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पत्थरबाजों को सुपर-40 का जवाब

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”केसर की क्यारी हुई दुर्गंधों के नाम
बारूदी वातावरण करता है बदनाम
घाटी में बारूद के इतने बड़े गुबार
मानवता को सांस भी लेना है दुश्वार
कश्मीरी धरती डरी सहमी है खामोश
गुमसुम है डल झील भी व्यक्त कर रही रोष
यह कैसा आतंकमय, वातावरण उदास
है कोई जो कर सके, पीड़ा का अहसास
मासूमों से पूछिये क्या होता आतंक
उग्रवाद ने हमें दिए हैं कितने बड़े कलंक।”
कश्मीर में 6 घंटों में 6 आतंकी हमलों के बाद कविवर कृष्णमित्र की पंक्तियां याद आ जाती हैं। एक तरफ कश्मीर में सेना युवाओं के पत्थरों, आतंकियों की गोलियों का सामना कर रही है, सीमाओं पर पाक गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रही है, आतंकवादी संगठनों की साजिशों को विफल बना रही है, जवान शहादतें दे-देकर भारत मां की रक्षा कर रहे हैं लेकिन इसके साथ-साथ ही सेना कश्मीरी छात्रों का भविष्य भी संवार रही है। धमाकों की गूंज, गोलियों की दनदनाहट और सायरन बजाती गाडिय़ों के बीच उम्मीद की किरणें फूटती नजर आ रही हैं। बिहार के सुपर-30 के बारे में तो सब जानते हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं में सुपर-30 का डंका हमेशा ही बजा है लेकिन बिहार के सुपर-30 की तर्ज पर सेना ने इसे कश्मीर में सुपर-40 में बदल दिया। घाटी में सुपर-30 की स्थापना 2014 में की गई थी। अब इसे 40 में बदल दिया गया है। इस सुपर-40 की मदद से 28 कश्मीरी छात्र इस वर्ष आईआईटी और एनआईटी में दाखिला पाने में सफल रहे। इनमें 26 लड़के और दो लड़कियां हैं। सुपर-40 में आर्थिक रूप से कमजोर और प्रतिभाशाली कश्मीरी छात्रों को कोचिंग उपलब्ध कराई जाती है। कश्मीर सुपर-40 पहल में सेंटर फार सोशल रेस्पांसिबिलिटी एंड लीडरशिप और पैट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड ट्रेनिंग पार्टनर हैं। जम्मू-कश्मीर में भी अन्य राज्यों की तरह प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं, जरूरत है प्रतिभाओं को निखारने की। जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता के चलते पीढिय़ां बर्बाद हो गईं। कभी कोई बुरहान वानी हाथों में बंदूक थाम लेता है तो कभी कोई सबजार आतंकी बन जाता है। कश्मीर में सेना अनेक सद्भावना आपरेशन चलाए हुए है। सेना के जवान मैडिकल कैम्प लगाकर लोगों को राहत भी पहुंचाते हैं। प्राकृतिक आपदाओं में हजारों लोगों की जान भी बचाते हैं फिर भी उनकी सेवाओं को नजरंदाज किया जाता है। घाटी के विषैले हुर्रियत के नागों ने पाकिस्तान से पैसा लेकर बच्चों के हाथों में पत्थर और बंदूकें थमा दीं, उन्हें दिहाड़ीदार मजदूर बना दिया।

इस वर्ष कश्मीर से सिलेक्ट होने वाले छात्रों में से 9 दक्षिणी कश्मीर के हैं। दक्षिण कश्मीर में ही आतंकवाद का सबसे ज्यादा असर है। कुपवाड़ा, अनंतनाग और बारामूला जैसे जिलों में आए दिन आतंकी हमले करने की साजिश रचते हैं। सुपर-40 को सुपरवाइज करने वाले मेजर जनरल आर.पी. कालिया की योजना अब सुपर-40 को सुपर-50 का दर्जा देने की है। मुश्किल हालात में भी सेना ने श्रीनगर में कोचिंग सैंटर चलाया है। राजधानी में आईआईटी परीक्षा में पास होने वाले छात्रों को सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने सम्मानित किया। इन्हीं में से कई छात्र डीएम, एसपी और एसडीएम बनेंगे और राज्य का विकास करेंगे। कश्मीर के युवाओं को रोजगार चाहिए, रोजगार शिक्षा से ही मिलता है। आतंकवाद को अगर पराजित किया जा सकता है तो यह काम शिक्षा से ही हो सकता है। कश्मीर के छात्रों को किताबें, कलम और कम्प्यूटर चाहिएं न कि हाथों में पत्थर, हैंड गे्रनेड और ए.के. 47, धरती की इस जन्नत को दोजख बनने से रोकना है तो कश्मीरी युवाओं का भविष्य संवारना होगा। कश्मीर स्वर्ग है तो इसकी शांति को सुनिश्चित करना जरूरी है। कश्मीर के अवाम को सोचना और समझना होगा कि उन्हें अपने बच्चों का सुनहरी भविष्य चाहिए या उनका आतंकवादी बनकर मौत से खेलना।

भारत की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में इस वर्ष आजादी के बाद पहली बार सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार चुने गए हैं। इस साल परीक्षा पास करने वाले 1099 उम्मीदवारों में करीब 50 मुसलमान हैं। बीते वर्ष सिविल सेवा परीक्षा में कुल 1078 उम्मीदवारों का चयन किया था जिनमें से 37 मुसलमान थे। जम्मू-कश्मीर से भी इस बार कुल 14 लोग सिविल सेवा परीक्षा के लिए चुने गए हैं, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। कश्मीर के बिलाल मोहिउद्दीन दसवें नम्बर पर आए। यही नहीं इस साल की परीक्षा में मेवात के रहने वाले अब्दुल जब्वार भी चयनित हुए। वह इस क्षेत्र के पहले मुस्लिम सिविल सर्वेंट हैं। कश्मीर का अवाम हुर्रियत के नागों को खुद से अलग करके अपना और अपने परिवार का भविष्य संवारे। सेना का रास्ता लम्बा जरूर है लेकिन अंतत: उसे सफलता मिलेगी। सुपर-40 ने घाटी के पत्थरबाजों को जवाब दे दिया है।

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