President’s Address: ‘राष्ट्रपति का अभिभाषण’

President’s Address: ‘राष्ट्रपति का अभिभाषण’

President’s Address: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के संसद के दोनों सदनों की संयुक्त सभा को सम्बोधन के बाद दोनों सदनों की विधिवत कार्यवाही शुरू हो गई। लोगों द्वारा चुनी गई नई 18वीं लोकसभा का यह प्रथम सत्र चल रहा है। श्रीमती मुर्मू ने अपने अभिभाषण में नव गठित एनडीए की मोदी सरकार की प्राथमिकताओं को जिस प्रकार गिनाया है उससे यह प्रतीत होता है कि पिछली मोदी सरकार की नीतियों को ही आगे बढ़ाया जायेगा और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो फार्मूला सरकार द्वारा तैयार किया गया है उसी पर चला जायेगा। राष्ट्रपति की जो भी सरकार लोगों द्वारा लोकसभा में दिये गये बहुमत से बनती है वह उनकी सरकार होती है। अतः राष्ट्रपति का बार-बार यह कहना कि ‘मेरी’ सरकार की नीतियों से देश में खुशहाली आयेगी पूरी तरह जायज होता है। राष्ट्रपति के अभिभाषण से यह साफ होता है कि उन्होंने जो नई सरकार बनाई है उसे लगातार तीसरी बार स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ है क्योंकि भाजपा की अगुवाई में एनडीए के सभी घटक दलों ने मिल कर चुनाव लड़ा था। उनकी सरकार को चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलने के मुद्दे पर सदन में विपक्षी सदस्यों द्वारा जो शोर मचाया गया उसका अर्थ यही निकाला जायेगा कि इस बार भाजपा को अपने बूते पर बहुमत प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि उसकी सीटें 303 से घटकर 240 रह गई हैं।
लोकतन्त्र में जब गठजोड़ की सरकारें बनती हैं तो इस बात का कोई महत्व नहीं रहता कि गठजोड़ में शामिल किस दल की कितनी सीटें हैं बल्कि इस बात का महत्व होता है कि गठजोड़ को पूर्ण बहुमत प्राप्त है कि नहीं।

कुछ लोग यह आलोचना कर रहे हैं कि राष्ट्रपति ने भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल की विधिवत बैठक में श्री नरेन्द्र मोदी को नेता चुने जाने के बगैर ही सरकार बनाने का निमन्त्रण दे दिया। यह तर्क सही नहीं है क्योंकि श्री मोदी को एनडीए की बैठक में बाकायदा इसका नेता चुना गया था, बेशक यह एनडीए दलों की संसदीय बैठक नहीं थी मगर श्री मोदी को उन्होंने अपना नेता घोषित कर दिया था। नई लोकसभा शुरू होने से पहले राष्ट्रपति का संयुक्त सत्र को उद्बोधन एक सामान्य लोकतान्त्रिक परंपरा होती है मगर इसका अर्थ बहुत गहरा होता है। राष्ट्रपति राजप्रमुख होते हैं और वह भी लोगों द्वारा परोक्ष रूप से चुने हुए होते हैं अतः उनका सम्बोधन सुनिश्चित करता है कि लोकतन्त्र में लोगों की सरकार लोगों के लिए ही होती है। कुछ लोग एेसा सोच सकते हैं कि राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में उन मुद्दों को छूने से गुरेज किया जो हाल में ही सम्पन्न लोकसभा चुनावों में प्रमुखता लिये हुए थे और जिनके ऊपर चुनावों में बहुत चर्चा भी हुई। मसलन श्रीमती मुर्मू ने बेरोजगारी के प्रश्न को नहीं छुआ। इसी प्रकार उन्होंने फौज में भर्ती के लिए पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई अग्नि वीर योजना का जिक्र भी नहीं किया। इसका कारण यह माना जा सकता है कि वर्तमान सरकार इन दोनों मामलों में अपनी पुरानी नीतियों को ही कारगर मानती है।

जहां तक बेरोजगारी का प्रश्न है तो राष्ट्रपति ने यह साफ करने का प्रयास किया कि देश में जिस प्रकार की आर्थिक गतिविधियां चल रही हैं उन्हें देखते हुए निजी क्षेत्र में बढ़ने वाले निवेश से युवा लोगों के रोजगार में वृद्धि होगी। राष्ट्रपति ने नये फौजदारी कानूनों के 1 जुलाई से ही लागू होने की घोषणा करके यह भी साफ कर दिया कि भारत औपनिवेशिक निशानों को समाप्ति के लिए कटिबद्ध है, यद्यपि विपक्ष लगातार यह मांग कर रहा है कि संसद में पिछली सरकार के दौरान भारतीय दंड संहिता को बदल कर जिस प्रकार से भारतीय न्याय संहिता में बदला गया उसमें पुलिस को बहुत ज्यादा अख्तियार दिये गये हैं जिनकी समीक्षा होनी चाहिए और संसद को ही इन पर पुनर्विचार करना चाहिए। यह भी हकीकत है कि जब न्याय संहिता से सम्बन्धित तीन कानूनों को नया रूप दिया गया था तो इनसे सम्बन्धित विधेयकों को पारित करते समय लोकसभा व राज्यसभा से लगभग डेढ़ सौ विपक्षी सांसदों को निलम्बित कर दिया गया था। राष्ट्रपति ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों पर भी प्रकाश डाला और स्पष्ट किया कि प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि से अभी तक तीन लाख 20 हजार करोड़ रुपए की राशि इस मद में वितरित की जा चुकी है परन्तु उन्होंने किसानों को न्यूमतम समर्थन मूल्य प्रणाली को कानूनी जामा पहनाने की विपक्ष की मांग का जिक्र नहीं किया। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि 3 जुलाई तक चलने वाले चालू संसद सत्र में सत्ता पक्ष औऱ विपक्ष के बीच जमकर शब्दों की तलवारें चलेंगी।

यह सत्य है कि वर्तमान विकास पैमाने के अनुसार वही देश सर्वाधिक विकसित माना जाता है जहां प्रति व्यक्ति औसत ऊर्जा की खपत सबसे ज्यादा होती है। इस क्षेत्र में राष्ट्रपति ने प्राकृतिक ऊर्जा( ग्रीन ऊर्जा ) व पुनप्रसंस्करित ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने के लिए इन क्षेत्रों में बढ़ते निवेश का भी जिक्र किया। देश में बढ़ते आधारभूत ढांचे की सुदृढ़ता का जिक्र भी उन्होंने अपने अभिभाषण में किया। जहां तक गरीबी का सवाल है तो उन्होंने 25 करोड़ लोगों के इसकी रेखा से बाहर होने का दावा भी किया और मुफ्त राशन योजना व स्वास्थ्य से जुड़ी आयुष्मान योजना को भी देश के गरीबों के लिए लाभकारी बताया परन्तु यह भी सच है कि भारत में अभी भी 30 प्रतिशत से ऊपर परिवार केवल छह हजार मासिक आय पर गुजारा करते हैं। जैसा कि बिहार में हुए सामाजिक- आर्थिक सर्वेक्षण से निकल कर आया है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिक्र तो नहीं आय़ा मगर संविधान निर्मता डा. अम्बेडकर का उन्होंने एक बार जिक्र किया और 50 साल पहले लगी इमरजेंसी को संविधान विरोधी कदम बताया। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में संसद के भीतर भी काफी नोकझोंक हो चुकी है। कुल मिला कर राष्ट्रपति ने उभरते भारत की तस्वीर अपनी सरकार की दृष्टि में खींची और वर्तमान सदी को भारत की सदी बताया।

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