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राष्ट्रपति जी की अपील को शत्-शत् नमन

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इसमें कोई शक नहीं कि हमारा देश दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक मुल्क के रूप में जाना जाता है। यहां के लोग अपने एक वोट की ताकत से किसी भी बड़े से बड़े नेता को एमसीडी से लेकर संसद के चुनाव तक जमीन पर उतार सकते हैं। भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां लोगों की एक-एक वोट की कीमत है और जहां सबसे ज्यादा राजनीतिक पार्टियां भी हैं। इस मामले में सबसे पसंदीदा बात यह है कि देश का राष्ट्रपति जो लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करता है, वह यह अपील करे कि हर विधायक चाहे वह किसी भी पार्टी का हो, जनता के हितों की रक्षा करे। हमारे राष्ट्रपति परम आदरणीय श्री रामनाथ कोविंद ने मिजोरम विधानसभा के विशेष सत्र को दो दिन पहले संबोधित किया जिसमें उन्होंने एक अच्छे महापुरुष के रूप में विधायकों से बड़ी ही सादगी से यह अपील की कि अगर किसी ने उन्हें वोट नहीं ​भी दिया तो भी वे उनके साथ निष्पक्ष रहें और अपनी ड्यूटी ईमानदारी से निभाएं।

उन्होंने साफ तौर पर कह डाला कि लोग हर पार्टी को वोट नहीं देते और अपनी पसंद के नेताओं को ही वोट देते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि हम राजनीतिक खुंदक मन में रख लें और उन लोगों के लिए काम न करें जिन्होंने हमें वोट नहीं दिया । देश के इतने बड़े पद पर बैठे राष्ट्रपति की इस महान सोच को हम सैल्यूट करते हैं। आज की राजनीति बदल चुकी है। हम देखते और महसूस करते हैं कि जब कोई नेता जीत जाता है और उसे अगर यह पता लग जाए कि एक खास इलाके से लोगों ने उसे वोट नहीं डाले तो वह उस इलाके के लिए विकास कार्य नहीं करवाता। जिस लोकतंत्र में हर ​िकसी को कुछ भी कहने और करने की आजादी हो तो वहां आरोप-प्रत्यारोप लगते ही रहते हैं लेकिन राष्ट्रपति की यह अपील सचमुच बहुत खूबसूरत है जिसमंे उन्होंने कहा कि विधायक लोकतंत्र में राजनीति की खूबसूरती को हर मतभेद से ऊपर उठकर बनाए रखें।

देश में हर विधानसभा में जितने भी विधायक हैं उनको इस अपील से सबक लेकर राजनीति को एक सेवक के रूप में निभाना चाहिए। करनाल में मेरे पति अश्विनी जी 3.70 लाख वोटों से जीते यानी 9 विधानसभा क्षेत्राें में सब जाति-धर्म के लोगों ने वोट दिए और जिन्होंने नहीं दिए जब भी क्षेत्र के लोग उनसे काम करवाने आते हैं उन्होंने कभी नहीं पूछा कि किस पार्टी काे या हमें वोट ​दिया या नहीं। हां, अपने भाजपा के कार्यकर्ताओं को हमेशा आगे रखते हैं। मुझे भी बहुत बुरा लगता है जब हमारी 9 विधानसभाओं से कुछ लोग आते हैं कि हमारा एमएलए हमारा काम नहीं कर रहा क्योंकि हमने उनको वोट नहीं दिए। एक तो मैं हरियाणा के साफ-स्पष्ट कार्यकलापों से बहुत प्रभावित हूं तो मैं तो एमएलए को बड़े ढंग से कह भी देती हूं कि अब आप सभी के एमएलए हो, किसी विशेष जाति के नहीं। मुझे राखी के दिन बहुत आनन्द आता है जब ब्राह्मण, पंजाबी, बनिया, जाट, गुर्जर, राजपूत, रोड, एससी समाज से वाल्मीकि समाज, गडरिया समाज, पाल समाज मुझसे राखी बंधवाने आते हैं तो बहुत अच्छा अनेकता में एकता का माहौल होता है। कहने का मतलब यह है कि जब आप जनसेवक बन गए हैं तो पार्टी पोलिटिक्स से ऊपर उठकर जनता की सेवा ही करनी चाहिए । प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी खुद को लोक सेवक मानते हैं तो फिर हम लोग क्या चीज हैं।

पार्षद, विधायक, सांसद सब जनसेवक हैं और उन्हें जनता की दुख-तकलीफों को दूर करना चाहिए। ऐसी भावना, ऐसी कर्त्तव्य परायणता भी भारतीय लोकतंत्र की एक खास पहचान बनती है। इस देश में फूलन देवी जैसे लोग सांसद बने जो कभी दसयु सुंदरी हुआ करती थी। चंबल के बीहड़ों के कई और डकैत भी नेता बने। अपनी सेवा से उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया। इस कड़ी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब दा का व्यक्तित्व भी कमाल का था। वह भी लोकतंत्र के सम्मान में जनसेवा को जरूरी चीज मानते रहे और आज भी उनका यही सिद्धांत है। मुझे रामनाथ कोविंद जी से 2 बार मिलने का अवसर मिला। एक बार विज्ञान भवन में जब मुझे नेशनल अवॉर्ड मिला, दूसरा राष्ट्रपति भवन में जब मैं देहदान के लिए लोगों काे प्रेरित करने गई थी। पहले मैं सोचती थी कि वह साधारण व्यक्ति हैं परंतु जैसे-जैसे उनके विचार सुन रही हूं मुझे लगता है कि वह बहुत प्रबुद्ध अद्भुत व्यक्ति हैं जो आम, खास व्यक्ति की सोच से भली-भांति परिचित हैं और मुझे बहुत खुशी है कि वह अश्विनी जी के सम्पादकीय और मेरे लेख भी पढ़ते हैं और प्रशंसक भी हैं। आज की राजनीति में जनसेवकों को पार्टी पाेलिटिक्स से ऊपर उठकर काम करना चाहिए तो सचमुच भारत लोकतंत्र का एक वह मंदिर कहलाएगा जिसे लेकर यहां चुनावों और जनसेवा की नींव रखी गई है। राष्ट्रपति कोविंद जी की इस अपील के प्रति हम नतमस्तक है और वादा करते हैं कि मर्यादित तरीके से, बिना किसी भेदभाव से हर किसी की सेवा करते रहेंगे।

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