पड़ौसी देश में भी राम की गूंज

पड़ौसी देश में भी राम की गूंज
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राम मंदिर तो बन गया। विश्व के लगभग 60 देशों में राम लला की 'प्राण-प्रतिष्ठा' के अवसर पर समारोहों का आयोजन हुआ है। आयोध्या संभवत: विश्व में आस्था, निर्माण कला, स्थापत्य, पर्यटन, संस्कृति व सर्वांगीण विकास के क्षेत्र में एक अनूठी व अद्वितीय इबारत लिख चुकी है। इसी प्राण-प्रतिष्ठा के बहाने से गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस के अतिरिक्त उनकी अन्य कृतियां, विनयपत्रिका, कवितावली आदि भी करोड़ों की संख्या में बिकी हैं। प्रधानमंत्री मोदी इस पर्व की पृष्ठभूमि में पूर्णतया राममय आस्था के प्रतीक केंद्र बन चुके हैं। अब लगता है कि वह भी इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ बन गए हैं और उन पर भी पुस्तकों की एक बाढ़ आने वाली है।
राम को लेकर लगभग तीन सौ रामायणों का इतिहास उपलब्ध है। सबसे पुराना 'ऋषि नारद' लिखित संस्कृत संस्करण माना जाता है। ऋषि नारद ने यह ऋषि वाल्मीकि को दिया। अब विश्व के अनेक देशों बर्मा, इंडोनेशिया, कम्बोडिया, लाओस, फिलीपींस, श्रीलंका, नेपाल, थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, जापान, मंगोलिया, चीन व वियतनाम में भी रामायण के स्वरूप अलग-अलग रूपों में उपलब्ध हैं। कन्नड़, तेलुगू, तमिल व उर्दू-फारसी व पंजाबी आदि भाषाओं मेें भी रामायण के अलग-अलग स्वरूप हैं। यही स्थिति हरियाणवी, सरायकी, राजस्थानी, मैथिली, ब्रज व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की है।
सिर्फ पूरा भारत ही 'राम मय' नहीं हुआ। अब राम की नगरी आयोध्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नेपाल, कम्बोडिया, सिंगापुर, श्रीलंका, इंडानेशिया, थाइलैंड जैसे देशों ने भी अपने 'काउंसलेट' खोलने के लिए जमीन मांग ली है। इतना ही नहीं, वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार आरज़ू काज़मी ने अपने आवास पर 22 जनवरी को एक समारोह का आयोजन किया है। उसका कहना है कि एक मुस्लिम होते हुए भी श्रीराम में उसकी आस्था है और इसी आस्था के कारण उसने दो हिन्दू परिवारों के भरणपोषण की जिम्मेदारी भी संभाली हुई है। उसकी सोच है कि भारत के भी कुछ सुहृदय लोग ऐसी ही भावना से आगे आएंगे और वे कुछ बेसहारा मुस्लिम परिवारों को सहारा देंगे, अपनाएंगे। वहां के कुछ मंदिरों में भी 22 जनवरी को रामचरित मानस का पाठ होगा। ऐसे मंदिरों की ज्यादा संख्या सिंध व सरायकी क्षेत्रों में है, मगर लाहौर व रावलपिंडी के कुछ मंदिरों ने भी ऐसे आयोजन पर सरकार से सुरक्षा-व्यवस्था की मांग की है। अब सऊदी अरब ने भी स्कूली-पाठ्यक्रमों में रामायण व महाभारत को जोड़ने पर सहमति दे दी है।
इतिहास गवाह है कि बाबर के पोते मुगल सम्राट अकबर ने भी वाल्मीकि रामायण का फारसी में अनुवाद कराया था और यह क्रम आगे भी चलता रहा। हमारे कुछेक मुस्लिम-नेता भले ही राममय-भारत में अपनी असुरक्षा के बयान दागने में लगे हैं, मगर उन्हें शायद यह भी याद नहीं कि अल्लामा इकबाल सरीखे शायरों ने भी राम की महिमा गाई थी। डॉ. इकबाल की नज़्म थी-
