20 वर्ष, 52 गवाह और 201 पृष्ठ का फैसला। अन्ततः कानून ने अपना काम कर दिया। फिल्म अभिनेता सलमान खान को काला हिरण शिकार मामले में 5 वर्ष की कैद और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई। इस फैसले का संदेश साफ है कि कानून की नजर में सब बराबर हैं, कानून से ऊपर कोई नहीं। इस फैसले ने आम लोगों के बीच कायम इस धारणा को खंडित किया है कि अमीर और प्रभावशाली लोग अक्सर बच जाते हैं।
हिट एण्ड रन केस में सलमान खान के बरी हो जाने के बाद ऐसी धारणा ने जोर पकड़ लिया था। सलमान आर्म्स एक्ट के मामले में भी साफ बरी हो गए थे। हाल ही मेें कई प्रभावशाली लोग जेल में अपनी जिन्दगी बिता रहे हैं उनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने सत्ता का लम्बा सुख भोगा है। जिस देश में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा रिश्वत मामले में न्यायपालिका ने प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे नरसिम्हाराव तक को सजा सुना दी हो वहां न्यायपालिका को संदेह की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए।
कुछ फैसले अपवाद हो सकते हैं फिर भी न्यायपालिका ने ऐसे ऐतिहासिक फैसले दिए हैं जिससे न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा मजबूत होता है। पर्यावरण आैर वन्य जीवों की श्रेणी में रखे गए जानवरों की हत्याएं पहले भी हुई हैं जिनमें कुछ लोगों को सजा भी हुई लेकिन दो काले हिरणों के शिकार मामले में फिल्म उद्योग की हस्ती को पहली बार सजा हुई है। इसका पूरा श्रेय राजस्थान के विश्नोई समाज को जाता है जिसने अपनी आस्था की रक्षा के लिए लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी और अभिनेता को सजा दिलवाई। इस फैसले का संदेश भी यही है कि चाहे कोई भी हो, उसे वन्य जीव कानूनों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
हमें लुप्तप्रायः वन्य जीवों को पूरा संरक्षण देना चाहिए न कि अपने मजे के लिए उन्हें मारकर अपनी बहादुरी के जौहर दिखाने चाहिए। विवादास्पद निजी जिन्दगी में भाई की पहचान रखने वाले सलमान के साथ अच्छा आैर बुरा दोनों चरित्र जुड़े रहे हैं। यह सही है कि उन्होंने बहुत लोगों का दुःख-दर्द बांटा है, बहुत लोगों की आर्थिक सहायता भी की है, फिल्म इण्डस्ट्री का काफी पैसा भी उन पर लगा है। यह उनके जीवन का सकारात्मक पहलू है लेकिन कानून भावनात्मक तर्कों पर नहीं चलता बल्कि उसे तो न्याय की कसौटी पर खरा उतरना होता है।
फैसला सुनाने वाले विद्वान जज ने सलमान के वकीलों के सभी तर्क एक-एक काटकर रख दिए। सलमान खान की सजा पर देश में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। किसी ने भी न्यायपालिका पर अंगुली नहीं उठाई लेकिन हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को इस फैसले में भी हिन्दू-मुस्लिम ही नजर आया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सलमान की सजा पर बेतुका बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सलमान खान को अल्पसंख्यक होने के कारण सजा दी गई है। इतना ही नहीं, आसिफ ने यह भी कहा कि अगर सलमान का सम्बन्ध सत्तारूढ़ पार्टी से होता तो उसे कम सजा मिलती। पाक विदेश मंत्री की प्रतिक्रिया पर उन्हें करारा जवाब मिला है।
सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स ने उनसे उलटा सवाल किया है कि क्या इस मामले में बरी किए गए अभिनेता सैफ अली खान और अभिनेत्री तब्बू क्या हिन्दू हैं? जिस मुल्क की नींव ही मजहब के आधार पर पड़ी हो, उससे ज्यादा उम्मीद ही नहीं की जा सकती। उसे जब भी नजर आएगा हिन्दू और मुस्लिम ही नजर आएगा। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक पर इतने अत्याचार किए जाते हैं कि उनकी दास्तानें सुनते रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 5 वर्ष पहले भी अभिनेता शाहरुख खान के बारे में पाकिस्तान ने बेतुकी टिप्पणी की थी कि वह शाहरुख खान को सुरक्षा मुहैया करने की तैयार हैं। इस पर पाक के तत्कालीन गृहमंत्री रहमान मलिक को करार जवाब मिला था।
भारत में रहने वाले मुस्लिमों ने ही कहा था कि पाकिस्तान अपने नागरिकों की चिन्ता करें, हिन्दुस्तान में मुसलमान पूरी तरह से सुरक्षित हैं। बात सही भी है कि भारत में मुसलमान अन्य मुस्लिम देशों से भी ज्यादा महफूज हैं। सलमान खान और अन्य मुस्लिम अभिनेताओं को भारत की जनता उतना ही सम्मान और स्नेह देती है जितना कि हिन्दू या अन्य धर्मों के अभिनेताओं को। उन्हें जो शोहरत हासिल हुई है उसमें भारतीय संस्कृति की बड़ी भूमिका है। उन्हें सिर्फ भारत के मुसलमानों ने नहीं बल्कि हर धर्म के लोगों ने नायक बनाया है। कोई उन्हें बजरंगी भाईजान के रूप में देखता है तो कोई उन्हें दबंग या टाइगर के रूप में देखता है। 20 वर्ष पहले किए गए जुर्म पर सजा सुनाए जाने पर बवाल मचाने की जरूरत नहीं है। जहां तक सलमान खान की जमानत का सवाल है तो यह हर आरोपी या सजायाफ्ता लोगों का अधिकार है। अभी सलमान के आगे उच्च अदालत में जाने का विकल्प मौजूद है।