'देह के पार भी एक दुनिया है
क्या तुम इसे समझ सकते हो,
मां-बहन, दोस्त जैसे खूबसूरत
रिश्ते क्या तुम गढ़ सकते हो
मौजूदा दौर की सियासत छलावों, बतकहियों और जुमलों का एक ऐसा बाजार है जिसने सुबह की पहली धूप, थोड़ी नरम बोसीदा हवाएं और नहायी दूब के सिर पर बैठी चमकती ओस की बूंदों की तासीर को भी मैला कर दिया है। नारी सशक्तिकरण और महिला आरक्षण के दिखावटी अलख जगाने वाले राजनेता नारी भक्षण के नए हथियार बन रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि रेवन्ना के सेक्स स्कैंडल का मामला खुला कैसे।
दरअसल एक 68 वर्षीय महिला रसोइया रेवन्ना के घर लंबे समय से काम कर रही थी पर प्रज्वल ने हैरतंअगेज तरीके से उसे भी अपनी यौन लिप्सा का शिकार बना लिया और साथ ही अंतरंग पलों के उसके कुछ वीडियो भी बना लिए। सूत्र बताते हैं कि इस महिला रसोइया का बेटा रेवन्ना के सुरक्षाकर्मियों में से एक था। जब बेटे को मां पर हुए अत्याचार का पता चला तो वह आपा खो बैठा। सूत्रों का दावा है कि अपने को संयत रखते उस सुरक्षाकर्मी युवक ने अगले दिन रेवन्ना का वो मोबाइल फोन ही गायब कर दिया जिससे वह वीडियो बनाता था और यह फोन लेकर वह सीधे हासन के कांग्रेस नेता के पास जा पहुंचा और उनसे कहा कि मुझे डीके शिवकुमार से मिलना है, मैं सिर्फ उन्हीं पर भरोसा कर सकता हूं।
कहते हैं हासन के उस कांग्रेसी नेता ने उस सुरक्षाकर्मी को अपनी गाड़ी में बिठाया और वे दोनों उसी रात डीके से मिलने बेंगलुरू के लिए निकल गए। जब इस फोन को 'डिकोड' किया गया तो उसमें 2976 आपत्तिजनक वीडियो मिले जो तकरीबन 1800 महिलाओं के यौन शोषण से जुड़े थे। इसी फोन में ऐसे 18 हजार फोटो भी बरामद किए गए। कहा जाता है कि इस सुरक्षाकर्मी ने फोन की एवज में अपने परिवार के लिए सुरक्षा मांगी जो कि उन्हें मुहैया कराई गई।
भाजपा-जदयू में सब ठीक नहीं चल रहा
बिहार में भाजपा और जदयू गठबंधन के बीच तनाव साफ दिखने लगा है। सूत्रों की मानें तो जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह अपने कुछ मुंहलगे पत्रकारों संग बैठक कर रहे थे, तो उनमें से एक पत्रकार ने उनसे पूछ लिया कि '4 जून के बाद बिहार की तस्वीर कितनी बदलेगी।' कहते हैं लल्लन सिंह ने बातों ही बातों में यह तुर्रा भी उछाल दिया कि 'भाजपा एक बड़ा मगरमच्छ है जो छोटी पार्टियों को लील जाता है।'
इसी बैठक में मौजूद भाजपा परस्त एक पत्रकार ने चुपचाप लल्लन सिंह की इन बातों को अपने मोबाइल से रिकार्ड कर लिया और यह रिकॉर्डिंग किसी प्रकार भाजपा चाणक्य तक पहुंचायी गई। उसके बाद भाजपा चाणक्य ने सीधे लल्लन सिंह को फोन लगाया और उनसे कहा कि 'भाजपा अपने गठबंधन साथियों को आगे भी बढ़ाती है और उनकी रक्षा भी करती है। सो, प्लीज़ ऐसा कुछ नहीं बोलें जिससे दोनों पार्टियों के आपसी सौहार्द पर फर्क पड़े।'
बिहार में कहां खड़ी है भाजपा
भाजपा शीर्ष बिहार को लेकर किंचित चिंता में है। इसी आलोक में पार्टी के एक बड़े नेता ने बिहार भाजपा की कोर कमेटी की एक अहम बैठक बुलाई। समझा जाता है कि इस नेता ने बिहार के भगवा नेताओं को जमकर झाड़ पिलाई और कहा कि 'जनता दल (यू) से आपका तालमेल क्यों नहीं बैठ पा रहा? क्यों घमासान मचा है? आप दोनों चुनाव में एक-दूसरे की मदद क्यों नहीं कर रहे?' इसके बाद नेता जी ने अपने प्रदेश के नेताओं से जानना चाहा कि इस दफे गठबंधन की कितनी सीटें आ रही हैं। इस पर एक भाजपा नेता ने हिचकते हुए कहा शायद 25, इस पर नेता जी चौंक गए और कहा कि 'पिछली बार हम 40 में से 39 सीटें जीते थे, इस बार क्या हो गया?' तो उन्हें जवाब मिला कि इस बार महागठबंधन खास कर राजद अच्छा कर रही है, तो बड़े नेता बोले कि 'अब आप लोग समझ गए हैं न कि आपसी तालमेल कितना जरूरी है।'
क्या शिवसेना में जाएंगी पूनम महाजन?
