजरिम कठघरे तक आए और कुछ छूट गए लेकिन यकीन रखें-
कठघरे पर वक्त के पहरे हैं,
इसलिए यह चुप्पी है।
इंसाफ की कुर्सी से मुंसिफ,
जो कहते हैं, यह लिखता है,
यहां ईसा सूली पर झूला
और कातिल मुजरिम बच निकला,
पर तारीख ने जब इंसाफ किया,
उस रोज कठघरा बोलेगा,
इस झूठ के बेइमानों के,
सब राज पुराने खोलेगा,
इक रोज कठघरा बोलेगा।
कुछ लोगों ने देश के प्रजातंत्र को एक प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बना रखा था। फिर हाकिम बनकर अपनी सच्चरित्रता का प्रमाणपत्र राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत करते रहे। कहावत है कि चोर वही जो पकड़ा जाए। इस देश में बड़े-बड़े घोटाले होते रहे हैं। राजनीतिज्ञों पर अपराधियों से सांठगांठ, शराब माफिया, बिल्डर माफिया और जितने भी माफिया हैं, उनसे संबंधों के आरोप लगते रहे हैं। महाराष्ट्र के मराठा नेताओं पर दाऊद गिरोह से सांठगांठ के आरोप लगते रहे हैं लेकिन आरोप साबित नहीं हो पाए। इसी का नतीजा यह राष्ट्र भोग रहा है और भोगता रहेगा।
कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि इस राष्ट्र ने बेइमानों को हमेशा इज्जत ही दी, ईमानदार हमेशा यहां दुखी हुआ। प्रवर्तन निदेशालय पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री और सीनियर राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल के परिवार की कम्पनी की कथित तौर पर दाउद इब्राहिम के करीबी इकबाल मिर्ची के परिवार के साथ वित्तीय सांझेदारी और जमीन के सौदे की जांच कर रहा है। मिर्ची के नाम से कुख्यात इकबाल मेमन मिर्ची और प्रफुल्ल पटेल के परिवार की प्रमोटिड कम्पनी के बीच वित्तीय सौदा हुआ था। आरोप है कि प्रफुल्ल पटेल के परिवार की कम्पनी मिलेनियम डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और मिर्ची परिवार के बीच लीगल एग्रीमेंट हुआ था। इस कम्पनी को मिर्ची परिवार की तरफ से एक प्लॉट दिया गया था।
यह प्लाट वर्ली के नेहरू प्लेटोरियम की प्राइम लोकेशन पर था। 2006-2007 के दौरान हुए सौदे के हिस्से के रूप में सीजे हाउस की दो मंजिलें इकबाल मेमन मिर्ची की पत्नी हजदा मेमन को लाभकारी हित के तहत हस्तांतरित की गई हैं। प्रफुल्ल पटेल एयर इंडिया मामले में पहले ही फंसे हुए हैं। प्रवर्तन निदेशालय उनसे पूछताछ भी कर चुका है। प्रवर्तन निदेशालय पहले ही कतर एयरवेज एमिरेट्स और एयर अरबिया समेत विदेशी निजी एयरलाइन्स के पक्ष में बातचीत करने और एयर इंडिया को नुक्सान पहुंचाने से संबंधित करोड़ों रुपए के कथित घोटाले में अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर चुका है।
जब भी प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई या आयकर विभाग किसी भी राजनीतिज्ञ के खिलाफ जांच करता है या उन पर मुकदमा चलाने के लिए चार्जशीट दाखिल करता है तो राजनीतिज्ञ शोर मचाने लग जाते हैं कि सरकार की कार्रवाई राजनीतिक द्वेष के चलते की जा रही है। विपक्षी दल भी प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और अन्य जांच एजैंसियों को सरकार के हाथों की कठपुतली बताते हैं। मैं यह नहीं कह सकता कि प्रफुल्ल पटेल पर लगे आरोप सच हैं। जांच को तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाना जांच एजैंसियों का काम है। दोषियों को दंडित करना न्यायपालिका का काम है।
हमने पूर्व में देखा है कि बड़े-बड़े घोटालों के आरोपी उच्च अदालतों में जाकर साफ बरी हो गए। दरअसल भारतीय राजनीति इसलिए कुण्ठाग्रस्त है कि इसने अपनी नैतिकता खो दी है। जहां राष्ट्र की एकता और अखंडता का भी प्रश्न हो, तब भी क्षुद्र स्वार्थों के लिए मौन ही साधे रहती है। इकबाल मिर्ची के इतिहास को कौन नहीं जानता। युवावस्था में उसकी मुलाकात मुम्बई के भाई अनीस इब्राहम से हुई और देखते ही देखते वह दाऊद के खास छोटा शकील के पास जा पहुंचा। छोटा शकील के माध्यम से वह दाऊद का खास आदमी बन गया। उसने कई लूट और अपहरण की वारदातों को अंजाम या। ड्रग्स की तस्करी की। 1993 में जब दाऊद ने मुम्बई बम धमाके की साजिश रची तब भी इकबाल मिर्ची उसके साथ ही था। बम धमाकों से ठीक पहले उसने भारत छोड़ दिया था।
पहले वह पाकिस्तान गया और फिर लंदन चला गया। वहीं उसकी मृत्यु हुई। दाउद गिरोह के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष रिश्ता रखना एक बड़ा पाप है और मिर्ची के परिवार के साथ डील करना राष्ट्र से धोखे के समान है। इसलिए जरूरी है कि जांच में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। जो लोग राष्ट्र के क्षरण में सहायक हों, वह राक्षस के समान होते हैं। इकबाल मिर्ची की कितनी बेनामी सम्पत्ति है, इसका भी खुलासा होना ही चाहिए और प्रफुल्ल पटेल के परिवार से उसके रिश्ते का सच सामने आना ही चाहिए।