लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

लव जिहाद कानून पर उठते सवाल

शादी की आड़ में धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कई राज्यों ने कानून बनाए हैं। लेकिन लव जिहाद विरोधी इन कानूनों को लेकर बहुत से सवाल उठ रहे हैं।

शादी की आड़ में धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कई राज्यों ने कानून बनाए हैं। लेकिन लव जिहाद विरोधी इन कानूनों को लेकर बहुत से सवाल उठ रहे हैं। शादी के लिए गलत तरीके से धर्म परिवर्तन रोकने के लिए जो कानून बनाए गए हैं, वह संविधान के मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप करता है और इस आड़ में उन लोगों के साथ अन्याय होने की आशंकाएं बढ़ रही हैं जो इन गतिविधियों में संलिप्त नहीं हैं। यह कानून जीवन और आजादी के अधिकार के साथ-साथ किसी को पसंद करने के अधिकार में दखल देता है। 
देश में अनेक अन्तर धार्मिक शादियां सफल भी रही हैं। कई सेलीब्रिज ने अन्तर धार्मिक शादियां की हैं जो काफी सफल रही हैं। वैवाहिक संबंधों का टूटना भी स्वाभाविक है। गुजरात हाईकोर्ट ने कुछ सवाल उठाते हुए राज्य सरकार द्वारा पारित लव जिहाद कानून या गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि कुछ प्रावधानों का प्रयोग केवल इसलिए नहीं किया जा सकता था कि शादी अन्तर धार्मिक हुई है। हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि इस कानून की धारा तीन, चार ए से चार सी, पांच-छह और छह ए का प्रयोग सुनवाई के लम्बित  रहने तक केवल इसलिए नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि एक धर्म के व्यक्ति द्वारा दूसरे धर्म के व्यक्ति के साथ बिनाबलपूर्वक या प्रलोभन के या कपटपूर्ण तरीकों से विवाह किया गया है और ऐसे विवाहों को गैर कानूनी धर्मांतरण के उद्देश्य के लिए विवाह नहीं कहा जा सकता। हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता द्वारा किये गए तर्कों के आधार पर और अन्तर धार्मिक विवाह के पक्षों की रक्षा करने के लिए प्रदान किया जा रहा, जिन्हें अनावश्यक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। याचिकादाताओं का कहना है की अधिनियम में इस्तेमाल की गई भाषा अस्पष्ट है और यह अनुच्छेद 21 के तहत निजता के बहुमूल्य अधिकार का अतिक्रमण करती है, जो विवाह में एक व्यक्ति के लिए आवश्यकता है। जब अपराध हुआ ही नहीं तो फिर कानून के तहत प्रताड़ना क्यों? दूसरा पहलु यह है कि लव जिहाद के कुछ मामले भी सामने आए हैं। गुजरात में यह कानून लागू होने के तीन दिन बाद जून माह में पहली गिरफ्तारी हुई थी। बड़ोदरा पुलिस ने एक मुस्लिम व्यक्ति को सैम मार्टि​न एक ईसाई के रूप में अपना परिचय देकर एक हिन्दू महिला से शादी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी 25 वर्षीय महिला द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट के आधार पर की गई।  लव जिहाद कानून का उद्देश्य उस उभरती हुई प्रवृत्ति को रोकना है जिसमे महिलाओं को धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से शादी का लालच दिया जाता है या फिर उन्हें फंसाया गया है।
हाल ही में आई एक रिपोर्ट से पता चलता है की उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून बनने के बाद पुलिस ने कुल 63 मामले दर्ज किए, ​इनमें से एक मामले में भी अब तक दोष साबित नहीं हुआ है। वहीं सात मामलों में आरोप साबित नहीं करने पर पुलिस ने खुद ही केस बंद कर दिए। उत्तर प्रदेश पुलिस एडीजी (कानून व्यवस्था) के कार्यालय का डाटा के मुताबिक राज्य में दर्ज 63 मामलों में 162 संदिग्धों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। पुलिस ने 31 मामलों में चार्जशीट दाखिल की और 25 मामलों में जांच जारी है। 162 लोगों में से 101 को जेल भेजा गया, उनमें से अनेक की जमानत हो चुकी है। कुछ मामलों में देखा गया कि पुलिस ने ऐसे मामले बनाए जहां जबरन धर्म परिवर्तन का कोई मामला ही नहीं था।
अन्तर धार्मिक एकता का विवाद लगभग सौ साल पुराना है। 1920 के दशक में हिन्दू महासभा और आर्य समाज ने आंदोलन शुरू किया था और आरोप लगाया था कि मुस्लिम समुदाय हिन्दू औरतों को अगवा कर रहे हैं। इस दौरान इसे हिन्दू औरतों की लूट के तौर पर प्रचारित किया गया। लव जिहाद का मुद्दा सबसे पहले 2010 में दिग्गज वामपंथी नेता वी.एस. अप्पुतानंदन ने उठाया था। फिर केरल के ही कांग्रेसी मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने 2012 में विधानसभा को बताया था कि केरल में लड़कियों को इस्लाम में धर्मांतरित किया जा रहा है। सवाल यही है कि कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। गुजरात हाईकोर्ट का फैसला इसी दृष्टि से है कि किसी निर्दोष को प्रताड़ित नहीं किया जाए। कानूनों में परिवर्तन होते आए हैं। अब राज्य सरकारों का दायित्व है कि वह विधि विशेषज्ञों की राय लेकर धर्मांतरण विरोधी कानूनों में सुधार करे।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twenty − seventeen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।