मध्यकालीन इतिहास में श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहादत से ऐसा मोड़ आया, जिस मोड़ ने सिख गुरुओं की परम्परा को एक नया आयाम दिया। उनके सुपुत्र श्री गुरु हरगोबिन्द साहब सिखों के छठे गुरु हुए जिन्होंने दो तलवारें धारण कीं।
-एक तलवार थी मीरी यानी राजसत्ता की प्रतीक
-दूसरी तलवार थी पीरी यानी आध्यात्मिक सत्ता की प्रतीक
गुरु जी ने ऐलान कर दिया- शास्त्र की रक्षा के लिए शस्त्र जरूरी है। हम अध्यात्म से पीछे नहीं हटेंगे। अध्यात्म हमारी आत्मा, हमारी प्यास, हमारा मार्गदर्शक है, इस पर हम जुल्म नहीं सहेंगे। तलवार के जवाब में तलवार उठेगी और पूरी ऊर्जा से उठेगी। कई लोगों को गुरु जी का यह रूप देखकर आश्चर्य हुआ। कुछ लोग शंकाग्रस्त हो गए। गुरु जी ने सिखों को संदेश दिया-
‘‘गुरु घर में अब परम्परागत तरीके से भेंट न लाई जाए। हमें आज उन सिखों की जरूरत है, जो मूल्यों के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर सकें। अच्छे से अच्छे हथियार, अच्छी नस्ल के घोड़े और युद्ध में काम आने वाले रक्षक उपकरण लाए जाएं। हम दुश्मन की ईंट का जवाब पत्थर से देंगे। सही अर्थों में संत और सिपाही के चरित्र को एक ही व्यक्तित्व में ढालने का श्रेय श्री गुरु हरगोबिन्द साहब को ही जाता है। गुरु जी ने मुगलों की फौजों के छक्के छुड़ा दिए।
1962 को याद कीजिए। जब चीन ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के पंचशील सिद्धांत की धज्जियां उड़ाते हुए भारत पर हमला कर दिया। उत्तर में लद्दाख, मध्य में हिमाचल और गढ़वाल तथा पूर्व में नेफा में उसने जंग छेड़ दी। तब भारत के पास न हथियार थे, न साधन, न युद्ध का बुनियादी ढांचा। भारत जंग हार गया। इस हार ने देशवासियों में देश भक्ति की भावना पैदा की। भारतीयों ने हथियार खरीदने के लिए अपने आभूषण दान कर दिए। श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी देशवासियों के साथ अपने गहने दान कर दिए।
पहली बार राजनीतिक नेतृत्व को समझ आया कि देश की सशस्त्र सेनाओं का आधुनिकीकरण कितना जरूरी है। बाद में भारत ने पाकिस्तान से सभी युद्ध जीते। कारगिल युद्ध हम जीते जरूर लेकिन हमें खड़े पांव गोला बारूद का प्रबंध करना पड़ा। हमारे सैनिकों के पास बर्फ में चलने के लिए जूते तक नहीं थे। हर युद्ध के अपने अनुभव होते हैं। तमाम घाव सहने के बावजूद भारत विश्व की एक अग्रणी सैन्य ताकत बन चुका है। आज विजयदशमी के पर्व पर फ्रांस में राफेल सौदे का पहला विमान रक्षा मंत्री राजनाथ को सौंप दिया गया। हालांकि 36 विमानों के इस सौदे की पहली खेप भारत में अगले वर्ष मई में आएगी। परम्परा के अनुसार राजनाथ सिंह ने राफेल विमान मिलने पर शस्त्र पूजन भी किया।
संयोग से वायुसेना दिवस भी बुधवार को ही रहा। राफेल सौदे को लेकर विवाद काफी सुर्खियों में रहा। विवादों से इतर राफेल की कुछ ऐसी खासियतें हैं जिससे वायुसेना की सामरिक शक्ति काफी बढ़ जाएगी। पाकिस्तान और चीन के साथ अक्सर तनाव की स्थिति बनने के दृष्टिगत राफेल भारत के लिए काफी अहम है। राफेल लड़ाकू विमान आधुनिक मिसाइल और हथियारों से लैस है। दो इंजन वाले लड़ाकू विमान को हर तरह के मिशन के लिए भेजा जा सकता है। राफेल मेटेओर मिसाइल, 150 किलोमीटर की बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल, हवा से जमीन पर मार करने वाली स्कैल्प मिसाइलों से लैस है। राफेल लड़ाकू विमान में भारतीय वायुसेना के हिसाब से फेरबदल किया गया है। राफेल सौदे को लेकर इसको भारत को सौंपे जाने तक का सफर सामान्य नहीं रहा।
राजीव गांधी शासन काल में बोफोर्स तोप सौदे को लेकर काफी हंगामा मचा था। बोफोर्स तोप दलाली कांड को लेकर कांग्रेस का शासन उखड़ गया था लेकिन कारगिल युद्ध के दौरान बोफोर्स तोप ही सबसे ज्यादा कारगर साबित हुई। भारतीय वायुसेना अब दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में काफी शक्तिशाली हो चुकी है। भारतीय नौसेना की सामरिक शक्ति भी काफी बढ़ चुकी है। पिछले दिनों गश्ती पोत ‘वराह’ के तटरक्षक बल में शामिल होने और पिछले माह 28 सितम्बर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा नौसेना को अत्याधुनिक पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी सौंपे जाने के बाद भारत की समुद्री ताकत में वृद्धि हुई है।
आईएनएस खंडेरी दूसरी सबसे अत्याधुनिक पनडुब्बी है। प्रोजैक्ट-75 के तहत देश के भीतर बनी स्कार्पियन श्रेणी की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी थी। खंडेरी पानी में किसी भी युद्धपोत को ध्वस्त करने की क्षमता रखती है। इसके अलावा भारत तीन और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। भारत अब 1962 वाला भारत नहीं बल्कि 2019 का भारत है। भारत माता के उन बेटों जो थल, जल और नभ के महानायक हैं, जो सरहदों की रक्षा के लिए छातियां तान कर खड़े हैं, यह नवीनतम राफेल और अन्य रक्षा उपकरण उन्हें समर्पित हैं। भारतीय सेना पर हमें गर्व है और उसी के बल पर राष्ट्र का स्वाभिमान टिका है।