मुंबई नॉर्थ से दो बार की सांसद पूनम महाजन का टिकट इस बार काट दिया गया है और उनकी जगह भाजपा ने जनता के वकील उज्ज्वल निकम को मौका दिया है। अपने टिकट कटने का पूनम को कहीं पहले ही आभास हो गया था। सो, कुछ दिन पहले ही वो अपने जिलाध्यक्षों को साथ लेकर भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली आई थीं।
सूत्र बताते हैं कि नड्डा से मिलने के लिए भी उन्हें काफी इंतजार करना पड़ा और बाद में नड्डा ने बेहद साफगोई से उनसे कह दिया कि 'पार्टी उनकी भूमिका इस दफे बदलना चाहती है।' पूनम को इस बात का आभास तब भी हो गया था जब भाजपा सांसदों की एक मीटिंग में
पीएम ने एक उदाहरण पेश करते हुए कहा कि 'कोई व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, उसे कभी अहंकार नहीं पालना चाहिए।' इसके लिए उन्होंने प्रमोद महाजन का उदाहरण देते हुए बताया कि 'जब प्रमोद महाजन का सितारा बेहद बुलंदी पर था तो एक दफे एयरपोर्ट पर एक सुरक्षाकर्मी द्वारा रोके जाने पर उन्होंने उसके साथ कैसा व्यवहार किया था।' सूत्रों की मानें तो पूनम महाजन के पास कांग्रेस में भी शामिल होने का अवसर आया था पर उन्होंने कांग्रेस में जाने से मना कर दिया। इसके बाद िशवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी पूनम की एक लंबी बात हुई है। सूत्रों की मानें तो उद्धव पूनम के लिए एक बड़ा रोडमैप तैयार कर रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे में इस बार संघ की कुछ खास चली नहीं। आम परिपाटी के मुताबिक ही संघ के प्रांत प्रचारकों और प्रचारकों ने अपनी ओर से कुछ संभावित उम्मीदवारों के नामों की लिस्ट भाजपा शीर्ष को सौंपी थी। लेकिन जब उम्मीदवारों की घोषणा हुई तो इनके द्वारा सुझाए गए गिनती के ही नाम घोषित उम्मीदवारों की लिस्ट में शामिल थे। कुछ नाराज प्रचारकों ने संघ के एक शीर्ष नेता के समक्ष अपनी व्यथा रखी, जिन संघ नेता का काम भाजपा और संघ में समन्वय का है।
इन नाराज प्रचारकों का कहना था कि 'जब हमारी कोई सुनता ही नहीं है तो फिर दिन-रात हम इनके लिए काम क्यों करते हैं।' इसके बाद ही मोदी जब चुनाव प्रचार के लिए विदर्भ गए तो इस सिलसिले में वे नागपुर रुके और वहां वे सीधे संघ मुख्यालय गए। माना जाता है कि नागपुर संघ मुख्यालय में पीएम की संघ के शीर्ष नेताओं से इस बाबत एक लंबी बातचीत हुई जिसमें संघ व भाजपा के आपसी समन्वय बढ़ाने पर जोर रहा।
…और अंत में
कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट पर इस दफे कांग्रेस से भाजपा में आए अशोक चव्हाण भगवा पार्टी की ओर से मैदान में डटे हैं चव्हाण के समर्थन में एक विशाल जनसभा को स्वयं प्रधानमंत्री ने भी संबोधित किया था। पर हैरत की बात देखिए कि अशोक चव्हाण ने इस बड़ी रैली में अपने मंच पर पुराने भाजपा नेताओं को जगह ही नहीं दी। जिससे नाराज होकर भाजपा दर्जनों स्थानीय नेताओं ने विरोध दर्ज कराते हुए अपने पदों से इस्तीफा दे दिया, कहते हुए कि 'जिनका पूरे जीवन विरोध करते रहे अब उन्हीं के लिए कैसे वोट मांगे।'