लबरेज़ है शराबे-अकीकत से जामे हिंद
सब फलसफी हैं खित्त:ए-मगरिब के रामे-हिंद
यह हिन्दियों की ​िफक्रे-फलकरस का है असर
रिफअत में आसमां से भी ऊंचा है बामे-हिंद
इस देस में हुए हैं हजारों मलक सिरिश्त
मशहूर जिनके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द
है राम के वुजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़
अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द
एजाज़ इस चिरागे हिदायत से है यही
रौशनतर अज़ सहर है ज़माने में शामे-हिन्द
तलवार का धनी था शुजाअत में मर्द था
पाकीज़गी में, जोशे मुहब्बत में फर्द था
ओवैसी साहब जैसे नेताओं को यह भी जान लेना चाहिए कि आयोध्या के पास 105 गांवों के ठाकुरों ने 500 सालों से राम मंदिर के निर्माण तक पगड़ी व जूते न पहनने की शपथ ली थी। वह शपथ अब 22 जनवरी को टूटी है और 105 गांवों के वे ठाकुर इस दिन से अपनी परम्परागत पोशाक पहनेंगे। जिस देश का प्रधानमंत्री, राममंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा होने तक 11 दिन से ज़मीन पर सो रहा था और केवल नारियल पानी व फलाहार ही ले रहा था, उस देश में राम की महत्ता को समझना बेहद ज़रूरी भी है। इसी संदर्भ में एक और मुस्लिम शायर की नज़्म भी श्रीराम को समर्पित है- जफर अली खां :
न तो नाकूस से और न असनाम से है
हिंद की गर्मि-ए-हंगामा तिरे नाम से है
मैं तिरे शेव:-ए-तसलीम पे सर धुनता हूं
कि यह इक दूर की निसबत तुझे इस्लाम से है
हो वो छोटों की इताअत कि बड़ों की शफकत
जि़ंदा दोनों की हकीकत तिरे पैगाम से है
तेरी तालीम हुई नजेर खुराफाते फिरंग
बिरहमन को यह गिला गर्दिशे-अय्याम से है
नक्शे तहज़ीबे हुनूद अब भी नुमाया है गर
तो वो सीता से है, लक्ष्मण से है, श्रीराम से है
कुछ और भी बदलाव आने वाले हैं। आयोध्या में पर्यटन से 55 हजार करोड़ सालाना आने वाले हंै आसपास के छह-सात जिलों के आर्थिक परिदृश्य में परिवर्तन आने वाला है।
-अयोध्या में 160 नए होटल खोलने के लिए प्राइवेट कंपनियों के प्रस्ताव आ चुके हैं
– करोड़ों रुपए का चढ़ावा राम मंदिर में रोजाना आने वाला है और अयोध्या विश्व का सांस्कृतिक चेतना केंद्र बनने वाला है।
-पर्यक्षकों का कहना है कि 22 जनवरी राम मंदिर के रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा के दिन 50 हजार करोड़ रुपए का व्यवसाय होने वाला है।
– राम जी के नाम पर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में कई गुणा वृद्धि हो चुकी है। एलएनटी का शेयर 400 से 972 पहुंच चुका है और चार हजार तक जाने वाला है
-आयोध्या में अब अंतर्राष्ट्रीय पुष्पक विमान चलने वाला है और सरयू में अब क्रूज भी चलने वाला है
-22 जनवरी प्राण-प्रतिष्ठा के दिन संपूर्ण विश्व टेलीविजन पर लाइव जुड़कर पूरे विश्व में एक नया कीर्तिमान बनाने वाला है। वक्त मिले तो ऐसे अवसर पर निराला जी 'राम की शक्ति पूजा' और दिनकर रचित राम कविताओं को भी याद कर लें।

– चंद्र त्रिखा

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