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राजनाथ की चीन को चेतावनी

चीन की भारत विरोधी कूटनीति न तो कभी बदली है और न ही भविष्य में बदलेगी। उसने भारत की सामरिक महत्व की लाखों मील भूमि कब्जाई हुई है।

चीन की भारत विरोधी कूटनीति न तो कभी बदली है और न ही भविष्य में बदलेगी। उसने भारत की सामरिक महत्व की लाखों मील भूमि कब्जाई हुई है। वह कभी सिक्किम तो कभी अरुणाचल पर दावा जताता रहता है। इसके पीछे उसका मकसद भारत को कूटनीतिक स्तर पर डराना और प्रताडि़त करना है। दरअसल चीन भारत की बढ़ती आर्थिक, टेक्नोलॉजी और कूटनीतिक शक्ति से परेशान है। उसकी इच्छा दुनिया में बढ़ती पैठ को कुंद करने की है। इन परिस्थितियों को देखकर भारत ने भी चीन का मुकाबला करने की ठान ली है। डोकलाम से लेकर पूर्वी लद्दाख तक भारतीय सेना ने चीन को जबर्दस्त चुनौती दी है। चीन से लगी सीमा पर सामरिक चुनौतियों से निपटने और हिंद प्रशांत सागर में भी हर चुनौती से निपटने की तैयारी कर ली है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन पर कटाक्ष करते हुए कहा है ​कि कुछ गैर जिम्मेदार राष्ट्र अपने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों और वर्चस्ववादी प्रवृत्तियों के साथ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के समूह जल कानून की गलत परिभाषाओं के साथ आ रहे हैं। राजनाथ सिंह का यह बयान चीन के नए समुद्री नियमों की घोषणा के बाद आया है जिसके तहत चीन समुुद्री जल में विदेशी जहाजों के प्रवेश को नियंत्रित करना चाहता है। उन्होंने यह भी कहा है कि किसी भी देश ने हमारी जमीन हतियाने की कोशिश की तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। चीन दक्षिण चीन सागर,पूर्वी चीन सागर पर अपना दखल बढ़ाते हुए विस्तारवादी नीतियों को बेहिचक अंजाम दे रहा है। इस नए समुद्री कानून के मुताबिक अब चीन की समुद्री सीमा से गुजरने वाले सभी समुद्री जहाजों को चीनी अधिकारियों को तमाम तरह की जानकारियां देनी होंगी। अगर किसी विदेशी समुद्री जहाज ने चीन को जानकारी नहीं दी तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगा। चीन हिंद महासागर में भी अपनी नौसेना की क्षमता में लगातार वृद्धि कर रहा है। खुफिया जानकारी जुटाने वाले चीन के जहाज हिंद महासागर में अक्सर आंकड़ों का संग्रह करते दिखाई दे जाते हैं। आधिकारिक रूप से चीन ने हिंद महासागर में तो अपने हितों और न ही योजना काे स्पष्ट रूप से परिभाषिक किया लेकिन इस बात की आशंका जरूर है कि चीन हिंद महसागरीय क्षेत्र से होकर जाने वाले महत्वपूर्ण समुद्री व्यापारिक भागों के संरक्षण को अपने लक्ष्य में शामिल  करेगा। अगर चीन ऐसा करता है तो भारत के मुक्त रूप से नौसैनिक गतिविधियों के संचालन पर व्यापक प्रभाव पड़ना तय है।
समुद्र में चीन का मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना अब सक्षम है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आईएनएस विशाखापत्तनम युद्धपोत को सेना को सौंप दिया है। आईएनएस विशाखापत्तनम को भारत में बने श​िक्तशाली युद्धपोतों में से एक माना जा रहा है। इसे नौसेना​ डिजाइन निदेशालय ने डिजाइन किया है और इसे गगनयान डॉकयार्ड लिमिटेड ने बनाया है। इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 75 फीसदी स्वदेशी उपकणों से बनाया गया है। हवाई हमले से बचने के लिए इस पर 32 बराक 8 मिसाइलें लैस हैं और यह मिसाइलें सतह से हवा में मार करने में सक्षम हैं। इनका इस्तेमाल विमान, हैलिकाप्टर, एंटीशिप मिसाइल, ड्रोन बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और लड़ाकू विमान नष्ट करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा आईएनएस विशाखापत्तनम 16 ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस है। इससे भारतीय नौसेना की शक्ति काफी बढ़ गई है। दक्षिण चीन सागर को लेकर भारत का स्टैंड यह है की यह तेज, फ्रीडम आफ नेविगेशन के दायरे में आता है इसलिए हमें अपना जहाज दक्षिण चीन सागर में भेजने, इसके ऊपर उड़ान भरने की आजादी है। अमेरिका ने भी दक्षिण चीन सागर में जहाज भेजा था तो चीन ने ऐतराज जताया था। अंतर्राष्ट्रीय समुद्री और हवाई क्षेत्र का ताल्लुक सबसे है और इस पर किसी एक देश का वर्चस्व नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय कानून इजाजत देता है कि कोई भी देश समुद्र से नौवहन कर सकता है। चीन धौसपट्टी दिखाते हुए दक्षिण चीन सागर पर अपना वर्चस्व बता रहा है।
दरअसल चीन को अमेरिका और भारत के बीच सहयोग बड़ा खतरा लग रहा है। एशिया प्रशांत महासागर में अमेरिका और भारत का गठजोड़ चीन के लिए चुनौती है। चीनी रणनीतिकारों का मानना है कि अमेरिका और भारत मिलकर मलक्का जल डमरू मध्य को जाम कर सकते हैं। इसी डर की वजह से चीन ने 2008 में अदन की खाड़ी में अपनी सैन्य मौजूदगी दर्ज करा दी थी। हिंद महासागर से होकर गुजरने वाले जिन समुद्री मार्गों का उपयोग चीन तमाम तरह के मकसदों के लिए करता है उनमें कई ऐसे ठिकाने हैं जो संकरे हैं और चीन के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। जैसे की होरभुज जलसंधि, मलक्का जल संधि, लोम्बांक जल संधि और जुंडा स्टेटस। अगर किसी अन्य देश से चीन का संघर्ष छिड़ता है तो उसके जहाजों को कोई भी ताकत रोक सकती है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अनुभवी राजनीतिक है। चीन का चेतावनी का अर्थ यही है कि ड्रैगन का समुद्र में मुकाबला करने के लिए हमारी नौसेना सक्षम है। चीन का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए चार देशों का समूह क्वाड काम कर रहा है। दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया में सुरक्षा समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत अमेरिका परमाणु चालित पनडुब्बी के निर्माण की तकनीक उपलब्ध करा रहा है। भारत अब एक नया भारत है और दुश्मनों की हर चुनौती का जवाब देने में सक्षम है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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