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राम मंदिर निर्माण और बाबरी इतिहास

खलील जिव्रान ने एक बड़ी प्यारी सी कथा लिखी हैः ‘‘एक बार शाम के समय एक दरिया के किनारे अच्छाई की देवी शिला पर अकेली बैठी हुई थी। थोड़ी देर के बाद बुराई की देवी भी वहां आकर बैठ गई। कुछ देर तक तो शांति रही, फिर अच्छाई की देवी ने उससे कहा-बहन तुम मेरे पास क्यों? तुम तो जानती हो कि अच्छाई के साथ बुराई नहीं रह सकती।

खलील जिव्रान ने एक बड़ी प्यारी सी कथा लिखी हैः ‘‘एक बार शाम के समय एक दरिया के किनारे अच्छाई की देवी शिला पर अकेली बैठी हुई थी। थोड़ी देर के बाद बुराई की देवी भी वहां आकर बैठ गई। कुछ देर तक तो शांति रही, फिर अच्छाई की देवी ने उससे कहा-बहन तुम मेरे पास क्यों? तुम तो जानती हो कि अच्छाई के साथ बुराई नहीं रह सकती।’’
बुराई की देवी व्यथित हो गई और बोली-‘‘हम दोनों तो जुड़वां बहनें हैं, हम अकेले कैसे रह सकती हैं? मैं जब पीठ फेर लेती हूं तो लोग तुम्हारा अनुभव करते हैं और तू जब पीठ फेर लेती है तो मुझे लोग देखते हैं। हम दोनों सिक्के के दो पहलू हैं। तब से ये कहावत अस्तित्व में आई।’’
लोग शायद ही समझ पाते हों कि कई बार अशुभता में भी शुभता छिपी होती है। इतिहास में कई ऐसे प्रसंग आते हैं, जो कालजयी हैं, वे किन्हीं जाति, वर्ग और धर्म विशेष के लिए नहीं हैं, वे सारी मानवता को दिए गए उपदेश हैं, उनका विस्तार दिल से दिल तक है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र की सुगंध ने विश्व के हर हिस्से को प्रभावित किया है। साकेत नामक काव्य में मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा था-
‘‘राम तुम्हारा चरित्र स्वयं ही काव्य है
कोई कवि हो जाए सहज संभाव्य है।’’
श्रीराम चरित मानस ही क्यों, अनेक ग्रंथ ऐसे हैं जो श्रीराम के पावन चरित्र को समर्पित हैं। प्रातः स्मरणीय श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो, इसकी अभिलाषा हर भारतीय कर रहा था। श्रीराम जन्मभूमि का मसला बहुत संवेदनशील रहा। सालों तक केस अदालत में चला। अंततः सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देकर श्रीराम जन्म​भूमि पर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। चंद आवाजों को छोड़ कर भारतीय मुस्लिम समाज ने भी फैसले को स्वीकार कर लिया  अब जबकि  राम जन्मभूमि ट्रस्ट स्थापित किया जा चुका है आैर मंदिर निर्माण की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते मंदिर के लिए भूमि पूजन टालना पड़ा। 
महामारी के शांत होते ही मंदिर निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। इसी बीच सरकार ने एक अहम फैसला लिया है कि अयोध्या में राम मंदिर के ​लिए दान देने वालों को टैक्स से छूट मिलेगी। केन्द्र सरकार ने इस सिलसिले में अधिसूचना भी जारी कर दी है। अधिसूचना के मुताबिक सैंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट को ऐतिहासिक महत्व का एक स्थान और सार्वजनिक पूजा का स्थल कहा है और धारा 80 जी के तहत ट्रस्ट को दान करने वालों को 50 फीसदी तक छूट दी जाएगी। ट्रस्ट की कमाई को पहले ही धारा 11 और 12 के तहत छूट देने का फैसला कर लिया गया है।  देश में पहले भी ऐसे कई मठ और धार्मिक स्थान हैं जिन्हें ऐसी छूट मिली हुई है। मंदिर निर्माण के लिए लोग दान देने को तैयार बैठे हैं। यह एक सही फैसला है जिससे मंदिर निर्माण के ​लिए बड़ी राशि एकत्र हो जाएगी।
इसी बीच बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की साजिश के केस में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को पूरा करने के लिए लखनऊ की सीबीआई अदालत को 31 अगस्त, 2020 तक का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि अगस्त तक सुनवाई पूरी हो और उसके बाद फैसला दिया जाए। इस मामले में भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण अडवानी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और 13 अन्य भाजपा नेता आरोपी हैं। सुनवाई के दौरान गिरिराज किशोर, विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया का निधन हो चुका है। वहीं बाबरी विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का पिछले साल सितम्बर में राजस्थान के राज्यपाल के तौर  पर कार्यकाल खत्म होने के बाद उनके खिलाफ दोबारा सुनवाई शुरू की गई है। बाबरी विध्वंस 6 दिसम्बर, 1992 में हुआ था, उसके बाद देशभर में दंगे फैल गए थे। तब से लेकर आज तक यह केस भारत की सि​यासत में कई बार उछला। जान और माल का भारी नुक्सान हुआ था। सीबीआई ने लालकृष्ण अडवानी का नाम चार्जशीट से बाहर भी कर दिया था लेकिन अदालत ने सीबीआई की कोशिश को नाकाम कर दिया था। 28  वर्षों से यह केस रेंगता आ रहा है। 9 नवम्बर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक को लेकर फैसला सुनाया था तो अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना था कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस गैर कानूनी आैर अवैध था। यह सही है कि श्रीराम करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र बिन्दु हैं लेकिन बाबरी मस्जिद विध्वंस चार सौ साल पुरानी ईमारत का टूटना भर नहीं था जो उस स्थल पर निर्मित बताई जाती रही, जिस पर पूर्व में श्रीराम का जन्म हुआ था, अपितु वह देश के ​संविधान में वर्णित धर्मनिरपेक्षता, धार्मिक स्वतंत्रता और सद्भाव की संस्कृति पर हमला था। लिब्रहान आयोग ने भी इस मामले में गम्भीर टिप्पणियां की थीं। ट्रायल कोर्ट को जल्द सुनवाई पूरी करने के आदेश का अर्थ यही है कि अपराध की गुरुत्व को पहचानने का समय आ गया। ट्रायल कोर्ट के फैसले का इंतजार रहेगा। अब जबकि मंदिर निर्माण का काम शुरू होने वाला है, इस मामले पर फैसला सियासत पर अपना प्रभाव जरूर छोड़ेगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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